टाटा संस को मिली बड़ी राहत, 1500 करोड़ के GST मामले से मिला छुटकारा
टाटा संस को बड़ी राहत देते हुए, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग के न्यायाधिकरण (एए) ने डोकोमो के साथ एक समझौते पर कंपनी पर 1,500 करोड़ रुपए से अधिक की जीएसटी मांग को खारिज कर दिया है. मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि एए का आदेश मध्यस्थता में लगी कंपनियों के लिए मिसाल बनेगा. एक अधिकारी ने कहा कि भाग के पास उच्च न्यायालय में इसे चुनौती देने का विकल्प है.
क्या था मामला?
2019 में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने 1.27 बिलियन डॉलर पर 18% जीएसटी का दावा किया था, जिसे टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी ने 2017 में टाटा टेलीसर्विसेज के साथ विवाद को निपटाने के लिए जापानी टेलीकॉम कंपनी को भुगतान किया था. इसने तर्क दिया कि चूंकि भुगतान टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से किया गया था, इसलिए इसे टाटा संस से समूह की फर्म को लोन के रूप में माना जाना चाहिए और इसलिए 18% जीएसटी के लिए उत्तरदायी होना चाहिए. टाटा संस ने इस दावे को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि यह भुगतान लंदन की एक अदालत में मध्यस्थता कार्यवाही का परिणाम था और इसलिए जीएसटी लागू नहीं था.
2022 से जुड़ा है तार
इसके बाद नवंबर 2022 में नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाली इस कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें उसने 3 अगस्त 2022 को केंद्रीय इनडायरेक्ट टैक्स और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) द्वारा जारी एक सर्कुलर और 28 फरवरी, 2023 को जारी एक अन्य सर्कुलर का हवाला देते हुए दावा किया कि परिसमाप्त नुकसान पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जा सकता है. कंपनी ने हाई कोर्ट में दलील दी कि यह राशि टाटा संस द्वारा टाटा टेलीसर्विसेज की ओर से भुगतान की गई बकाया राशि थी, न कि डोकोमो द्वारा प्रदान की गई किसी सेवा के लिए दी गई राशी है.
डीजीजीआई ने दी जानकारी
यह एक मध्यस्थता मामला है जिसका भुगतान किया गया और बंद कर दिया गया. डीजीजीआई इसे बहुत ही तकनीकी तरीके से देख रहा है. हालांकि, 2023 में हाई कोर्ट ने विभाग को कंपनी को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी करने की अनुमति दी, जिसे कंपनी ने एए के समक्ष चुनौती दी. एक अधिकारी ने कहा कि एए ने अपने पक्ष में फैसला सुनाते समय कंपनी द्वारा दिए गए तर्कों पर भरोसा किया है. चूंकि यह एए का आदेश है, इसलिए यह इसी तरह के मुकदमों का सामना कर रही अन्य कंपनियों के लिए एक मिसाल के तौर पर काम करेगा.
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जापानी फर्म ने की थी ये मांग
जापानी फर्म ने टाटा टेलीसर्विसेज के वित्तीय संघर्षों के कारण 2015 में उस विकल्प का प्रयोग करने की मांग की. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का मानना था कि इस तरह का निकास केवल उचित बाजार मूल्य पर हो सकता है, जो 2013 में संशोधित नियम के अनुरूप है. उस समय स्वर्गीय साइरस मिस्त्री के नेतृत्व वाली टाटा संस ने इसका हवाला दिया और सहमत राशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया. डोकोमो ने अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए आवेदन किया और 2017 में उसने कहा कि उसे टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) में अपनी हिस्सेदारी के लिए अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत द्वारा टाटा संस से 1.27 बिलियन डॉलर का भुगतान प्राप्त हुआ.