दक्षिण कोरिया में डॉग मीट पर बैन को लेकर टेंशन, मुआवजे को लेकर सरकार-किसानों में ठनी
दक्षिण कोरिया की सरकार ने साल 2027 से डॉग मीट इंडस्ट्री पर बैन लगाने का फैसला किया है, जिसके चलते सरकार ने अब डॉग मीट इंडस्ट्री पर बैन से पहले किसानों और अन्य लोगों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन मुआवजे के लिए सरकार ने जो प्लान बनाया है उसे लेकर किसान और पशु अधिकार कार्यकर्ता दोनों ही विरोध कर रहे हैं.
दरअसल दक्षिण कोरियाई संसद ने इसी साल जनवरी में एक ऐतिहासिक बिल पास किया था, इसके तहत 3 साल बाद लोगों के खाने के लिए कुत्तों को काटना, उनकी ब्रीडिंग करना या डॉग मीट बेचना प्रतिबंधित हो जाएगा. सरकार का यह कानून 2027 में प्रभावी होगा और इसका उल्लंघन करने पर 2 से 3 साल तक की जेल की सजा भी हो सकती है.
किसानों को कितना मुआवजा देगी सरकार?
दक्षिण कोरिया के कृषि मंत्रालय ने कहा है कि अगर किसान डॉग मीट को लेकर अपना बिजनेस पहले ही बंद करने को राज़ी हो जाते हैं तो उन्हें प्रति डॉग करीब 14 हजार रुपये से लेकर करीब 37 हजार 500 रुपये तक मुआवज़ा मिलेगा.
हालांकि माना जा रहा है कि किसान सरकार के इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे क्योंकि उनकी ओर से प्रति डॉग करीब सवा लाख रुपये की मांग की जा रही थी. किसानों का कहना है कि यह प्रतिबंध उनकी आजादी का उल्लंघन करता है और इससे उनके लिए आर्थिक परेशानियां बढ़ जाएंगी.
मंगलवार को जारी डॉग मीट कारोबार से जुड़े किसानों के एसोसिएशन ने बयान जारी कर सरकार से मांग की है कि कानून में संशोधन कर ग्रेस पीरियड को बढ़ाया जाए साथ ही किसानों के लिए उचित मुआवजा प्लान बनाएं.
सरकार के मुआवजा प्लान पर सवाल
वहीं पशु क्रूरता के खिलाफ काम करने वाली संस्था ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल की कैंपेन मैनेजर सांगयुंग ली ने कहा है कि सरकार का यह ऐलान इस ऐतिहासिक कानून के लिए महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. उन्होंने कहा कि इससे प्रतिबंध पूरी तरह लागू होगा और देश में डॉग मीट युग की समाप्ति होगी.
हालांकि उन्होंने सरकार के मुआवजे की योजना को निराशाजनक बताया है. ली का कहना है कि दक्षिण कोरिया सरकार का यह प्लान किसानों के पास मौजूद कुत्तों की संख्या के आधार पर मुआवजा तय करता है, इससे डॉग ब्रीडिंग बढ़ने की अधिक संभावना है जिससे उन्हें ज्यादा से ज्यादा मुआवजा मिल सके. उन्होंने कहा कि इससे परेशानी और बढ़ सकती है.
बड़े पैमाने पर होती है डॉग ब्रीडिंग
कोरियाई प्रायद्वीप में डॉग मीट खाने की प्रथा सदियों पुरानी है. चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और कुछ अफ्रीकी देशों में भी डॉग मीट खाया जाता है. लेकिन दक्षिण कोरिया की सांस्कृतिक और आर्थिक महाशक्ति वाली प्रतिष्ठा के चलते देश की डॉग मीट इंडस्ट्री ने ज्यादा ध्यान खींचा है. साथ ही यह एकमात्र देश है जहां इंडस्ट्रियल स्केल पर कुत्तों की खेती होती है.
साउथ कोरिया के एंटी डॉग मीट कैंपेन को तब बूस्ट मिला जब देश की फर्स्ट लेडी किम किओन ही ने बार-बार इस पर प्रतिबंध लगाने को लेकर अपना समर्थन जताया. इसके चलते वह किसानों ने प्रदर्शन और आंदोलन के दौरान निशाने पर रहीं हैं, किसानों ने उनका खासा विरोध जताया है.
वहीं सर्वेक्षणों में पाया गया है कि दक्षिण कोरिया में हर 3 में से एक व्यक्ति इस प्रतिबंध के खिलाफ है. जबकि ज्यादातर आबादी अब डॉग मीट का सेवन नहीं करती है और वह बैन का समर्थन करती है.
किसानों के लिए सरकार की योजना
उप-कृषि मंत्री पार्क बोएसु ने पत्रकारों को बताया है कि एक स्टडी से पता चलता है कि देशभर में इस समय करीब 4 लाख 66 हजार कुत्तों को खाने के लिए बड़ा किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि वो किसानों को बैन से पहले खुद की डॉग ब्रीडिंग रोकने के लिए राजी कर सके. उन्होंने कहा है कि सरकार की योजना है कि प्रतिबंध लागू होने के बाद जो कुत्ते बचेंगे उन्हें मारने के बजाए अडॉप्शन के लिए दिया जाए या फिर केयर फैसिलिटीज में रखा जाए.
कृषि मंत्रालय ने कहा कि कसाइयों को भी मुआवजा दिया जाएगा, जबकि लोकल अथॉरिटीज पर डॉग फार्म्स और स्लॉटरहाउस को नष्ट करने का जिम्मा होगा. मंत्रालय के मुताबिक इस व्यवसाय से जुड़े किसानों और कसाइयों को कम ब्याज दरों पर लोन भी दिया जाएगा जिससे वह कोई दूसरा कृषि-व्यवसाय शुरू कर सकें.