दक्षिण भारत की परंपराओं को संजोए, धार्मिक स्थलों और प्राकृतिक खूबसूरती वाला शहर ‘सेलम’
तमिलनाडु का ‘सेलम’ दक्षिण भारत के दूसरे पर्यटक शहरों की तरह ही पारंपरिक गतिशील शहर है. यहां मौजूद प्राकृतिक नजारों और ऐतिहासिक स्थलों को देखकर बस उनमें खो जाने का मन करता है. सेलम में प्रकृति के सुंदर नज़ारों के साथ साथ मंदिर और कई दर्शनीय स्थल है. यहां यरकौड पहाड़ों के नज़ारे भी देखने योग्य हैं. सेलम को इन चार पर्वत श्रृंखलाओं ने घेरा हुआ है जिनमें जेरागामलाई, नागरामलाई, गोदुमलाई, कंजनामालाई पर्वत श्रृंखला मुख्य है.
इस शहर पर चोल, पांड्य, पल्लव, चालुक्य, होयसल राजवंशों के राजाओं ने शासन किया था. इन राजाओं के दौर में बनाए गए मंदिर, भवनों पर अद्भुत वास्तुकला के बेहतरीन काम देखने को मिलते हैं. इसके अलावा सेलम अपने ऐतिहासिक मंदिरों और अनोखे पार्कों के चलते पूरी दुनिया में अलग ही स्थान रखता है. सेलम को कॉफी और संतरे के बागानों के लिए भी जाना जाता है. यरकौड भी यहाँ का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है और इसके अलावा भी सेलम में पर्यटकों के लिए बहुत कुछ मौजूद है. एक नजर डालते हैं सेलम के पर्यटन, प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों पर –
मुत्तल का झरना : खूबसूरत झरनों के लिए मशहूर मुत्तल गांव सेलम शहर से लगभग 15 किमी की दूरी पर स्थित है. इस गांव से करीब 3 किमी जंगल में आनियालरी झरना है. इस झरने के तेज पानी का बहाव पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. मानसून के मौसम में यहां मौजूद कलवरायण पहाड़ों के बीच से पानी तेजी से नीचे गिरता है और मुत्तल झील में पहुंचता है. पर्यटन विभाग ने यहां आने वालों को आकर्षित करने के लिए बोटिंग भी शुरू कर दी है. बोटिंग के दौरान झील के प्राकृतिक नजारों के बीच पर्यटक झरने तक जाते हैं और यहां का विहंगम दृश्य देखकर हैरान रह जाते हैं.
संगागिरी किला : सेलम से 40 किमी और इरोड शहर से 20 किमी दूर संगागिरी किले को 15वीं सदी में विजयनगर के शासकों ने बनवाया था. अंग्रेजी हुकूमत ने इस किले को अपने सैनिकों के लिए अनाज और हथियार रखने के लिए इस्तेमाल किया था. इस किले को मैसूर के टीपू सुल्तान ने भी अपनी सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया था, उसके बाद अंग्रेजों ने इसे अपने सैनिकों का अड्डा बना दिया था. फिलहाल इस किले की देखभाल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करता है.
सुरक्षा के लिहाज़ से देखें तो इस किले को पहाड़ पर इस तरह बनवाया गया था कि किले पर चढ़ाई करने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता था. इसलिए संगागिरी किले को जीतना बहुत मुश्किल माना जाता था. किले में एक मौत का कुआं, एक अनाज रखने वाला बड़ा कमरा, दो मस्जिदें, भगवान वरदराज पेरुमल का मंदिर, अंग्रेज सरकार की सेना के लिए बने प्रशासनिक और खुफिया भवन के साथ एक कब्रिस्तान भी है. जिनका उपयोग पहले किले में तैनात सेनाओं द्वारा किया जाता था.
येरकोड : सेलम का हिल स्टेशन को शेवरॉय पर्वतमाला पर है जो समुद्र तल से लगभग 5000 फीट की ऊंचाई पर है. येरकोड में पर्यटकों के देखने के लिए खूबसूरत पहाड़ और वादियां हैं, इसे गरीबों का ऊटी भी कहा जाता है.
अन्ना पार्क : अन्ना झील के किनारे बने इस पार्क को फ्लावर शो के लिए जाना जाता है. यहां फ्लावर शो का आयोजन हर साल मई के महीने में किया जाता है. इसी अन्ना पार्क के अंदर एक जापानी पार्क भी है जिसे देखे बिना अन्ना पार्क का सफर अधूरा माना जाता है.
भालू गुफा : सेलम की मशहूर भालू गुफा जमीन में लगभग 7 मीटर की गहराई पर है. इसके बारे में स्थानीय लोगों की मान्यता है कि ये गुफा एक सुरंग के जरिए भगवान शेरवारोयन के मंदिर से जुड़ी है.
बोटेनिकल पार्क : प्रकृति प्रेमियों के लिए सेलम के बोटेनिकल पार्क में कई तरह की ओषधियों के गुण वाले पेड़ पौधे देखने को मिलते हैं. इसी पार्क में एक बेल रॉक है जिसमें से घंटी की आवाज आती है.
किलियुर झरना : यरकौड झील पर बना किलियुर झरना भी पर्यटकों के लिए एक दर्शनीय स्थल है. ये झरना उत्तर पूर्वी मानसून के मौसम (अक्टूबर-दिसबंर) के महीनों के बाद देखने का अपना अलग ही आनंद है. इस दौरान झरने के पानी का बहाव बहुत तेज होता है तो वहीं पानी भी कई धाराओं में नीचे गिरता है.
शेवरायण मंदिर : ये भगवान पेरुमल का मंदिर है. हर साल मई के महीने में इस मंदिर में मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के आदिवासी समाज के लोग शामिल होते हैं और भगवान पेरुमल का आशीर्वाद लेते हैं. इस मेले में आदिवासी समाज के द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है.
पगोडा पॉइंट : यरकौड़ की पहाड़ियों में स्थित इस पॉइंट को पिरामिड पॉइंट भी कहते हैं, यहां से प्रकृति का सुंदर नजारा देखने को मिलता है. इसी जगह पर एक पुराना भगवान राम का मंदिर भी है.
श्री राजा राजेश्वरी मंदिर : इस मंदिर में हिंदू धर्म के सभी देवताओं की देवी मां राजेश्वरी देवी विराजमान हैं. स्थानीय लोगों की मान्यताओं के अनुसार मां राजेश्वरी की आराधना करने से श्रद्धालुओं को धन और समृद्धि की प्राप्ती होती है. ये मंदिर यरकोड से करीब 4 किमी की दूरी पर स्थित है.
रेशम और गुलाब फार्म : इस फार्म में रेशम के कीड़ों का पालन-पोषण, रेशम के कीड़ों से रेशम के धागे निकालने और कपड़े बनाने तक की सारी विधियों को देखा जा सकता है. इसके नज़दीक ही गुलाब फार्म भी है जिसमें देशी-विदेशी गुलाब की सैकड़ों रंग-बिरंगी प्रजातियां देखने को मिलती हैं. पर्यटक गुलाब फार्म से अपनी पसंद के पौधों को खरीद भी सकते हैं. इसके अलावा शहतूत के फार्म भी बड़ी तादाद में हैं. यहां गर्मियों के दिनों में पर्यटकों को ताजा-मीठे शहतूत खाने को मिलते हैं.
सेलम के ऐतिहासिक धार्मिक स्थल : प्राकृतिक नजारों के अलावा सेलम में धार्मिक स्थल भी बड़ी तादाद में हैं. सेलम के मंदिरों की नक्काशी और वास्तुकला पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है. एक नजर डालते हैं सेलम के धार्मिक स्थलों पर :
1. सुंधरा कंधास्वामी कोविल मंदिर
2. कुमारगिरी मुरुगन मंदिर
3. लिंगम (1008) मंदिर
4. कोट्टई मरिअम्मन मंदिर
5. श्री सत्य नारायण मंदिर
6. सिद्धर मंदिर
7. अलागिरिनाथर मंदिर
8. कोट्टई पेरुमल कोइल मंदिर
9. श्री सुगुवनेश्वर मंदिर
10. सुगवनेश्वरन कोविल मंदिर
11. उत्तमा चोझापुरम मंदिर
12. थानथोद्रेश्वर मंदिर
13. अप्पा पैठियम स्वामी मंदिर
14. अरागलूर मंदिर
15. अयोध्यापट्टनम
16. बद्रकालीअम्मन मंदिर
17. कैलासनाथर थरमंगलम कोविल
18. सेलम जामा मस्जिद
19. मेट्टूर बांध (कावेरी नदी पर बना तमिलनाडु का भी सबसे बड़ा बांध)
सेलम पहुंचने के लिए आसान रास्ते
सड़क मार्ग : सेलम सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है, सेलम के लिए तामिलनाडु के सभी बड़े शहरों से बसों की सीधी सुविधा मौजूद है. निजी बसों के अलावा राज्य परिवहन निगम की बस सेवा भी मौजूद है जिससे कम कीमत पर आसानी से सेलम पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा दूसरे प्रदेशों से टेक्सी, कैब या अपने निजी वाहनों से भी आसानी से सेलम घूमने के लिए आ सकते हैं. सेलम बेंगलुरु से लगभग 180 किमी, कोयंबटूर से 170 किमी, मैसूर से तकरीबन 250 किमी और कोच्चि से 350 किलोमीटर की दुरी पर है.
रेल मार्ग : सेलम का रेलवे स्टेशन जंक्शन है जहां देश के सभी छोटे-बड़े शहरों से ट्रेनों के स्टॉपेज हैं.
हवाई मार्ग : सेलम के आने के लिए सबसे नजदीक तिरुचिरापल्ली एयरपोर्ट है जो लगभग 140 किमी की दूरी पर स्थित है, वहीं कोयंबटूर एयरपोर्ट लगभग 170 किमी और बेंगलुरु एयरपोर्ट लगभग 220 किमी की दूरी पर है.