तिरुवल्लूर लोकसभा सीट से जीतने वाले कांग्रेस के शशिकांत सेंथिल कौन हैं? जानिए अपने सांसद को

तमिलनाडु के तिरुवल्लूर लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस पार्टी के शशिकांत सेंथिल ने बीजेपी के पोन वी बालगणपति को 5,72,155 वोटों के बड़े मार्जिन से हरा दिया है. सेंथिल को 7 लाख 96 हजार 956 वोट मिले. बता दें कि कांग्रेस ने इस बार डॉक्टर के. जयकुमार का टिकट काटकर शशिकांत सेंथिल को चुनावी मैदान में उतारा था. लिहाजा इसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला और रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल कर ली है. आइए जानते हैं कौन है शशिकांत सेंथिल जिनको तिरुवल्लूर क्षेत्र की जनता ने संसद भवन भेजा है.
शशिकांत सेंथिल ने साल 2020 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली थी. इस चुनाव में इनकी ये 5 लाख की जीत बताती है कि सेंथिल ने क्षेत्र में कितनी मेहनत की है. साथ ही ये जीत का आंकड़ा बता रहा है, ये कोई आम कार्यकर्ता नहीं है. 44 साल के सेंथिल 2009 बैच के IAS हैं. यूपीएससी की परीक्षा में ये राज्य के टॉपर रहे और ऑल इंडिया में 9वीं रैंक हासिल की थी. इसके बाद इन्हें कर्नाटक कैडर मिला. सितंबर 2019 में इन्होंने इस नौकरी से इस्तीफा दे दिया. इनकी पत्नी डिजाइनर इंजिनियर हैं. चुनाव आयोग में दर्ज हलफनामे के अनुसार इनके पास 2 करोड़ से ज्यादा संपत्ति है. हालांकि इनपर किसी भी तरह की कोई लेनदारी नहीं है. सेंथिल पर ओई अपराधिक मुकदमा भी नहीं दर्ज है.
नवम्बर 2020 में थामा कांग्रेस का दामन
ये वही शशिकांत सेंथिल हैं, जिन्हें कर्नाटक की जीत का श्रेय जाता है. राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी वार रूम में बैठकर कई रणनीतियां बनाई थी. इस्तीफे के बाद प्रशासन से दूर रहते हुए इन्हें करीब साल भर हो गया. तब शाशन के जरिए जनता की बीच आने के लिए इन्होंने नवम्बर 2020 में कांग्रेस पार्टी का दामन थामा. लिहाजा इन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने की शुरुआत भी हो गई.
बन गए राहुल के करीबी
2021 में तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में इनको सेंट्रल वॉर रूम का चेयरमैन बनाया गया. इनके काम करने के तरीके से कांग्रेस का आला कमान प्रभावित हुआ. इन्हें भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी और सिविल सोसायटी के बीच संपर्क की अहम जिम्मेदारी मिली. इसी बीच ये राहुल के करीब भी आ गए. इस चुनाव में भी सेंथिल ने कांग्रेस की जीत में बड़ी भूमिका दर्ज कराई है.
चर्चा में रहा इस्तीफा पत्र
सेंथिल ने इस्तीफा देते हुए पत्र में ये लिखा था कि “मेरे लिए ऐसे समय पर प्रशासनिक अधिकारी के तोर पर काम करते रहना अनैतिक होगा, जब हमारे समृद्ध लोकतंत्र के मौलिक आधारभूत स्तंभों से समझौता किया जा रहा है.” आगे लिखा कि “मेरा यह भी मानना है कि आने वाले दिन देश के सामने बेहद कठिन चुनौतियां पेश करेंगे लिहाजा इस समय अपने काम को जारी रखने के लिए आईएएस से बाहर होना बेहतर होगा.
तिरुवल्लूर का चुनावी इतिहास
तिरुवल्लूर लोकसभा क्षेत्र साल 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया था. इसका गठन गुम्मिडिपोंडी, पोन्नेरी (एससी), तिरुवल्लुर और पूनमल्ली (एससी) विधानसभा क्षेत्रों को मिलाने से हुआ है. तिरुवल्लूर लोकसभा क्षेत्र में करीब 22 लाख मतदाता हैं. 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. दिग्गज नेता पी. वेणुगोपाल ने यहां से ऑल इंडिया द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम के टिकट पर लगातार दो बार जीत हासिल की.

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