देश के सबसे बड़े बैंक से कौन मांग रहा है 4 लाख करोड़, क्या है जरुरत?
देश के सबसे बड़े सरकारी लेंडर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चेयरमैन चल्ला श्रीनिवासुलु शेट्टी का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने एक बयाल देते हुए कहा कि बैंक को भारतीय उद्योग जगत से चार लाख करोड़ रुपये के कर्ज की मांग मिल चुकी है. उन्होंने चालू वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में प्राइवेट सेक्टर द्वारा कैपिटल एक्सपेंडिचर में तेजी आने की उम्मीद भी जताई. शेट्टी ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम निजी पूंजीगत व्यय में अच्छी रुचि देख रहे हैं. बुनियादी ढांचे के लिए वित्तपोषण… मुख्य रूप से सड़कों, नवीकरणीय ऊर्जा और कुछ रिफाइनरियों से आ रहा है.
बजट में इजाफा
पब्लिक एक्सपेंडिचर की बात करें तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में 2024-25 के लिए कैपेक्स टारगेट को 11.1 फीसदी बढ़ाकर रिकॉर्ड 11.11 लाख करोड़ रुपए कर दिया था. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.4 फीसदी है. शेट्टी ने कहा कि कुछ कंपनियों ने पुरानी परियोजनाओं (ब्राउनफील्ड) का विस्तार शुरू किया है, जिसके लिए पूंजीगत व्यय का वित्तपोषण उनके अपने नकदी स्रोतों से किया गया है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अब हम देखते हैं कि कुछ कंपनियां पुरानी परियोजनाओं के विस्तार के लिए भी सावधि ऋण ले रही हैं.
4 लाख करोड़ की डिमांड
उन्होंने कहा कि हमारे पास मांग (पाइपलाइन) है, स्वीकृत लेकिन वितरित नहीं किए गए कर्ज के संदर्भ में तथा प्रस्तावों की मांग है जो प्रक्रियाधीन हैं. यह करीब चार लाख करोड़ रुपये के बराबर है, जो दर्शाता है कि उद्योग जगत की मांग मजबूत है. शेट्टी ने इस बात पर जोर दिया कि इस वर्ष निजी पूंजीगत व्यय निश्चित रूप से बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि आम चुनाव के कारण पहली तिमाही में आई सुस्ती के बाद सरकारी व्यय में फिर से वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि दूसरी तिमाही के साथ-साथ चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में भी पूंजीगत व्यय को सरकारी व्यय के साथ-साथ निजी व्यय से बढ़ावा मिलेगा.
मॉनेटाइजेशन पर कोई विचार नहीं
एसबीआई की अपनी कुछ अनुषंगी कंपनियों में हिस्सेदारी के मॉनेटाइजेशन के बारे में शेट्टी ने कहा कि फिलहाल किसी भी अनुषंगी कंपनी में हिस्सेदारी बेचने के बारे में कोई विचार नहीं किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि इन अनुषंगी कंपनियों को (वृद्धि) पूंजी की आवश्यकता होगी तो हम निश्चित रूप से इसपर गौर करेंगे. उन्होंने कहा कि इस समय किसी भी बड़ी अनुषंगी कंपनी को अपना परिचालन बढ़ाने के लिए मूल कंपनी से पूंजी की आवश्यकता नहीं है. बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 में एसबीआई जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में 489.67 करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी डाली थी.
पॉलिसी रेट में कोई संभावना नहीं
कंपनी ने कर्मचारियों को ईएसओपी भी आवंटित किया है और इसके चलते बैंक की हिस्सेदारी 69.95 प्रतिशत से मामूली रूप से घटकर 69.11 प्रतिशत हो गई है. शेट्टी ने साथ ही कहा कि खाद्य महंगाई पर अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा 2024 में नीति दर में कमी लाने की संभावना नहीं है. अमेरिकी सेंट्रल फेडरल रिजर्व ने चार वर्ष से अधिक समय बाद अपनी नीतिगत ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है. इस कदम ने अन्य अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित किया.