दिल्ली की सियासत में लौटा त्रेतायुग… मनीष लक्ष्मण, आतिशी भरत तो कैलाश गहलोत ने खुद को बताया केजरीवाल का हनुमान
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली की राजनीति में रामायण के पात्रों की चर्चा तेज है. मनीष सिसोदिया खुद को केजरीवाल के लिए लक्ष्मण बताकर उनके सत्ता के वनवास में साथ हो लिए हैं. दूसरी तरफ दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने केजरीवाल का भरत बनकर उनके खड़ाऊ रखकर सत्ता चलाने का ऐलान कर दिया है. मगर, ये रामकथा यहीं नहीं रुकती. दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत ने तो अपने दफ्तर में हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दी है. उनका कहना है कि वो केजरीवाल के हनुमान हैं.
दिल्ली की आतिशी सरकार में कैबिनेट मंत्री कैलाश गहलोत ने मंगलवार को अपने मंत्रालय का पदभार संभाला लेकिन नए रूप में नजर आए. उन्होंने खुद को केजरीवाल का हनुमान बताया. आखिर ये दिल्ली में चल क्या रहा है? इस सवाल पर TV9 भारतवर्ष से खास बातचीत करते हुए कैलाश गहलोत ने कहा कि दिल्ली में बहुत बढ़िया काम चल रहा है. जिस प्रकार से केजरीवाल के नेतृत्व में 2015 के बाद से लगातार अच्छे काम हुए हैं, दिल्लीवासियों को हर चीज की सुविधा आज है, जो कि पूरे देश में मेरे ख्याल से कहीं भी नहीं है.
केजरीवाल ने बताया है कि राम राज्य किसको कहते हैं
उन्होंने कहा, केजरीवाल ने बताया है कि राम राज्य किसको कहते हैं. उन्होंने बताया है कि ऐसी चीज जहां पर अच्छी शिक्षा हो, जहां अच्छे स्वास्थ्य की सुविधा हो, लोगों को अच्छा ट्रांसपोर्ट मिले. उन्होंने कहा कि हम रामराज्य स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. भगवान श्रीराम के पद चिन्हों पर हम भी चल रहे हैं. इस चीजों को नजर में रखते हुए आज का दिन भी बहुत अच्छा है. मंगलवार का दिन है, जिस प्रकार से हनुमान ने भगवान श्रीराम का सेवक बनकर काम किया, उसी तरह मैं भी केजरीवाल का हनुमान बनकर काम करूंगा. जितने काम पेंडिंग हैं, उनका पूरा करूंगा.
विपक्ष का आरोप है कि मुख्यमंत्री आतिशी ने केजरीवाल की नाम की कुर्सी रखकर मुख्यमंत्री पद की गरिमा का अपमान किया है. केजरीवाल की तुलना भगवान राम से करना गलत है. भगवान राम अपने पिता के वचन को पूरा करने के लिए वनवास पर गए थे, जबकि केजरीवाल भ्रष्टाचार के मामले की वजह से.
इस पर कैलाश गहलोत ने कहा कि देखिए बीजेपी हो या कांग्रेस, आम आदमी पार्टी कुछ भी करती है तो उसमें उनको कहीं ना कहीं कुछ प्रॉब्लम रहती है. भारतीय संस्कृति में अपने जो बड़े हैं, अपने जो गुरु हैं, उनको सम्मान देने की प्रथा चली आ रही है. मैं नहीं समझता कि इसमें कुछ भी गलत है. जो संस्कृति का हिस्सा है, उसको करने में अगर कोई व्यक्ति कहता है कि यह गलत है तो इसका मतलब है कि वह संस्कृति का भी विरोध कर रहा है.
उन्होंने कहा, अगर भरत ने भगवान श्रीराम के खड़ाऊ रखकर राज किया तो बीजेपी यह भी कहना चाह रही है कि वह भगवान श्रीराम के विरोध में है? यह बीजेपी नेताओं को सोचना है कि वो क्या कह रहे हैं. रिमोट कंट्रोल की जो बात कही जा रही है, क्या भगवान श्रीराम भरत को रिमोट से कंट्रोल कर रहे थे?
आम आदमी पार्टी का एक्स पर पोस्ट.
अगर सरकार खड़ाऊ रखकर ही चल रही है तो क्या दिल्ली सरकार के तमाम अहम फैसले, कैबिनेट और योजनाएं भी केजरीवाल से विमर्श और आदेश लेकर ही होंगे?
इस पर गहलोत ने कहा कि इसमें किसी को डाउट नहीं होना चाहिए, अगर कोई हमारे लीडर, हमारे गुरु हैं तो वह केजरीवाल थे है और रहेंगे. इसमें कुछ भी गलत नहीं है. जो बातें कैबिनेट के सामने आएंगी, उन पर कैबिनेट में चर्चा की जाती है. उसमें बीजेपी को कहां प्रॉब्लम है, यह मेरी समझ के बाहर है.
बजट में दिल्ली की सभी महिलाओं को 1/1 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी. योजना धरातल पर कब तक आएगी? इस सवाल के जवाब में कैलाश गहलोत ने कहा कि बहुत जल्द पूरी योजना के प्रपोजल को एक बार फाइनल करके डिपार्टमेंट के कमेंट लेकर कैबिनेट के सामने रखा जाएगा. फिर इसे इंप्लीमेंट किया जाएगा. दिल्ली में चुनाव को बहुत वक्त नहीं रह गया है. ऐसे में आम आदमी पार्टी की क्या तैयारी है? इसके जवाब में गहलोत ने कहा कि हम पूरी तरह से कॉन्फिडेंट और तैयार हैं.
17 सितंबर को केजरीवाल ने पद से दिया था इस्तीफा
दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े कथित घोटाले के मामले में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से 13 सितंबर को जमानत मिली थी. 17 सितंबर को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया था. 21 सितंबर को आतिशी ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. 23 सितंबर को आतिशी जब अपने दफ्तर पदभार संभालने पहुंचीं तो उन्होंने वहां केजरीवाल के नाम की एक और कुर्सी रखी. उन्होंने कहा कि वो केजरीवाल की भरत बनकर उनके खड़ाऊ रखकर सरकार चलाएंगी.