देश में अगस्त में हुई सामान्य से 16 फीसदी ज्यादा बारिश, उत्तर-पश्चिम भारत में 23 साल बाद हुआ ऐसा

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMDB) ने बताया है कि देश में अगस्त के महीने में सामान्य से लगभग 16 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है. वहीं, उत्तर-पश्चिम भारत में 253.9 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 2001 के बाद से अगस्त में दूसरी सबसे ज्यादा बारिश है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि देश में अगस्त में 287.1 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर 248.1 मिमी बारिश होती है.
कुल मिलाकर, एक जून को मानसून की शुरुआत के बाद से भारत में अब तक 749 मिमी बारिश हुई है, जबकि इस दौरान आमतौर पर 701 मिमी बारिश होती है. आईएमडी प्रमुख ने कहा कि हिमालय के तराई क्षेत्रों और पूर्वोत्तर के कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई, क्योंकि ज्यादातर कम दबाव प्रणालियां अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर चली गईं और मानसून का प्रवाह भी दक्षिण में बना रहा. उन्होंने कहा कि केरल और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में कम बारिश हुई है.
मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अगस्त में कम दबाव वाली छह प्रणाली बनी, जिनमें से दो गहरे दबाव में बदल गईं. इस अगस्त में कम दबाव वाली प्रणाली के 17 दिन थे, जबकि सामान्य तौर पर 16.3 दिन होते हैं.
देश के मध्य-पश्चिमी हिस्सों में क्यों हुई भारी बारिश?
10 अगस्त से 22 अगस्त तक मानसून की दिशा अपनी सामान्य स्थिति पर बनी रही, जिसका नतीजा ये रहा कि उत्तरी और मध्य भारत, पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों और सुदूर दक्षिणी प्रायद्वीप, खास तौर से तमिलनाडु में अच्छी बारिश हुई. 23 अगस्त से 31 अगस्त तक ये दिशा बदलकर सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर हो गई, जिसके कारण भारत के मध्य और पश्चिमी भागों में बहुत भारी बारिश हुई.
महापात्र ने कहा कि इस साल अगस्त में मानसून में रुकावट नहीं देखी गई, जबकि महीने के दौरान बारिश में रुकावट वाले दिनों की प्रवृत्ति बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि ‘मैडेन-जूलियन ऑसिलेशन’ (एमजेओ) महीने के दूसरे भाग में बहुत सक्रिय था, जिसके कारण भारतीय क्षेत्र में अच्छी बारिश हुई.
एमजेओ बड़े पैमाने पर होने वाला वायुमंडलीय विक्षोभ है, जो उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में बनता है और पूर्व की ओर बढ़ता है. इसकी अवधि आमतौर पर 30 से 60 दिनों की होती है.
भाषा के इनपुट के साथ…

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