दिल्ली आने से पहले सीएम योगी के होमवर्क की पांच बड़ी बातें, मोदी-नड्डा के सामने रखेंगे अपनी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सियासी नजरिए से सबसे महत्वपूर्ण राज्य माना ही जाता है. बीजेपी के नक्शे में भी पिछले दस साल से उसकी विशेष जगह बनी हुई है, लेकिन इस बार अगर पार्टी बहुमत से दूर रह गई है तो उसका श्रेय भी यूपी को ही जाता है. बीजेपी और सहयोगी दल के नेता चुनावी हार के लिए योगी सरकार के प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने फ्रंट फुट पर मोर्चा खोल रखा है तो प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी अपनी रिपोर्ट पार्टी को सौंप चुके हैं. अब बारी सीएम योगी आदित्यनाथ की है, जो अपना होमवर्क तैयार कर दिल्ली आ रहे हैं और बीजेपी आलाकमान के साथ मिलकर अपनी बात रखेंगे?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नीति आयोग की शनिवार को होने वाली गवर्निंग काउंसिल की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली के दो दिवसीय दौर पर आ रहे हैं. सीएम योगी भले ही नीति आयोग की बैठक के लिए दिल्ली आ रहे हों, लेकिन उनकी बैठक बीजेपी के शीर्ष नेताओं से साथ भी होनी है. माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ दिल्ली में पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित कुछ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात कर सकते हैं. ऐसे में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी दिल्ली आ रहे हैं. इसीलिए सीएम योगी ने दिल्ली दौरे से पहले विधायक और नेताओं के साथ मिलकर काफी होमवर्क कर रखा है.
योगी ने विधायकों के जरिए टटोला नब्ज
दिल्ली आने से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर मंडल स्तर पर विधायकों के साथ समीक्षा बैठक कर सियासी होमवर्क तैयार किया है. अब तक सीएम योगी डेढ़ सौ से ज्यादा विधायकों से मिलकर चुनाव में हार की वजह जानी. इस दौरान किसी विधायक ने अगर किसी अधिकारी की शिकायत की तो उसका सबूत भी मांगा. इन बैठकों में सहयोगी दलों के विधायकों को भी बुलाया गया था, जिनके साथ सीएम ने बातचीत किया और उनके मन की बात को समझने की कोशिश की. इस तरह सीएम योगी ने 2024 के हार की वजह को समझने के साथ-साथ अपना पूरा होमवर्क तैयार कर लिया है.
माना जा रहा है विधायकों के फीडबैक के आधार पर सीएम योगी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे दिल्ली में बीजेपी आलाकमान के साथ बैठक में रख सकते हैं. हालांकि, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी बीजेपी और सहयोगी दलों के नेताओं व विधायकों के साथ मिलकर उनसे बातचीत की है. केशव भी दिल्ली आ रहे हैं.
सहयोगी दल के नेताओं की दूर की नाराजगी
सीएम योगी ने बीजेपी विधायक और नेताओं से ही नहीं बल्कि सहयोगी दल के नेताओं के साथ भी मुलाकात कर उनकी नाराजगी को दूर करने का दांव चला है. निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद लोकसभा चुनाव के बाद से प्रशासन के मनमानी रवैए को लेकर नाराज थे. इसके अलावा उनके बेटे बीजेपी विधायक सरवन निषाद अपनी सुरक्षा को लेकर सवाल उठा चुके हैं. इस तरह से सीएम योगी ने दिल्ली आने से पहले गुरुवार को संजय निषाद से साथ मुलाकात किया और उनकी नाराजगी को दूर किया.
इसका नतीजा है कि केशव प्रसाद मौर्य के सुर में सुर मिलाने वाले संजय निषाद अब सीएम योगी को अपना अभिभावक और मार्गदर्शक बता रहे हैं. इस तरह सीएम योगी ने सहयोगी दल के नेताओं की नाराजगी को दूर करने का दांव चला है. इसी तरह कांवड़ यात्रा के आदेश का विरोध करने वाले आरएलडी के प्रमुख जयंत चौधरी के विधायकों के साथ भी सीएम योगी ने बैठक किया और उनके मिजाज को समझने की कोशिश की है.
पल्लवी पटेल से मुलाकात कर दिया संदेश
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी और सहयोगी दल के विधायकों से ही मुलाकात नहीं कर रहे हैं बल्कि विपक्षी दलों के विधायकों से भी मिल रहे हैं. केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू विधानसभा सीट पर 2022 में चुनाव हराने वाली पल्लवी पटेल से भी मुख्यमंत्री ने मुलाकात करके सियासी संदेश देने की कोशिश की है. पल्लवी पटेल सपा से विधायक हैं और अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल की बहन है. इस तरह योगी ने अपने एक दांव से तीन संदेश देने की कोशिश की है. एक तरफ पल्लवी से मिलकर सपा को संदेश दिया है कि दूसरी तरफ केशव मौर्य के लिए मैजेस है और तीसरा संदेश अनुप्रिया पटेल के लिए है. केशव से लेकर अनुप्रिया तक सीएम योगी पर ओबीसी आरक्षण को लेकर सवाल खड़े कर चुके हैं.
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त एक्शन
सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधायकों से मुलाकात के दौरान उनसे बातचीत कर रहे थे, तो कई विधायकों ने अफसरों के खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है. इस पर सीएम योगी का कहना था कि अफसरों के खिलाफ शिकायत है तो सुबूत लाओ, उनके खिलाफ सख्त एक्शन लूंगा. ऐसे में कई विधायकों की शिकायत पर कार्रवाई भी किया है. योगी सरकार लगातार यूपी में डीएम, एसपी ही नहीं बल्कि एसडीएम को ट्रांसफर कर रहे हैं. बलिया में ट्रकों से वसूली मामले में सीएम योगी ने एक्शन लेते हुए एसपी और एएसपी को ही नहीं बल्कि सीओ-एसओ समेत पूरी चौकी सस्पेंड कर दिया. इसके अलावा सरकारी कार्य में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों पर सीएम योगी का एक्शन जारी है. इस तरह से प्रशासन पर उठने वाले सवाल का जवाब सीएम ने तैयार कर लिया है.
सीएम योगी ने जारी किया आरक्षण का आंकड़ा
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 15 जुलाई को पत्र लिखकर योगी सरकार से संविदा और ऑउटसोर्सिंग से जरिए होने वाली नियुक्ति में आरक्षण के नियमों को पालन और उसकी सूचना मांगी थी. इस पर सीएम योगी ने सूचना विभाग के आंकड़े जारी कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश सूचना विभाग में 676 में से 512 आरक्षित वर्ग के आउटसोर्सिंग से कर्मचारी है. इसमें से 340 सिर्फ ओबीसी वर्ग के हैं. यह संख्या 75 फीसदी के आसपास है जबकि अभी आउटसोर्सिंग में आरक्षण का नियम नहीं लागू है. इस तरह योगी सरकार जल्द ही विभागवार आउटसोर्सिंग में दिए गए आरक्षण का डेटा जारी करने का संकेत दे दिया है.
योगी सरकार ने यूपी सूचना विभाग का डेटा जारी कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि ऑउटसोर्सिंग में आरक्षण व्यवस्था न होने के बाद भी ओबीसी समाज के लोगों की बड़ी संख्या नियुक्ति की गई है. इसके अलावा सीएम योगी ने दिल्ली आने से पहले 60 हजार के करीब पुलिस भर्ती निकाल दी है. इस तरह रोजगार देने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं और सियासी संदेश भी देने का दांव चला है.
विधायकों के लिए सीएम ने खोला दरवाजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार डैमेज कंट्रोल में लगे हुए हैं. पहले विधायकों और जनप्रतिनिधियों को मुलाकात के लिए इंतजार करना पड़ता था लेकिन अब कोई भी जनप्रतिनिधि अगर मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगता है तो मुख्यमंत्री ना सिर्फ तुरंत वक्त दे रहे हैं बल्कि मुलाकात भी कर रहे हैं. इस तरह से सीएम योगी ने विधायकों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. बीजेपी और सहयोगी दल के ही नहीं बल्कि विपक्षी दलों के विधायकों और नेताओं से भी लगातार मुलाकात कर रहे हैं. इसके अलावा मेयर और नगर पालिका अध्यक्ष तक भी मिलने के लिए पहुंच रहे हैं. इस तरह से सीएम योगी पूरा होमवर्क तैयार कर दिल्ली आ रहे हैं.