तिरुपति मंदिर की हुंडी में 6 महीने में आए 670 करोड़ रुपए, जानें कितनी है कुल संपत्ति
आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमला में स्थित है तिरुमाला वेंकन्ना का भव्य मंदिर. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि वो मानव जाति को कलियुग की परीक्षाओं और परेशानियों से बचाने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुए थे. अपनी अकूत सम्पत्ति के लिए जाना जाने वाला ये मंदिर फिर से चर्चा में है. इन दिनों मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी के साथ-साथ मंदिर का राजस्व भी रिकॉर्ड तोड़ रहा है.
खबरों की मानें तो, तिरुमाला वेंकन्ना की आय दिन-ब-दिन बढ़ रही है. विपत्तियों को दूर करने वाले भगवान को उपहार देने वाले भक्तों की संख्या तिरुमलेश की सम्पत्ति में बढ़ावा कर रहा है. भगवान वेंकन्ना के पास बेशकीमती सोने के आभूषण हैं और इस साल के पहले 6 महीनों में हुंडी की आय में 670.21 करोड़ रुपये जमा हुए हैं. इस साल जनवरी में 116.46 करोड़ रुपये, फरवरी में 111.71 करोड़ रुपये, मार्च में 118.49 करोड़ रुपये, अप्रैल में 101.63 करोड़ रुपये, मई में 108.28 करोड़ रुपये और 113.64 करोड़ रुपये हुंडी उपहार के रूप में प्राप्त हुए हैं.
टीटीडी ने दी आय की जानकारी
इसके अलावा, टीटीडी ने सात महीने पहले एडुकोंडालावाडी के स्वामित्व वाली संपत्ति की जानकारी भी दी थी. टीटीडी ने 24 बैंक खातों में जमा राशि और सोने का विवरण जारी किया है. इस जानकारी के मुताबिक, 31 अक्टूबर 2023 तक 17,816.15 करोड़ नकद जमा किया गया है. इसके अलावा, सोने के भंडार की भी जानकारी सामने आई है. टीटीडी का सोना दो बैंकों में है, टीटीडी ने कहा है कि 31 अक्टूबर, 2023 तक 11,225.66 किलोग्राम सोना जमा है. वर्तमान में, टीटीडी ने भारतीय स्टेट बैंक में 10786.67 किलोग्राम सोना और इंडियन ओवरसीज बैंक में 438.99 किलोग्राम सोना जमा किया है.
तिरुमाला में भक्तों का आना भी जारी
इस बीच तिरुमाला में भक्तों का आना भी जारी है. बुधवार को पहली एकादशी होने के कारण स्वामी के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. अधिकारियों ने बताया कि 300 रुपये में दर्शन में तीन से पांच घंटे लगते हैं. टीटीडी प्रसाद की बिक्री, कमरों के आवंटन, दान आदि के माध्यम से आय अर्जित करता है. वेंकन्ना के पास बेशकीमती गहने और हीरे हैं. आम आदमी से लेकर अमीरों, राजा-महाराजाओं, नवाबों, ब्रिटिश शासकों, महंतों, सरदारों, जनता के प्रतिनिधियों तक ने अनेक दान और उपहार दिए. तिरुमलेश हर साल सजावट के लिए 500 टन फूलों का इस्तेमाल किया जाता है.