डिजिटल हाजिरी से छूट, मकान ढहने से बचे… यूपी में सरकारी फैसलों पर चला ‘बुलडोजर’
यूपी में अपने फैसलों पर अडिग रहने वाली बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार दो मुद्दों पर अपने कदम पीछे खींच ली है. यूपी में योगी बाबा का बुलडोजर अब अवैध कब्जों की जगह सरकारी फैसलों पर चलने लगा है. लोकसभा चुनाव में यूपी में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह पहली बार है जब सरकार दो अहम मुद्दों पर पीछे हटने का फैसला लेते हुए जनता के साथ खड़ी नजर आई है. सरकार के कदम पीछे खींचे जाने के बाद से अलग-अलग सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. जिन दो मुद्दों का हम जिक्र कर रहे हैं, उसमें एक शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस और दूसरा अवैध मकानों पर चलने वाला बुलडोजर है.
नए सत्र में स्कूल खुलने के बाद सरकार ने स्कूलों में डिजिटल हाजिरी लगाने की व्यवस्था लागू कर दी थी. सरकार की ओर से ये कदम शिक्षकों के टाइम पर स्कूल आने-जाने को लेकर उठाए गए थे, लेकिन अध्यापक बागी हो गए. स्थिति ये हो गई कि शिक्षक स्कूल छोड़ धरने-प्रदर्शन पर उतर आए. दूसरा मामला सीधे तौर पर यूपी की राजधानी लखनऊ से जुड़ा है. जहां पिछले कुछ दिनों से चलाए जा रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान पर रोक लगा दी गई है.
जुलाई में ही लागू हुई थी डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था
सबसे पहले बात शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस की करते हैं. सरकार ने इसी साल उन स्कूलों के लिए एक आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि 5वीं और 8वीं कक्षा तक के स्कूलों में सभी शिक्षकों को अपनी हाजिरी ऑनलाइन लगानी होगी. इसके लिए सरकार ने एक पोर्टल भी तैयार किया था. जैसे ही शिक्षा विभाग की ओर से यह आदेश जारी हुआ शिक्षक बगावत पर उतर गए. शिक्षकों का कहना था कि हाजिरी के लिए जो नई व्यवस्था बनाई गई है वो उनके लिए अनुकूल नहीं है. कई शिक्षकों ने पोर्टल में आ रही दिक्कतों का हवाला देते हुए डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था का विरोध किया.
स्कूल पर जाने के बाद ही लगती थी हाजिरी
सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस की जो नई व्यवस्था लागू की थी उसके लिए किसी बायोमेट्रिक मशीन की जरूरत नहीं थी. डिजिटल हाजिरी लगाने का काम शिक्षकों के मोबाइल से ही होना था, लेकिन दिक्कत ये थी कि वो तभी होगा जब शिक्षक स्कूल में मौजूद रहेगा. मतलब जब तक मोबाइल स्कूल वाले लोकेशन पर नहीं जाता है तब तक हाजिरी नहीं लगेगी. पोर्टल को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि स्कूल की लोकेशन लेने के बाद ही शिक्षक उसमें लॉग इन कर पाते. लोकेशन वाले पोर्टल को लेकर शिक्षकों को कान खड़े हो गए. कई शिक्षकों ने पोर्टल के स्लो चलने की शिकायत की तो कुछ ने उसमें गड़बड़ी की बात कही.
देखते ही देखते अटेंडेंस का मामला इतना तूल पकड़ लिया कि शिक्षक धरना प्रदर्शन पर उतर आए. मामला लखनऊ तक पहुंच गया. शिक्षकों के एसोसिएशन ने मुख्य सचिव से मुलाकात की. फिर सरकार ने डिजिटल अटेंडेंस के फैसलों पर दो महीने तक के लिए रोक लगा दी. सरकार ने इस मामले पर एक कमेटी बनाने और फिर उसके सुझाव के आधार पर आगे बढ़ने का आश्वासन दिया.
6 लाख से अधिक शिक्षकों पर पड़ा था असर
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कुल 6 लाख 9 हजार शिक्षक हैं. व्यवस्था लागू होने के बाद पहले दिन केवल 16000 शिक्षकों ने अपनी हाजिरी लगाई. मतलब केवल दो फीसदी. इस नई व्यवस्था के लागू होने से पहले यूपी में अटेंडेंट के लिए सेल्फी सिस्टम लागू था. मतलब स्कूल पहुंचने के बाद टीचर सेल्फी खींचकर सरकार की ओर से भेजे गए एक लिंक पर अपडेट करते थे. अब सरकार ने डिजिटल हाजिरी की व्यवस्था पर रोक लगाकर एक झटके में 6 लाख से अधिक शिक्षकों को खुश कर दिया. सरकार के फैसले का शिक्षकों ने स्वागत भी किया है. कहीं न कहीं शिक्षकों के बीच में यह मैसेज भी गया कि सरकार उनकी चिंता करती है.
दूसरा अहम फैसला लखनऊ में चल रहे अतिक्रमण हटाओ पर आया. योगी सरकार ने कुछ हफ्ते पहले ही कुकरैल नदी के किनारे रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के नाम पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया था. अतिक्रमण में आने वाले कई मकानों पर लाल निशान लगा दिए गए थे. लाल निशान लगाए जाने के बाद लोगों को लगने लगा था कि अब उनका आशियाना बचने वाला नहीं है. निशान लगाए जाने के बाद लोगों के बीच में लगातार गुस्सा भी भड़क रहा था. सरकार के फैसले के विरोध में कुछ लोग रजिस्ट्री के कागजों को गेट पर चस्पा कर दिए थे. इंद्रप्रस्थ नगर में भी कुछ ऐसी ही स्थिति देखने को मिली थी. कहीं न कहीं लोगों के बीच में सरकार को लेकर गुस्सा बढ़ रहा था.
अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक
जनता में गुस्सा को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने अतिक्रमण हटाओ अभियान पर रोक लगाने का फैसला ले लिया. खुद सीएम ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि लखनऊ में पंतनगर हो या इंद्रप्रस्थ नगर, यहां के हर निवासी की सुरक्षा और संतुष्टि हमारी जिम्मेदारी है. कुकरैल नदी पुनर्जीवन परियोजना से प्रभावित परिवार निश्चिंत रहें. निजी मकानों पर चिह्नीकरण का कोई औचित्य नहीं था, ऐसा करने वालों की जवाबदेही तय की जाएगी. संबंधित अधिकारियों को क्षेत्र में लोगों से मिलकर उनका भय और भ्रम दूर करने और वहां जन सुविधाओं के विकास को लेकर निर्देश दिया हूं.
इस तरह से इन दो मुद्दों के जरिए सरकार ने शिक्षकों और मकान मालिकों की नाराजगी को भुनाने का काम किया है. सरकार ने अपने इस फैसले के जरिए जनता में यह संदेश देने की भी कोशिश की है कि वो उनकी चिंता करती है. सीएम योगी ने अपने पोस्ट में सुरक्षा और संतुष्टि हमारी जिम्मेदारी की बात कही भी है.