देश में जल्द कराई जाएगी जनगणना, जाति से जुड़े कॉलम पर अभी कोई फैसला नहीं
सरकार ने देश में जनगणनी का तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन इस प्रक्रिया में जाति संबंधी कॉलम जोड़े जाने को लेकर अभी तक निर्णय नहीं हो पाया है. सूत्रों की मानें तो जनगणना का पहला चरण 1 अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा. भारत में 1881 से हर 10 साल में जनगणना की जाती है.
जनगणना करना इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि पिछले साल संसद ने महिला आरक्षण अधिनियम पारित किया था. अब इसे जमीन पर उतारने के लिए दशकीय जनगणना को जरूरी माना जा रहा है. लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी कानून इस अधिनियम के लागू होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अमल में आएगी.
जाति से जुड़े कॉलम पर निर्णय बाकी
सूत्रों की मानें तो जनगणना में जाति संबंधी कॉलम शामिल करने के बारे में अभी निर्णय होना बाकी है. कांग्रेस समेत विपक्षी दल देश में जाति जनगणना कराने की मांग पर अड़े हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार जानबूझकर जाति जनगणना नहीं करा रही है. खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी देश में जाति जनगणना कराने की मांग कर चुके हैं. विरोधियों का कहना है कि पुराने आंकड़े होने की वजह से पिछड़ी जातियों खासकर ओबीसी वर्ग के लोगों को कई चीजों का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है.
ये भी माना जा रहा है कि जनगणना के नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियों को भी कई योजनाओं में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मौजूदा समय में सरकारी एजेंसियां 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही नीतियां बन रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं.
2020 में कराई जानी थी जनगणना
जनगणना के तहत घरों की लिस्टिंग करने का चरण और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) अपडेट करने का काम 1 अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश में किया जाना था, लेकिन कोरोना की वजह से सरकार ने प्रक्रिया को स्थगित कर दिया. अधिकारियों की मानें तो जनगणना कराने और एनपीआर की प्रक्रिया पर करीब 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च होने की संभावना है.
देश में होगी डिजिटल जनगणना
यह पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसके जरिए नागरिकों को खुद ही गणना करने का अवसर मिलेगा. इसके लिए जनगणना प्राधिकरण ने एक स्व-गणना पोर्टल तैयार किया है, जिसे अभी लॉन्च नहीं किया गया है. आने वाले समय में इस पोर्टल को लॉन्च किए जाने की संभावना है. खुद की गणना में आधार या फिर मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से एकत्र किया जाएगा.