दाल-चावल को लेकर आई गुड न्यूज, 70 करोड़ से ज्यादा लोगों को मिलेगी राहत
पिछले साल चावल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई थी. यहां तक कि देश की सप्लाई में कोई परेशानी ना हो सरकार की ओर से एक्सपोर्ट तक पर पाबंदी लगा दी थी. कुछ ऐसा ही हाल दालों में देखने को मिला था. अब सरकार ने जो गुड न्यूज दी है. उससे आम लोगों को काफी राहत मिल सकती है. सरकार का मानना है कि खरीफ मौसम में अच्छी बारिश होने की वजह दाल और चावल के प्रोडक्शन में इजाफा देखने को मिलेगा. जिसकी वजह से आम लोगों को आने वाले महीनों में महंगाई से परेशान नहीं होना पड़ेगा. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर सरकार की ओर से दाल और चावल को लेकर प्रोडक्शन से जुड़े किस तरह के आंकड़े पेश किए हैं.
चावल के रकबे में इजाफा
बेहतर मानसूनी बारिश के कारण चालू खरीफ मौसम (ग्रीष्मकालीन बुआई) में अब तक धान का रकबा 7 फीसदी बढ़ गया है. जिसके बाद धान यानी चावल का रकबा बढ़कर 166.06 लाख हेक्टेयर हो गया. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 19 जुलाई तक धान की बुवाई 155.65 लाख हेक्टेयर में हुई थी. इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में चावल के प्रोडक्शन में इजाफा होने से कीमतों में काफी असर देखने को मिलेगा और आम लोगों को महंगाई का सामना नहीं करना पड़ेगा. भारत की 140 करोड़ आबादी में से 70 करोड़ यानी 50 फीसदी से ज्यादा लोग चावल पर ही निर्भर हैं. ऐसे में चावल की कीमतों में इजाफा होने से ऐसे लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
दालों प्रोडक्शन होगा मजबूत
शुक्रवार को कृषि विभाग ने 19 जुलाई 2024 तक खरीफ फसलों के तहत खेती के रकबे में हुई वृद्धि के आंकड़े जारी किए. आंकड़ों के अनुसार, दलहन का रकबा बढ़कर 85.79 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो पिछले सत्र में 70.14 लाख हेक्टेयर था. हालांकि, मोटे अनाज की बुवाई का रकबा एक साल पहले के 134.91 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम यानी 123.72 लाख हेक्टेयर है. गैर-खाद्य श्रेणी में तिलहनों का रकबा इस खरीफ बुवाई सत्र में अब तक 163.11 लाख हेक्टेयर है, जो पिछले साल इसी अवधि में 150.91 लाख हेक्टेयर था.
कितना बढ़ा कुल रकबा
तिलहनों में सोयाबीन का रकबा 108.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 119.04 लाख हेक्टेयर हो गया है. कपास का रकबा इस खरीफ मौसम में अब तक पहले के 105.66 लाख हेक्टेयर के मुकाबले घटकर 102.05 लाख हेक्टेयर रह गया है. कुल मिलाकर, सभी खरीफ फसलों के लिए कुल रकबा चालू खरीफ बुवाई मौसम में 19 जुलाई तक बढ़कर 704.04 लाख हेक्टेयर हो गया है. पिछले साल इसी अवधि में यह 680.36 लाख हेक्टेयर था. भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए खाद्य तेलों और दालों का आयात करता है. यदि कटाई तक मौसम की स्थिति अनुकूल बनी रही तो दलहन और तिलहन फसलों का अधिक रकबा होने से बम्पर उत्पादन हो सकता है.