टीनएज में भी बच्चे शेयर करेंगे सारी बातें, बस फॉलो करें ये सिंपल टिप्स
टीनएज यानी करीब 14 साल से 18 तक की उम्र में बच्चों में शारीरिक के साथ ही मानसिक बदलाव भी होते हैं और इस उम्र में वह नए दोस्त बनाते हैं, नई-नई चीजों को जानना, समझना और एक्सप्लोर करना चाहते हैं. इस उम्र में बच्चे हर चीज को लेकर एक्साइटेड रहते हैं, लेकिन कई बार बच्चे सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते हैं. ऐसे में जरूरी होता है कि माता-पिता बच्चों को सही गाइडेंस दें और ये तभी हो पाता है जब पेरेंट्स और बच्चों के बीच अच्छा कम्यूनिकेशन हो.
टीनएज में बच्चों के भीतर आ रहे बदलावों की वजह से बातों को शेयर न करना, आक्रामक हो जाना जैसे रिएक्शन दे सकते हैं. इस दौरान पेरेंट्स को बहुत ही सोच-समझकर बच्चे को संभालना होता है. तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ टिप्स जिससे टीनएज में भी बच्चा आपकी कंपनी एंजॉय करेगा और बातें शेयर करने से नहीं कतराएगा.
क्विक रिएक्शन देने से बचें
हर माता-पिता को लगता है को उनका बच्चा अभी छोटा है और इस वजह से बच्चे के गलती करने पर वह क्विक रिएक्शन दे देते हैं और इस वजह से बच्चा भी पलटकर रिएक्ट करता है, जिससे रिश्ते में दूरियां आ सकती हैं. अगर बच्चा कोई गलती करे तो तुरंत गुस्से से रिएक्ट करने की बजाय उसे कुछ वक्त बाद आराम से समझाएं कि उसके लिए वह चीज गलत है.
इस रूल को रखें याद
कहा जाता है कि बच्चा गीली मिट्टी की तरह होता है, इसलिए कम उम्र से ही उसे सही तरह से ढालना शुरू कर देना चाहिए. यह काफी हद तक सही भी है. जब आप बच्चे को बचपन से कुछ चीजें सिखाते हैं तो बढ़ती उम्र में भी उन्हें बातें शेयर करने या व्यवहार करने में परेशानी नहीं होती है. जन्म से 5 साल तक बच्चे का मन बहुत मासूम होता है इसलिए लाड़ प्यार करना सही रहता है. 5 साल की उम्र के बाद बच्चे को अनुशासन में रखना जरूरी होता है ताकि आगे चलकर इसे वह आदत में ले आए. इसके बाद जब बच्चा 10 साल को हो जाए तो मर्यादित रहकर संयम से गलती पर उसे डांट सकते हैं. वहीं टीनएज में बच्चे के साथ एक दोस्त की तरह रहना जरूरी होता है, ताकि वह अपनी बातें शेयर कर सके.
बच्चे को करें सपोर्ट
अगर बच्चा गलत करता है तो उसे डांटना समझाना माता-पिता का फर्ज होता है, इसी तरह से बच्चे का सपोर्ट करना भी जरूरी होता है. बच्चे को ये अहसास दिलाएं कि जिंदगी के अच्छे वक्त के अलावा मुश्किल वक्त में भी आप उसका सपोर्ट करेंगे. पढ़ाई पर फोकस करने के साथ ही बच्चा क्या बनना चाहता है उसे उसके सपने अपने हिसाब से चुनने दें.
बच्चों को सुनें
टीनएज में बच्चे नए दोस्त बनाते हैं, चीजों को जानने के लिए उनमें जिज्ञासा बढ़ती है. ऐसे में जरूरी है कि जब बच्चा आपसे कुछ कहना चाहता हो तो उसे गंभीरता के साथ सुनें. बिजी होने पर भी रोजाना कुछ वक्त ऐसा निकालें जब आप शांति से अपने बच्चों के साथ मस्ती कर पाएं. घर के फैसलों में बच्चों को शामिल करें. इससे वह न सिर्फ अपनी जिम्मेदारियों को समझेंगे, बल्कि आपके और उनके बीच कम्युनिकेशन बेहतर बनेगा.