तीन दशक पुराने केस में बढ़ सकती हैं पूर्व विधायक छोटे सिंह की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये आदेश

तीन दशक पुराने दोहरे हत्याकांड के मामले में पूर्व बसपा विधायक छोटे सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को फिर से खोलने का आदेश दिया है. कोर्ट ने इस मुकदमे को वापस लेने के यूपी सरकार के 2008 के आदेश को पलटते हुए चिंता व्यक्त की है. छोटे सिंह मौजूदा समय में बीजेपी में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्याय प्रणाली को प्रभावित करने वाली लंबी देरी और संभावित राजनीतिक प्रभाव की चिंताओं पर प्रकाश डाला. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ के फैसले ने न्यायिक प्रक्रिया में प्रणालीगत मुद्दों पर बात की. विशेष रूप से पारवफुल लोगों द्वारा अनुचित प्रभाव, जो अक्सर कानूनी कार्यवाही में देरी का कारण बनता है.
शक्तिशाली लोगों का अनुचित प्रभाव स्थिति को खराब कर देता है
कोर्ट ने माना कि देश की न्यायिक प्रणाली अक्सर कानूनी कार्यवाही में लंबे समय तक देरी और राजनीतिक प्रभाव के व्यापक मुद्दों से जूझती रहती है. शक्तिशाली लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला अनुचित प्रभाव स्थिति को और खराब कर देता है. ये प्रभाव निष्पक्षता के बारे में चिंताएं बढ़ाता है. हमें खामियों को दूर करने और मुकदमों का समय पर समाधान सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है.
आरोपी की अच्छी छवि के आधार पर केस वापस लेना ठीक नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोहरे हत्याकांड जैसे गंभीर अपराध के मामलों में जांच के बाद चार्जशीट में आरोपी की अच्छी छवि के आधार पर अभियोजन वापस लेना सही नहीं है. ट्रायल कोर्ट के दृष्टिकोण के खिलाफ इस तरह की वापसी को सार्वजनिक हित में अनुमति नहीं दी जा सकती है.
फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की आलोचना करते हुए पीठ ने खेद भी व्यक्त किया है. कहा है कि आरोपियों को अपने मुकदमे में देरी करने के लिए राजनीतिक प्रभाव में टाल-मटोल की रणनीति अपनाने की अनुमति देकर हाईकोर्ट यह सुनिश्चित करने में विफल रहा कि न्याय प्रणाली गति में है और इसके कारण रुकी नहीं है.

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