दफन के वक्त भी ईरानी राष्ट्रपति रईसी की सूरत नहीं देखी…अब उनकी गद्दी संभालने का प्लान, जानें कौन हैं महमूद?

इब्राहिम रईसी की मौत के बाद चाहे ईरान की विदेश नीति पर कोई फर्क न पड़ा हो, लेकिन ईरान की अंदरूनी सियासत में उथल-पुथल जारी है. 28 जून को ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने हैं, द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति की कुर्सी के लिए अब तक करीब 20 नामों की चर्चा हो रही है. इनमें से एक नाम है पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद. खबरे हैं कि अहमदीनेजाद रईसी के शोक समारोह में भी शामिल नहीं हुए थे.
अहमदीनेजाद के समर्थकों द्वारा चलाए जाने वाले ‘डोलत बहार’ टेलीग्राम चैनल पर जारी एक वीडियो में अहमदीनेजाद ने अपने प्रशंसकों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि देश के हालात जल्द बेहतर होंगे, न केवल ईरान में बल्कि दुनिया में भी तेजी से बदलाव हो रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि हम जल्द ही अच्छे बदलाव देखेंगे. उन्होंने इसी संदेश में अपनी चुनाव लड़ने की मंशा भी जाहिर की है. उनके समर्थकों द्वारा उनकी संभावित उम्मीदवारी का जोरदार स्वागत किया गया है. समर्थकों का दावा है कि वे देश के सबसे लोकप्रिय राजनीतिक व्यक्तियों में से एक हैं.
कौन हैं महमूद अहमदीनेजाद?
महमूद अहमदीनेजाद ईरान और दुनिया की राजनीति के लिए नया नाम नहीं हैं. वे ईरान के सुप्रीम लीडर के करीबी माने जाते हैं. उन्होंने 2005 के राष्ट्रपति चुनाव में अली अकबर हाशमी रफसनजानी को हराकर पूरी दुनिया को चौंका दिया था. जिसके बाद वे 2013 तक ईरान के राष्ट्रपति की कुर्सी पर काबिज रहे.
ऐसा रहा सफर
अहमदीनेजाद का जन्म 28 अक्टूबर 1956 में ईरान के अरादान में हुआ था. उन्होंने तेहरान यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की और 1987 में ट्रांसपोर्ट इंजीनियरिंग में Ph.D की डिग्री हासिल की. अपने Ph.D के आखिरी साल में ही अहमदीनेजाद ने IRGC जॉइन की और इसके बाद वे ईरान में लोकप्रिय होते गए. 1980 के आखिर में ईरान के माकु और खोए के गवर्नर नियुक्त हुए. इसके बाद वे कल्चर और हायर एजुकेशन विभाग में एडवाइजर भी रहे और 2003 में तेहरान के मेयर बने. महमूद वो नेता हैं जो इजराइल को नक्शे से मिटाने की बात कहते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ वक्त में वो ईरान के राजनीतिक आकाओं के विचारों के ही विरुद्ध नजर आए हैं. रूस और यूक्रेन के युद्ध में ईरान पूरी तरह से खुलकर रूस का साथ देता आया है. जबकि महमूद अहमदीनेजाद ने खुले तौर पर यूक्रेन का समर्थन किया था. इसके अलावा कई अन्य मौकों पर भी वो अपनी ही सरकार की आलोचना लिए सुर्खियों में रहे हैं.
रईसी के सामने भी लड़ना चाहते थे चुनाव
पिछले चुनावों में भी अहमदीनेजाद ने चुनाव लड़ने के लिए अपना नाम दिया था लेकिन उनको गार्जियन काउंसिल द्वारा आयोग्य करार दे दिया गया था. अब एक बार फिर राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मृत्यु के बाद होने वाले चुनावों में उनकी संभावित उम्मीदवारी के बारे में अटकलें तेज हो गई हैं.

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