टेरर फंडिंग मामले में शब्बीर शाह रिहा, फिर भी जेल में ही रहेगा ये अलगाववादी नेता; जानिए क्यों
पटियाला हाउस कोर्ट ने आतंकी फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को रिहा करने का आदेश दिया है, हालांकि इसके बावजूद वो सलांखो के पीछे ही रहेगा. क्योंकि शब्बीर को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए के दर्ज मामलों के चलते अभी न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा.
मंगलवार को अदालत ने आतंकी फंडिंग से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुनवाई की. शब्बीर शाह 26 जुलाई 2017 से लगातार हिरासत में है. ये देखते हुए कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध के लिए अधिकतम 7 साल की सजा से ज्यादा हिरासत में रह चुके हैं. इसलिए कोर्ट ने इस मामले में शब्बीर को रिहा कर दिया. उसके खिलाफ NIA के दो अलग-अलग केस की जांच चल रही है. वहीं दूसरे केस के तहत वो अभी जेल में ही रहेगा.
बेटी ने खुद को पिता की पार्टी से किया अलग
जेल में बंद अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह एक अलगाववादी नेता है. इसी साल मार्च में शब्बीर की बेटी समा शब्बीर ने सार्वजनिक रूप से अपने पिता यानी शब्बीर शाह की डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी से खुद को अलग कर लिया था. इसके साथ ही बेटी ने भारत संघ की संप्रभुता के प्रति निष्ठा की शपथ ली थी. कश्मीर में पूर्व सीबीएसई टॉपर के रूप में अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए जानी जाने वाली समा शब्बीर ने एक स्थानीय समाचार पत्र में छपे एक पब्लिक नोटिस के जरिए अपना ये रुख स्पष्ट किया था.
शब्बीर का हाफिज सईद कनेक्शन
ईडी ने कहा है कि शब्बीर अहमद आतंकी संगठन जमात-उत-दावा के मुखिया हाफिज सईद से लगातार जुड़ा रहा. ईडी ने हलफनामे में ये भी कहा है कि शब्बीर अहमद मोहम्मद शफी शायर के संपर्क में भी था. शफी शायर जम्मू का रहने वाला था और जेल से छूटने के बाद परिवार समेत पाकिस्तान भाग गया था. वहीं जमात-उत-दावा पाकिस्तान का आतंकी संगठन है, जिस पर UNSC ने भारत समेत दुनिया में आतंक फैलने को लेकर प्रतिबंध लगाया हुआ है.