… तो देशभक्त नहीं हो सकता सरकारी कर्मचारी, RSS पर ओवैसी का बड़ा हमला
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में अब सरकारी कर्मचारी बेहिचक शामिल हो सकेंगे. केंद्र सरकार ने एक आदेश के जरिए RSS से जुड़े 58 साल पुराने बैन को हटा दिया. इस फैसले के खिलाफ सवाल खड़े किए जाने लगे हैं. आदेश जारी होते ही कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा. इसके बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया व हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी भड़क गए हैं. उन्होंने इस फैसले को भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ बताया है. साथ ही साथ आरएसएस पर निशाना साधा है.
हैदराबाद के सांसद ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘इस कार्यालय ज्ञापन में कथित तौर पर दिखाया गया है कि सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध हटा दिया है. अगर यह सच है, तो यह भारत की अखंडता और एकता के खिलाफ है. आरएसएस पर प्रतिबंध इसलिए है क्योंकि इसने संविधान, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हर आरएसएस सदस्य हिंदुत्व को राष्ट्र से ऊपर रखने की शपथ लेता है. अगर कोई भी सरकारी कर्मचारी आरएसएस का सदस्य है तो वह राष्ट्र के प्रति वफादार नहीं हो सकता.’
This office memo purportedly shows that the govt has lifted the ban on govt employees participating in RSS activities. If true, this is against Indias integrity and unity. The ban on RSS exists because it had originally refused to accept the constitution, the national flag & the pic.twitter.com/J7yUL7Ckvl
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 22, 2024
कांग्रेस ने इस फैसले पर क्या कहा?
दरअसल, 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने RSS के कार्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर बैन लगाया था. अब डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल और ट्रेनिंग ने एक आदेश जारी करते हुए इसे रद्द कर दिया. पहले के आदेश में सरकारी कर्मचारियों के RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने पर सजा का प्रावधान था. सरकारी कर्मचारी रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन आदि के लाभ को ध्यान में रखते हुए भी RSS के कार्यक्रमों में शामिल होने से बचते रहे थे. अब नए आदेश से सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है.
इस कानून के रद्द होने के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘फरवरी 1948 में गांधी जी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया. इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया. 1966 में RSS के कार्यक्रमों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया और यह सही निर्णय भी था. यह प्रतिबंध अटल बिहारी वाजपेयी के पीएम रहते हुए भी लागू था. मेरा मानना है कि नौकरशाही अब निक्कर में भी आ सकती है.’
प्रियांक खरगे आरएसएस के कार्यक्रम की कर चुके हैं आलोचना
इस बीच, कर्नाटक के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री प्रियांक खरगे ने हाल ही में कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित RSS के एक कार्यक्रम की आलोचना की है. प्रियांक खरगे ने विश्वविद्यालय पर ‘आरएसएस शाखा’ में तब्दील होने का आरोप लगाया है.18 जुलाई को आयोजित इस कार्यक्रम में छात्रों और फैकल्टी मेंबर्स ने आरएसएस की प्रार्थना ‘नमस्ते सदा वत्सले’ का गायन किया और ‘ध्वज प्रणाम’ किया था. यह सभा आरएसएस के आगामी शताब्दी समारोह की तैयारियों का हिस्सा थी.