देश के 645 बिल्डरों को राहत, आपके फंसे हुए घर का सपना होगा पूरा, नया खरीदने वालों को मिलेगा सस्ता मकान!

दिल्ली-एनसीआर में पड़ने वाले नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और गुरुग्राम समेत कई एरिया में रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट अटके पड़े हैं. इस वजह से इन प्रोजेक्ट्स में इंवेस्ट करने वाले लोगों के पैसे अटक गए हैं. वहीं उनका अपने घर का सपना भी टूट गया है. लेकिन हाल में दिवालिया और इंसॉल्वेंसी बोर्ड के चेयरपर्सन रवि मित्तल ने 645 बिल्डर्स के बारे में एक बड़ी जानकारी दी है. इससे लोगों के अपने घर का सपना पूरा होने और नए लोगों को सस्ते में मकान मिलने की उम्मीद बढ़ गई हैं.
इस बीच नोएडा के आईकॉनिक टावर ‘सुपरनोवा’ के इंवेस्टर्स के लिए भी अच्छी खबर आई है. इसे बनाने वाली कंपनी सुपरटेक को इसे कम्प्लीट करने के लिए 750 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली है. उसे ये फंडिंग कोटक महिंद्रा बैंक से मिली है. इसमें 300 करोड़ रुपए का बैंक का बकाया भी क्लियर किया जाएगा, जबकि कोटक बैंक 450 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट को पूरा करने में और इन्वेस्ट करेगा.
सुपरनोवा प्रोजेक्ट होगा कंप्लीट
सुपरटेक बिल्डर्स के नोएडा सेक्टर-94 में अधूरे पड़े ‘सुपरनोवा’ प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कोटक महिंद्रा बैंक अब इसमें थर्ड पार्टी की तरह जुड़ेगा. इसमें एक पार्टी सुपरनोवा और एक पार्टी नोएडा अथॉरिटी होगी. इतना ही नहीं, इस प्रोजेक्ट के लिए एक एस्क्रो अकाउंट (एक तरह का जॉइंट अकाउंट) खुलेगा, जिसमें इससे जुड़ी हर डील, सेल-परचेज और लीज का पैसा रखा जाएगा.
सुपरनोवा प्रोजेक्ट नोएडा का पहला लग्जरी प्रोजेक्ट था,जो 2012 में लॉन्च हुआ था. अभी इस प्रोजेक्ट पर 3,300 करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया है. इसमें ऑफिस स्पेस और रेजिडेंशियल अपार्टमेंट दोनों हैं. इस प्रोजेक्ट में करीब 2000 होमबायर्स का पैसा फंसा हुआ है, जिसमें से सिर्फ 600 लोगों को ही फ्लैट का पजेशन मिला है.
645 बिल्डर्स को भी बचाया गया
इस बीच इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया के चेयरपर्सन रवि मित्तल का कहना है कि कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी रिजोल्यूशन प्रोसेस के लिए करीब 1,400 रियल एस्टेट डेवलपर्स और कंस्ट्रक्शंस कंपनी ने एनसीएलटी का रुख किया. इनमें से 645 को सफलता पूर्वक बचा लिया गया, जबकि 261 कंपनियों को खत्म कर दिया गया.
जिन कंपनियों को बचाया गया है, उन्हें या तो एसेट बेचकर बचाया गया या उनमें दूसरी कंपनियों ने निवेश किया. इसमें कई बड़े रियल एस्टेट प्लेयर्स मौजूद हैं. चाहें वह जेपी इंफ्राटेक हो या कोहिनूर सीटीएनएल इंफ्रास्ट्रक्चर या सारे गुरुग्राम, इन सभी को इस कदम से राहम मिली है.
अगर इन 645 बिल्डर्स को बचाए जाने की बात को मकान या होमबायर्स के नजरिए से समझा जाए, तो इन सभी के प्रोजेक्ट को अब तेजी से पूरा करने में मदद मिलेगी क्योंकि दिवाला प्रक्रिया से गुजरने के बाद इनके सिर पर पड़ा कर्ज का बोझ उतर गया है.
प्रोजेक्ट्स के तेजी से कंप्लीट होने से होमबायर्स को अपने सपनों का घर मिल सकेगा, वहीं जो अनसोल्ड यूनिट्स हैं वह नए ग्राहकों को नए सिरे से सस्ते में बेची जा सकेंगी, यानी नए खरीदारों को प्रोजेक्ट कम्प्लीट होने पर सस्ते मकानों का तोहफा भी मिलेगा.

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