टुकड़े-टुकड़े होगा पाकिस्तान,आजाद होगा बलूचिस्तान? जानें आखिर क्या है सिंध-बलोच और पंजाब का झगड़ा
मजहबी जंजीरों में जकड़े पाकिस्तान के अलग-अलग सूबों में बगावत की आग और तेज होती जा रही है. बलूचिस्तान से लेकर सिंध तक पाकिस्तान के विभाजन की रूपरेखा तय हो चुकी है. आजाद बलूचिस्तान की मांग और उसकी नींव रखने वाले अकबर बुगती की बरसी पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान को दहला दिया. यहीं से पाकिस्तान के अलग-अलग इलाकों में खूनी जंग का नया चैप्टर शुरू हो गया. पिछले दो दशकों से बलूचिस्तान हिंसक विद्रोह की चपेट में है.
बलूचिस्तान की हर गली और हर चौक-चौराहे पर शहबाज शरीफ की हुकूमत के खिलाफ आवाजें बुलंद हो रही हैं. पाकिस्तानी सेना के जुल्मों से आजादी के लिए बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लोग पहले से ही बंदूकें उठा चुके हैं. अब ये बगावत एक बार फिर खूनी शक्ल ले चुकी है. जिससे पाकिस्तान में गृहयुद्ध के हालात बन गए हैं. इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान का खंड-खंड होना तय है. ऐसे में ये सवाल उठता है क्या अब पाकिस्तान टुकड़ों में बंट जाएगा? क्या बलूचिस्तान पाक के चंगुल से निकलकर आजादी की सांस ले पाएगा? इसके साथ ही आगे इस रिपोर्ट में जानेंगे कि आखिर सिंध, बलोच और पंजाब के झगड़े की वजह क्या है?
खूनी जंग में उलझे पाक के प्रांत
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने 23 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. बीएलए अलगाववादियों ने लोगों को बसों से उतारा. उनके आईडी कार्ड देखे और जितने लोग पंजाब प्रांत के थे. उनकी गोली मारकर बेहरहमी से हत्या कर दी. लंबे समय से धर्म और जाति के आधार पर जल रहे पाक के बलूचियों ने हथियार उठा लिए हैं और खूनी जंग का नया चैप्टर शुरू कर दिया है.
दरअसल पाकिस्तान में प्राकृतिक संसाधन ज्यादातर सिंध और बलूचिस्तान के इलाके में है. लेकिन केंद्र सरकार से सबसे ज्यादा पैसा, सहूलियतें और देश की राजनीति पर कब्जा पंजाब प्रांत का है. इसी के खिलाफ लंबे समय से बलोच, सिंध प्रांतों में झगड़े होते रहे हैं. लेकिन अब ये संघर्ष खूनी हो गया है.
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बलूचिस्तान में खूनी संग्राम
पाकिस्तान में आए दिन गोलीबारी हो रही है. लोगों का खून बहाया जा रहा है. पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े होने की गूंज वहां के सूबों में हर दिन सुनी जा रही है. पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बारूद की ढेर पर खड़े पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में बलूच लिबरेशन आर्मी ने बसों से यात्रियों को उतार कर उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी. ये दिल दहला देने वाली घटना बलूचिस्तान के मूसाखेल जिले में हुई.
हथियारबंद लोगों ने राराशम इलाके में एक इंटर-स्टेट हाइवे को रोक दिया. इसके बाद बसों से यात्रियों को नीचे उतारा. बलूच लिबरेशन आर्मी ने पहले यात्रियों के पहचान पत्र को देखा और फिर यात्रियों को गोली मार दी. मारे गए लोगों की पहचान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के निवासियों के रूप में की गई. हथियारबंद लोगों ने 10 से ज्यादा गाड़ियों में आग भी लगा दी.
पुराना है खूनी जंग का सिलसिला
खंड-खंड होने जा रहे पाकिस्तान के अलग-अलग सूबों में लंबे समय से इस तरह के खूनी खेल जारी हैं. पाकिस्तान का अंधकारमय भविष्य तो पहले ही निश्चित हो गया था. लेकिन बलूचिस्तान जैसे इन प्रांतों में इस तरह के खूनी गदर ने तो जिन्नालैंड का अंत भी तय कर दिया है. बेगुनाह लोगों के खून और गृहयुद्ध की आग के दरिया में घिरे पाकिस्तान में क्षेत्र और प्रांतों के आधार पर खूनी जंग का सिलसिला पुराना है. बलूचिस्तान के अलावा पंजाब और सिंध में भी बगावत की आग पाकिस्तान को भस्म कर देने के लिए तैयार है.
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ऑपरेशन हेरोफ करेगा पाक के टुकड़े
बलूचिस्तान में खूनी संग्राम को लेकर पाकिस्तान के टुकड़े-टुकड़े होने का पहला कदम माना जा रहा है. पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक बलूचिस्तान में खूनी जंग की इस घटना को ऑपरेशन हेरोफ के तहत बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने अंजाम दिया. ऑपरेशन हेरोफ को पूरे बलूचिस्तान में चलाया जा रहा है.
इस पर बीएलए ने दावा किया है कि उसने अपने ऑपरेशन हेरोफ के तहत 62 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों को मार दिया है. बीएलए की तरफ से बयान जारी करके बताया गया कि मारे गए पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी आम नागरिकों के कपड़े में बस में यात्रा कर रहे थें और इसी वजह से उनकी पहचान करके मारा गया. बलूचों ने एक रेलवे ब्रिज को भी उड़ा दिया. कहा जा रहा है कि बलूचों ने अपने नेता नवाब बुगती की याद में इस हमले को अंजाम दिया.
नबाव बुगती की बरसी पर दहला पाक
नबाव बुगती की परवेज मुशर्रफ के समय में हत्या कर दी गई थी. इसे लेकर पाकिस्तान सरकार के खिलाफ पूरे बलूचिस्तान में शुरू से ही आक्रोश रहा है. पाकिस्तानी मीडिया और वहां के जानकार भी ये मानते हैं कि बलूचों के खिलाफ पाकिस्तान सरकार का रवैया हमेशा ही दमनकारी रहा है.
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सियासत में पंजाब सूबे का ही दबदबा
बलूचिस्तान और सिंध में बगावत की आंधी इसलिए आई हुई है. क्योंकि पाकिस्तान में प्राकृतिक संसाधन ज्यादातर सिंध और बलूचिस्तान के इलाके में हैं. लेकिन पाकिस्तान की सरकारें सबसे ज्यादा फंड, रियायतें और सहूलियतें पंजाब प्रांत को देती हैं. पाकिस्तान की सियासत पर भी पंजाब सूबे का ही दबदबा रहा है. अपने साथ इसी नाइंसाफी को लेकर लंबे समय से बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में पाकिस्तानी हुक्मरानों के खिलाफ बगावत का बिगुल बजता रहा है और खूनी झड़पें होती रही हैं.
बगावत, आतंकवाद और दुश्मनों से घिरा पाक
बलूचिस्तान में चीन की परियोजनाओं से भी यहां के लोग बेहद नाराज हैं. इसे लेकर कई बार हिंसक प्रदर्शन ही नहीं हत्याएं भी हो चुकी हैं. पाकिस्तान के अंदरुनी हालात इस कदर खराब हैं कि इसके टुकड़े टुकड़े होने में अब कोई शक नहीं है. खुद पाकिस्तानी भी मानते हैं कि जिन्नालैंड गृहयुद्ध की कगार पर खड़ा है. बगावत, आतंकवाद और दुश्मनों से पाकिस्तान पूरी तरह से घिर गया है. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों की वजह से ही मुल्क के अंदर बगावत और गृहयुद्ध जैसे खतरे को ताकत मिली है.
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क्या है सिंध-बलोच और पंजाब का झगड़ा?
पाकिस्तान का सिंध इलाका भी बलूचों और पश्तूनों की तरह पाकिस्तान के अलग होना चाहता है. बलूचिस्तान की तरह सिंध भी पाकिस्तान का वो सूबा है. जो लंबे वक्त से पाकिस्तान के जालिम हुक्मरानों से छुटकारा पाना चाहता है. सिंध में आजादी के नारे करीब पांच दशक से गूंज रहे हैं. इन आवाजों को अब तक पाकिस्तान की डरपोक फौज बूटों और बंदूकों से खामोश करती रही. लेकिन अब आवाज खुलकर दुनिया तक पहुंच रही है. सिंध पाकिस्तान का सबसे अमीर सूबा है. पाकिस्तान की 70 फीसदी कमाई सिंध से होती है. लेकिन सिंधियों का उस पर कोई हक नहीं होता है.
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