दिल्ली के अस्पतालों का ऐसा है हाल, अल्ट्रासाउंड की डेट 2 महीने बाद, ऑपरेशन 6 माह

गाजियाबाद की रहने वाली शीतल ( बदला हुआ नाम) को पेट में दर्द की समस्या रहती थी. उन्होंने आसपास के अस्पतालों में इलाज कराया, लेकिन आराम नहीं मिला. उनके एक मित्र ने उन्हें दिल्ली के लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में जाने की सलाद दी. शीतल दिसंबर में पेट के निचले हिस्से में दर्द और पीरियड्स के दौरान ब्लड क्लॉट आने की समस्या को लेकर लेडी हार्डिंग अस्पताल गई थी. अस्पताल में जांच के बाद डॉक्टर ने शीतल को यूएसजी अल्ट्रासाउंड कराने को कहा था. जब वह अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गई तो उनको 14 फरवरी की डेट दी गई. यानी दो महीने बाद की डेट मिली. लेकिन बीमारी की पहचान के लिए टेस्ट का जल्दी होना जरूरी था.उन्होंने डॉक्टरों से जल्द टेस्ट करने के लिए भी कहा, लेकिन डेट फरवरी की ही दी गई.
पेट में दर्द ज्यादा था और बीमारी की पहचान के लिए टेस्ट जरूरी था. ऐसे में अस्पताल की एक महिला डॉक्टर ने उनसे बाहर टेस्ट कराने को कहा और हिदायत दी कि इसी लैब से टेस्ट कराएं. डॉक्टर ने कहा कि अस्पताल में आपको 2 महीने की डेट मिली है, लेकिन इतने समय अल्ट्रासाउंड के लिए इंतजार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में वह बाहर से टेस्ट करा लें. शीतल ने बाहर करीब 1 हजार रुपये में ये टेस्ट कराया.
3 साल की मिली एमआरआई की डेट
दिल्ली के एक सरकारी डेंटल अस्पताल में एक 25 साल के दिल्ली निवासी मरीज को एमआरआई कराने के लिए 2027 की डेट मिली . यह मामला सोशल मीडिया पर भी काफी चला थ फरवरी में इलाज के लिए डेंटल हॉस्पिटल पहुंचे मरीज को एमआरआई के लिए 23 मार्च 2027 यानी कि तीन साल बाद की डेट दी गई थी.
इसी तरह दिल्ली के रहने वाले पवन कुमार अपने सिर में दर्द होने की परेशानी के लिए आरएमएल हॉस्पिटल गए थे. यहां करीब 2 महीने तक उनको दवा खाने की सलाह दी गई. जब दवा से आराम नहीं मिला तो डॉक्टर ने उनको एमआरआई कराने को कहा, लेकिन एमआरआई के लिए उनको 4 महीने की डेट मिली. इस दौरान अस्पताल में एक एजेंट ने उनको जल्द एमआरआई कराने का दावा किया है इसके लिए उनसे 3 हजार रूपये मांगे. उन्होंने तीन हजार रूपये देकर एमआरआई कराया. अब इसी तरह के एक मामले का सीबीआई ने खुलासा भी किया है.
डॉक्टरों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया
हाल ही में राम मनोहर लोहिया अस्पताल के दो डॉक्टरों समेत 9 लोगों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है. आरोप है कि डॉक्टरों और बाकी स्टाफ ने अस्पताल में मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति में रिश्वत ली है. इस मामले में अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के दो डॉक्टर गिरफ्तार हुए हैं. फिलहाल सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है. आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों पर लगे इस आरोप के बाद Tv9 ने अस्पताल के कुछ पूर्व डॉक्टरों से बातचीत की है. अस्पताल मेंं हुए इस भ्रष्टाचार के मामले को और गहराई से जानने कि कोशिश की है.
इस बातचीत में दो डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में कुछ डॉक्टर मरीजों को जानबूझकर बाहर की दवा लिखते हैं. इन डॉक्टरों को दवा कंपनी से मोटी रकम मिलती है. कुछ डॉक्टर तो जांच भी बाहर से लिखते हैं, जबकि अस्पताल में ही सभी तरह की जांच की सुविधा है. मरीजों को कहा जाता है कि यहां टेस्ट कराने में कई महीने लगेंगे इसलिए बाहर करा लो. कुछ मरीज तो महीनों के इंतजार के बाद हॉस्पिटल में ही टेस्ट कराते हैं, जबकि कुछ प्राइवेट लैब में टेस्ट करा लेते हैं.
अल्ट्रासाउंड के लिए 2 से 3 महीने की डेट
डॉक्टर ने बताया कि मरीजों को अस्पताल में आईसीयू बेड दिलाने की एवज में भी मोटी रकम वसूली जाती है. सालों से ऐसा चल रहा है . इस खेल में डॉक्टर से लेकर अस्पताल के बड़े अधिकारी तक शामिल होते हैं. अस्पताल में टेस्ट के लिए आए मरीजों को लंबी डेट दी जाती है. कई मामलों में ऐसा जानबूझकर किया जाता है, ताकि अस्पताल में मौजूद दलाल मरीजों को जल्द टेस्ट कराने की बात कहकर उनसे पैसा वसूल सकें.
डॉक्टर ने बताया कि अस्पताल में मरीजों को अल्ट्रासाउंड जैसे टेस्ट के लिए भी 2 से 3 महीने की डेट दी जाती है. कुछ क्लर्क मरीजों को भर्ती कराने और महिलाओं की डिलीवरी कराने के लिए 20000 रुपये तक की रिश्वत लेते हैं. ऐसे कई मामले उनके सामने आए थे, लेकिन जब उन्होंने शिकायत की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इस मामले में जब Tv9 ने आरएमएल हॉस्पिटल के एमएस डॉ. अजय शुक्ला से संपर्क किया तो उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया.
मरीजों का लोड अधिक
दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का लोड काफी अधिक है. उसकी तुलना में स्टाफ और मेडिकल उपकरणों की काफी कमी है. अस्पतालों में हर महीने 2 से 3 हजार मरीज स्कैन और अल्ट्रासाउंड कराने के लिए आते हैं. लेकिन अस्पतालों में औसतन एक या दो मशीनें ही होती हैं. ऐसे में समय पर मरीजों की जांच नहीं हो पाती है. मशीनों की खरीद के लिए अगर प्रोसेस चलता भी है तो फिर आरएमएल हॉस्पिटल जैसे प्रकरण भी हो जाते हैं.

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