दुनिया के ज्यादातर देशों में धार्मिक नेता चाहते हैं लोग, टॉप 5 में 3 मुस्लिम देश, जानिए किस स्थान पर है भारत?
दुनियाभर के 35 देशों में की गई एक रिसर्च के मुताबिक ज्यादातर लोग अपने देश में धार्मिक मान्यता वाली सरकार चाहते हैं. जिन देशों में धर्म को काफी महत्व दिया जाता है वहां ज्यादातर लोगों को यह लगता है कि उनके देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या चांसलर को उनके धार्मिक विश्वास वाले लोगों का साथ देना चाहिए.
दरअसल इसी साल जनवरी से मई के बीच 35 देशों के करीब 53 हज़ार लोगों के बीच यह सर्वे किया गया था. Pew रिसर्च सेंटर की इस रिपोर्ट के मुताबिक टॉप 5 देशों में 3 मुस्लिम देश शामिल हैं. इंडोनेशिया, बांग्लादेश और मलेशिया वो मुस्लिम मुल्क हैं जहां ज्यादातर लोगों का मानना है कि देश के सबसे बड़े नेता को उनके धर्म को मानने वाला ही होना चाहिए.
पांचवें पायदान पर भारत
Pew रिसर्च की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस लिस्ट में पांचवें पायदान पर है. भारत में की गई रिसर्च के मुताबिक करीब 81 फीसदी लोगों का मानना है कि देश के सबसे बड़े नेता को अपने धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा होना चाहिए. वहीं 79 फीसदी लोगों का कहना है कि नेता का धार्मिक होना बेहद जरूरी है भले ही वह किसी अलग धर्म को मानने वाला हो. वहीं 81 फीसदी लोगों का कहना है कि देश का सबसे बड़ा नेता उनके ही धर्म को मानने वाला होना चाहिए.
टॉप 5 में 3 मुस्लिम देशों का नाम
इस रिसर्च में पहले पायदान पर इंडोनेशिया, दूसरे पर बांग्लादेश, तीसरे पर फिलिपींस, चौथे पर मलेशिया और पांचवें स्थान पर भारत है. इंडोनेशिया, बांग्लादेश और फिलीपींस में ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि ऐसा नेता होना ज़रूरी है जो अपने धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा हो. इन देशों में लगभग 10 में से 9 लोग ऐसा ही सोचते हैं. वहीं 35 देशों के बीच की गई इस रिसर्च में 22 देशों में लगभग आधे या उससे ज़्यादा लोगों का भी यही मानना है.
हालांकि, कई यूरोपीय और पूर्वी एशियाई देशों में बेहद कम लोग ऐसा सोचते हैं कि राष्ट्रीय नेता के लिए अपने धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा होना ज़रूरी है. फ़्रांस, जापान और दक्षिण कोरिया कुछ ऐसे देश हैं जहां सबसे कम लोग इसे ज़रूरी मानते हैं.
अमेरिका के लोगों की राय अलग
वहीं बात की जाए अमेरिका की तो यहां महज़ 64 फीसदी लोगों का कहना है कि ऐसा राष्ट्रपति होना चाहिए जो अपने धर्म के लोगों का साथ दे. महज़ 48 फीसदी लोगों का कहना है कि राष्ट्रपति को मजबूत धार्मिक मान्यता वाला होना चाहिए, भले ही वह किसी भी धर्म को मानने वाला हो. इलके अलावा 37 फीसदी लोग अपने ही धर्म का राष्ट्रपति चाहते हैं.