‘ड्रैगन’ की एक चाल से मचा बवाल, भारत को छोड़ चीन के पीछे भागे निवेशक

जून में 26,565 करोड़ रुपए, जुलाई में 32,365 करोड़ रुपए, अगस्त में 7,320 और सितंबर में 57,724 करोड़ रुपए. ये कोई मामूली आंकड़ा नहीं है. ये रुपया विदेशी पोर्टफोलियो इंवेस्टर्स ने भारत के शेयर बाजारों में लगाया था. अग इन चारों रकम को जोड़ दिया जाए तो करीब 1.24 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा. लगातार ओवरवैल्यूड होते भारतीय शेयर बाजार में लगातार पैसा लगाने वाले विदेशी निवेशकों को ऐसा क्या हो गया कि अक्टूबर आते ही महज चार दिनों में 27 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा निकाल लिया?
जी हां, ये रकम भी छोटी नहीं है. वास्तव में बीते कुछ बरसों में इमर्जिंग मार्केट्स में पैसा लगाने वाले निवेशकों ने भारत पर भरोसा इ​सलिए जताया था क्योंकि चीन की इकोनॉमी डूब रही थी. कोविड के बाद की जो परिस्थितियां सामने आई थी, उसे विदेशी निवेशकों का भरोसा चीन के बाजार से उठ रहा था. ऐसे में उनके पास दूसरा विकल्प भारत था, जिसके आसरे विदेशी निवेशकों ने खूब पैसा बनाया. अब चीन ने एक ऐसी चाल चली है कि एक बार फिर से विदेशी निवेशकों का रुख चीन की ओर हो गया है.
वास्तव में चीन की सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट करने के लिए 140 अरब डॉलर के पैकेज का ऐलान कर दिया है. अब इसका असर ये हुआ कि विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर बाजार से मुनाफा वसूली कर चीन के शेयर बाजार में पैसा लगा दिया. जिसकी वजह से पिछले हफ्ते शेयर बाजार में 4.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली. यहां तक कि घरेलू निवेशकों का पैसा भी इस गिरावट को नहीं रोक सका. आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में शेयर बाजार से कितना पैसा निकाल लिया है?
विदेशी निवेशकों का यू-टर्न
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल और चीन के बाजारों के बेहतर प्रदर्शन के कारण अक्टूबर के पहले तीन कारोबारी सत्रों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजारों से 27,142 करोड़ रुपए निकाले हैं. इससे पहले सितंबर में भारतीय शेयर बाजार में एफपीआई का निवेश 9 महीने के उच्चस्तर 57,724 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. अप्रैल-मई में शेयरों से 34,252 करोड़ रुपए निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे हैं. डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में जनवरी, अप्रैल और मई को छोड़कर अन्य महीनों में एफपीआई शुद्ध लिवाल रहे हैं.
बॉन्ड मार्केट में भी मुनाफावसूली
आंकड़ों के अनुसार, एक से चार अक्टूबर के बीच एफपीआई ने शेयरों से शुद्ध रूप से 27,142 करोड़ रुपये निकाले हैं. दो अक्टूबर को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में बाजार बंद रहे थे. ऋण या बॉन्ड बाजार की बात करें, तो समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने सामान्य सीमा के माध्यम से 900 करोड़ निकाले हैं और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के माध्यम से 190 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इस साल अबतक एफपीआई ने शेयरों में 73,468 करोड़ रुपये और ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.09 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है.
क्या कहते हैं जानकार
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भू-राजनीतिक घटनाक्रम और ब्याज दरों की भविष्य की दिशा जैसे कारक आगे भारतीय बाजार में एफपीआई के निवेश की दिशा तय करेंगे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि चीन के शेयरों के बेहतर प्रदर्शन के कारण एफपीआई की बिकवाली बढ़ी है. पिछले एक महीने में हैंग सेंग सूचकांक में 26 फीसदी की तेजी आई है और इसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है, क्योंकि चीनी शेयरों का मूल्यांकन बहुत कम है और वहां अधिकारियों द्वारा लागू किए जा रहे मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन से अर्थव्यवस्था के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.

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