डोनाल्ड ट्रंप पर हमले से अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की दिशा बदलेगी!
दुनिया भर की मीडिया में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक फोटो छायी हुई है. इसमें उनके चेहरे पर खून की कुछ लकीरें दिख रही हैं और वो मुट्ठी बांधे, गर्दन थोड़ी ऊंची किए सामने क्षितिज की ओर देख रहे हैं. ऐसा लगता है, वो घायल अवस्था में भी लोगों को खून-ख़राबे से न डरने और उनको संघर्ष करने के लिए उद्यत कर रहे हैं. 78 साल के डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी से राष्ट्रपति के चुनाव के लिए प्रत्याशी हैं. उनका मुकाबला डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन से होगा, जो मौजूदा राष्ट्रपति हैं. जो बाइडेन 81 साल पूरे कर चुके हैं. उम्र के लिहाज से दोनों आसपास हैं लेकिन ट्रंप की फिटनेस सबको दिख गई. उधर जो बाइडेन की पिछली दिनों कुछ ऐसी फोटो आईं, जिनमें उनका भुलक्कड़पन और लाचारी साफ दिख रही है. इस तरह एक अपराधी ने अपनी हरकत से ट्रंप का पलड़ा अनायास भारी कर दिया है.
बाइडेन अब डिफेंसिव हो गए हैं
अब जो बाइडेन और उनकी पार्टी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपनी रणनीति बदलेगी. नवंबर में चुनाव हैं और अपनी अधिक उम्र होने के कारण जो बाइडेन जीत पाएंगे, इसमें संदेह है. वो अभी तक अपने प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप पर निजी हमले करते आ रहे थे. मसलन उनका बेटा भ्रष्ट है या ट्रंप ने कैपिटल हिल पर हमले के लिए अपने समर्थकों को उकसाया था लेकिन शनिवार की शाम (भारतीय समय के अनुसार रविवार सुबह) पेंसिलवानिया में ट्रंप पर जिस तरह से गोली चलाई गई, उससे डेमोक्रेटिक पार्टी डिफेंसिव हो गई है. हमला किसी ने भी किया हो मैसेज यही जाएगा कि हो न हो इस हमले में डेमोक्रेटिक पार्टी का हाथ है. इसलिए अब बाइडेन चुनाव प्रचार में हिंसा की निंदा कर रहे हैं. इस हमले में गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूती हुई गुजर गई. उनके पास जो व्यक्ति खड़ा था, उसे गोली लगी और वह वहीं ढेर हो गया.
ट्रंप पर हमले की हर जगह निंदा
एक निर्दोष अमेरिकी नागरिक के मारे जाने से संयुक्त राज्य अमेरिका की जनता क्षुब्ध है और लोगों में गुस्सा है. यही कारण है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश के नाम जो संबोधन किया उसमें राजनीति में हिंसा की घोर निंदा की. बाइडेन ने तत्काल ट्रंप की सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के निर्देश सीक्रेट सर्विस को दिए हैं. दुनिया के सभी देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने ट्रंप पर हमले की कड़ी निंदा की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, ‘अपने मित्र डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले की में कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ’. उन्होंने आगे कहा, लोकतंत्र और राजनीति में हिंसा का कोई स्थान नहीं है. फ़्रांस, ब्रिटेन और इटली में सरकार के प्रमुखों ने डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले को निंदनीय बताया है. इस चौतरफा निंदा अभियान से डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति चुनाव में ग्राफ बढ़ा है.
गन कल्चर का नतीजा
अमेरिका में जिस तरह से गन कल्चर (Gun Culture) पनपी है, वह अमेरिका के राजनेताओं के लिए भी सिरदर्द बनती जा रही है. वहां पर कोई भी व्यक्ति बंदूक को सीधे शॉप पर जाकर खरीद सकता है. बिना अभ्यास के बंदूक चला सकता है. स्थिति यह हो गई है कि बंदूक वहां आत्म रक्षा में कम लूट और डकैती में अधिक इस्तेमाल होती है. वॉल्मार्ट और कॉस्को जैसे स्टोर्स में लोग गन लेकर घुस जाते हैं और लूट-मार करते हैं. पांच सौ डॉलर तक की लूट पर न तो कोई दूकानदार पुलिस की मदद लेने की कोशिश करता है न पुलिस को उसकी सहायता में कोई दिलचस्पी होती है. पेट्रोल पम्प पर लूट की खबरें वहां आम हैं. न्यूयॉर्क जैसे बड़े और बिजी शहरों के डाउन टाउन में देर रात कोई महिला घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं करती. शिकागो तो बदमाशों के लिए मशहूर है.
USA के चार राष्ट्रपति हमलों में मारे गए
यह कितनी सोचनीय बात है कि जो संयुक्त राज्य अमेरिका अगले 200 साल तक की हर आपदा से निपटने में सक्षम होने का दावा करता है, वह बंदूक की संस्कृति से नहीं उबर पा रहा. किसे नहीं पता कि लोकतंत्र और व्यक्ति की स्वतंत्रता का झंडा बुलंद करने वाला अमेरिका अपने चार राष्ट्रपतियों का सफाया करवा चुका है. अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की 1865 में हत्या कर दी गई थी. लिंकन के बाद एम. गार्फ़ील्ड और विल्यम मैकनले की हत्या हुई और फिर 1963 में और 35 वें राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. अमेरिका जैसे ताकतवर देश के भीतर इस तरह की गोलीबारी चौंकाती है. इसके अलावा राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव लड़ रहे कई राष्ट्रपतियों को निशाना बनाया गया. ऐसे ही डेमोक्रेटिक पार्टी के एक प्रत्याशी रॉबर्ट एफ. केनेडी की 1912 में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. रोनाल्ड रीगन और थेडोर रूजवेल्ट की भी हत्या की कोशिश हुई. अमेरिकी राजनीति में हिंसा कभी थमी नहीं.
कोई थ्योरी नहीं चली
लेकिन आम लोगों में इस बार जिस तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली, वैसी पहले कभी नहीं दिखी. पहले तो यह प्रचारित किया गया कि हो सकता है डोनाल्ड ट्रंप ने खुद अपने ऊपर गोली चलवाई हो. हालांकि सिक्योरिटी गार्ड्ज़ ने फौरन हत्यारे को मार गिराया था, इसलिए पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सका. साथ ही एलेन मस्क ने इस हत्याकांड की टाइम लाइन प्रस्तुत कर दी. जैसे कि कितने बजे ट्रंप वहां पहुंचे और किस समय भाषण शुरू किया. भाषण के कितनी देर बाद गोली चली और कैसे वह गोली ट्रंप के कान को छूती हुई एक निर्दोष नागरिक को जा कर लगी. वह नागरिक वहीं मारा गया. तब ट्रंप द्वारा खुद पर गोली चलवाने की थ्योरी परवान नहीं चढ़ सकी. अमेरिका के श्वेत लोगों में ट्रंप के प्रति दीवानगी सिर पर चढ़ कर बोल रही है. इसलिए भी ट्रंप के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी का हमलावर रुख भोथरा हुआ है.
घुसपैठ से नाराज अमेरिकी
अमेरिका में घुसपैठ इतनी अधिक होती जा रही है कि वहां की श्वेत जनता परेशान है. रिपब्लिकन पार्टी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठती है इसलिए ट्रंप की लोकप्रियता गोरों में खूब है. पेंसिलवानिया में ट्रंप ने अपनी स्पीच में जैसे ही अवैध आव्रजन का मुद्दा उठाया अचानक छह राउंड गोली चली. ट्रंप झुक गए, फौरन सीक्रेट सर्विस वालों ने ट्रंप को घेर लिया और मंच से नीचे उतरो की गुहार करने लगे पर तब तक एक नागरिक मारा गया. हमलावर के मारे जाते ही ट्रंप खड़े हुए तो पब्लिक ने देखा, उनके चेहरे पर खून की लकीरें हैं और वे मुट्ठी भींच कर लड़ो-लड़ो का आह्वान करने लगे. उनके समर्थकों ने भी USA-USA का नारा लगाया. इसके बाद सीक्रेट सर्विस वाले ट्रंप को मंच से नीचे लेकर चले गए. हमलावर 20 साल का टॉमस मैथ्यू क्रुक्स था.
सहानुभूति का लाभ मिल सकता है ट्रंप को
ट्रंप पर हुए हमले के चलते पब्लिक की सहानुभूति ट्रंप के साथ जुड़ गई है. यूं भी अमेरिका में जो नया मतदाता वर्ग पनपा है, उसमें किसी मुद्दे पर गंभीरतापूर्वक मनन करने वाले बहुत कम हैं. उन्हें बस एक चिंता परेशान करती है कि उनके देश में उनका अधिकार अवैध रूप से रह रहे प्रवासी हड़प रहे हैं. इसलिए उन्हें अप्रवासियों, शरणार्थियों और कम होती जा रही श्वेत आबादी के प्रति गुस्सा है. लोकतंत्र और मानवाधिकार के जो मूल्य दुनिया के इस सबसे पुराने और निरंतरता बनाए रखने वाले लोकतंत्र ने गढ़े थे, वे नष्ट हो रहे हैं. इसलिए जिस लोकप्रियता को रिपब्लिकन पार्टी भुनाती रही है, वह उसके लिए और बंपर ले आया है. अब यदि डेमोक्रेटिक पार्टी सिर्फ ट्रंप पर निजी हमला करती रही तो रिपब्लिकन को कमजोर करना मुश्किल हो जाएगा.