दक्षिणपंथी विचारधारा का एक और देश में दबदबा, विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में पहली बार मिली ऐतिहासिक जीत
पश्चिमी देशों में तेजी से दक्षिणपंथी विचारधारा का दबदबा बढ़ रहा है. इटली फ्रांस से लेकर जर्मनी तक दक्षिणपंथी पार्टियां लोगों की पसंद बनती जा रही हैं. हाल ही में जर्मनी में हुए रीजनल चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (AfD) ने देश की पूर्वी राज्य थ्यूरिंगिया में सबसे ज्यादा वोट हासिल किए हैं. AfD एक प्रवासन विरोधी पार्टी है, जिसका गठन 2013 में प्रवासी विरोधी एजेंडे के साथ हुआ था.
जर्मनी में दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी चुनाव में दक्षिणपंथी पार्टी सबसे ज्यादा वोट लेकर आई है. पार्टी को थ्यूरिंगिया में 32.8 फीसद वोट मिले हैं, जबकि मुख्यधारा की रूढ़िवादी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (CDU) को 23.6% वोट मिले. हालांकि, AfD की सरकार बनाने की संभावना बहुत कम है क्योंकि अन्य प्रतिद्वंदी पार्टियों के गठबंधन से इसे सत्ता से दूर रखा जा सकता है.
Germany, Saxony regional parliament election today:
Preliminary final result (seats)
CDU-EPP: 41 (-4)
AfD-ESN: 40 (+2)
BSW-NI: 15 (new)
SPD-S&D: 10
GRÜNE-G/EFA: 7 (-5)
LINKE-LEFT: 6 (-8)
FW-RE 1 (+1)
+/- vs. 2019 election result
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— Europe Elects (@EuropeElects) September 1, 2024
पार्टी के प्रदर्शन से गर्व महसूस कर रहे नेता
AfD ने अपने 16 सालों के इतिहास में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. सिर्फ थ्यूरिंगिया राज्य में ही नहीं पार्टी ने पड़ोसी राज्य सैक्सनी में भी अच्छा प्रदर्शन किया, जहां वे CDU से महज 0.5 फीसद वोटों से पीछे रही. सैक्सनी में CDU को 32 फीसद वोट मिले जबकि AfD को 31.5 फीसद वोट मिले हैं.
पार्टी के इस प्रदर्शन के बाद थुरिंगिया से AfD के उम्मीदवार ब्योर्न होके ने ऐतिहासिक जीत की सराहना की और कहा कि उनके लिए ये गर्व की बात है. Afd के कई नेता अपने आपत्तिजनक बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं. ब्योर्न होके को जर्मनी में दक्षिणपंथी चरमपंथी के रूप में देखा जाता है उन्होंने कई विवादास्पद बयान दिए हैं और उन पर पिछले दिनों नाजी नारे का इस्तेमाल करने के लिए जुर्माना भी लगाया गया था.
दक्षिणपंथी पार्टी की इस जीत पर होलोकॉस्ट सर्वाइवर्स में से एक शार्लोट नोब्लोच ने कहा कि ये नतीजे देश लिए चिंताजनक हैं.
देश के आम चुनाव में भी हो सकते हैं दक्षिणपंथी हावी
जर्मनी के फेडरल चुनाव में करीब एक साल का समय बचा है. ऐसे में राज्य के चुनावों में AfD की बढ़त देश के मूड का संकेत दे रही है, माना जा रहा है कि देश के अंदर लोग दक्षिणपंथी विचारधारा को पसंद कर रहे हैं. जानकारों का मानना है कि नौकरियों की कमी और बढ़ती महंगाई को लेकर यूरोप के लोगों में प्रवासी विरोधी भावनाओं ने जन्म लिया है और वे ऐसी पार्टियों की तरफ जा रहे हैं, जो प्रवासियों को रोकने की वकालत कर रही हैं.
फेडरल चुनाव को लेकर किए गए ओपिनियन पोल्स में भी AfD को दूसरे स्थान पर दिखाया गया है. पार्टी के नेता एलिस वीडेल ने कहा कि यह नतीजे जर्मनी को चलाने वाली तीनों पार्टियों के लिए एक संदेश है कि दोनों पूर्वी राज्यों के मतदाता उनकी पार्टी को सरकार में देखना चाहते थे. उन्होंने आगे कहा कि “हमारे बिना एक स्थिर सरकार अब संभव नहीं है.”
पश्चिमी देशों में दक्षिणपंथ का प्रभाव
यूरोप के कई देशों में प्रवासी विरोधी भावना बढ़ रही है, इसके अलावा दक्षिणपंथी पार्टियों की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. इटली में मेलोनी ने 2022 में पहली बार दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दक्षिणपंथी सरकार बनाई. वहीं फ्रांस में ली पेन की पार्टी नेशनल रैली पहले चरण में देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, हालांकि दूसरे चरण में सेंटर और लेफ्ट पार्टियों ने गठबंधन कर नेशनल रैली को सत्ता में आने से रोक दिया. अमेरिका में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है, जहां डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी रिपब्लिकन चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी को कड़ी टक्कर दे रही है. ट्रंप को भी प्रवासी विरोधी माना जाता है.