टीबी के मरीजों के लिए बड़ी खबर, अधिक प्रभावी उपचार को सरकार ने दी मंजूरी

हिंदुस्तान में टीबी के मामलों में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली है और भारत सरकार का लक्ष्य 2025 तक इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का है. इसके लिए भारत सरकार भरसक प्रयास भी कर रही है. इसी लक्ष्य की पूर्ति की तरफ कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हिंदुस्तान में टीबी की रोकथाम और बेहतर इलाज के लिए नए छोटे और अधिक प्रभावी उपचार की शुरुआत को मंजूरी दे दी.
टीबी के इलाज के लिए नए प्रभावी इलाज को मंजूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिस नए उपचार को मंजूरी दी है उसमें बीपीएएलएम आहार जिसमें चार दवाओं का संयोजन शामिल है. स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि बेडाक्विलिन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन से पिछले एमडीआर-टीबी उपचार प्रक्रिया की तुलना में ज्यादा सुरक्षित, अत्याधिक प्रभावी और त्वरित उपचार मिलेगा. जिससे टीबी का इलाज जल्दी और प्रभावी तरीके से करने में मदद मिलेगी साथ ही 2025 तक टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को भी बल मिलेगा.
केंद्र सरकार का कहना है कि इस कदम से भारत में टीबी को समाप्त करने के अपने राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में काफी मदद मिलेगी साथ ही ये कदम देश की प्रगति को भी बढ़ावा देगा.
टीबी को खत्म करना बड़ी चुनौती
सरकार टीबी की रोकथाम और इलाज के लिए कदम तो उठा रही है लेकिन डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में दुनियाभर में एक करोड़ से ज्यादा टीबी के मामले सामने आए थे. इनमें से 27 फीसदी भारतीय थे. 2022 में 28 लाख भारतीय टीबी की चपेट में आए. वही 2022 में टीबी से मरने वालों की संख्या दुनियाभर में 13 लाख के करीब थी. इन आकड़ों को देखते हुए डब्ल्यूएचओ का कहना है कि कोविड-19 के बाद टीबी सबसे ज्यादा संक्रामक बीमारी है. जिसका मौत का आंकड़ा काफी अधिक है.
हालांकि भारत में 2021 में जहां टीबी से करीबन 5 लाख लोगों ने जान गवांई वही 2022 में टीबी से मरने वालों की संख्या घटकर 3.31 लाख रह गई. लेकिन आज भी हिंदुस्तान के लिए ये एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या है जिसके निदान के लिए अभी और भी भरसक प्रयास और बेहतर इलाज की जरूरत है.

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