देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बेलगाम! हर घंटे 51 केस दर्ज, देखें अपराध का ग्राफ

स्याही सूख नहीं पाती है अखबारों की, नई खबर आ जाती है बलात्कारों की! देश आजाद हुआ है पर देश की बेटियां नहीं… ये वो लाइन है जो आज देश के लिए प्रासंगिक नजर आती है. एक तरफ जहां हम महिला प्रधान देश बनाने की बात कर रहे हैं, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. देश में हर साल करीब चार लाख से ज्यादा महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज किए जाते हैं. इन अपराधों में रेप, छेड़छाड़, एसिड अटैक, किडनैपिंग और दहेज जैसे अपराध शामिल है. 2022 के आंकड़े देखें तो देश में 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, यानी हर घंटे 51 मामले दर्ज हुए.
हाल ही में कोलकाता रेप मर्डर केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. कोलकाता के ‘राधा गोबिंदकर मेडिकल कॉलेज’ में ट्रेनी डॉक्टर के साथ पहले रेप और उसके बाद उसकी हत्या ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कानून पर सवाल खड़ा कर दिया. इस रेप केस ने 2012 में हुए निर्भया केस की याद दिला दी.
देशभर में इसके लिए प्रदर्शन हो रहे हैं. मामले का आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार कर लिया है. लोग सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर कैंडल मार्च कर के आरोपी को सख्त से सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं. बंगाल की मुख्यमंत्री बनर्जी ने पीएम को लेटर लिख कर रेप के मामलों में कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग की है.
क्या है मामला?
कोलकाता में लेडी ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और उसकी हत्या का मामला 9 अगस्त की रात का है. मामले का खुलासा तब हुआ जब अगले दिन कॉलेज के सेमिनार हॉल में ट्रेनी डॉक्टर का शव मिला था. ट्रेनी डॉक्टर की उम्र 31 साल थी. वह उस दिन तीन डॉक्टरों के साथ ड्यूटी पर थी. खाना खाकर महिला ट्रेनी डॉक्टर करीब दो बजे सोने के लिए अस्पताल के सेमिनार हॉल में चली गई, जहां से अगली सुबह उसका शव बेहद खराब हालत में मिला.
हर घंटे इतनी महिलाओं का होता है रेप
देश में 96 प्रतिशत रेप के मामलों में आरोपी महिला के जानने वाले होते हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर 15 मिनट में 1 महिला का रेप होता है. ऐसे में देखा जाए तो हर घंटे 4 महिलाओं का बलत्कार हो रहा है. हालांकि सरकार ने 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में चलती बस में हुए गैंगरेप के बाद कानून को बहुत सख्त कर दिया था, लेकिन हालात अभी भी वैसे ही हैं. इसके अलावा जुवेनाइल कानून में भी संशोधन किए गए थे. ऐसे में अगर कोई 18 साल से कम उम्र का कोई लड़का ऐसा अपराध करता है तो उसके साथ भी व्यस्कों की तरह ही बर्ताव किया जाएगा. ऐसा इस वजह से किया गया क्योंकि निर्भया का रेप करने वाले छह दोषियों में एक नाबालिग था, जिसे 3 साल की सजा काटने के बाद छोड़ दिया गया था. इसके अलावा रेप के केस में फांसी देने का प्रावधान भी लाया गया था.
क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2017 से 2022 तक बलात्कार के कुल 1.89 लाख मामले दर्ज किए गए, जिनमें 1.79 लाख मामलों में रेप करने वाला कोई परिचित व्यक्ति था. वहीं 9,670 मामलों में रेप करने वाला कोई ऐसा व्यक्ति था जिसे पीड़िता नहीं जानती थी. इसके अलावा डाटा से पता चलता है कि भारत में बलात्कार पीड़ितों की सबसे ज्यादा संख्या 18 से 30 साल की उम्र के बीच की है. दर्ज किए गए 1.89 लाख मामलों में से 1.13 लाख इसी ऐज ग्रुप से थे. ऐसे में हर दिन दर्ज होने वाले 96 बलात्कारों में से 52 रेप केस में पीड़िता 18 से 30 साल की उम्र की है.
कहां दर्ज होते हैं रेप के सबसे ज्यादा मामले?
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022 में देश में रेप के 31 हजार 516 मामले दर्ज किए गए. 2021 में 31,677 मामले, 2020 में 28,046 मामले और 2019 में 32,033 मामले दर्ज किए गए. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे ज़्यादा बलात्कार राजस्थान में हुए है. 2022 में राजस्थान में रेप के 5,399 मामले दर्ज किए गए थे. दूसरे नंबर पर 3,690 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश दूसरे नंबर पर था.
तीसरे नंबर पर 3,029 मामलों के साथ मध्यप्रदेश, चौथे पर महाराष्ट्र है, जहां 2022 में रेप के 2,904 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद 1,787 मामलों के साथ हरियाणा, 1,464 मामलों के साथ ओडिशा, सातवें नंबर पर 1,298 मामलों के साथ झारखंड फिर 1,246 मामलों के साथ छत्तीसगढ़ है. वहीं इस लिस्ट में दिल्ली नौवें स्थान पर है. यहां 2022 में रेप के 1,212 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद 1,113 मामलों के साथ असम है.
अजमेर रेप केस
1992 में हुआ अजमेर रेप भारत के सबसे बड़े बलात्कार के मामलों में से एक था. इसमें 100 से ज़्यादा नाबालिग स्कूली लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया था. मामले में ज्यादातर आरोपी अजमेर के मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह से थे.
दिल्ली निर्भया केस
राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को बस में 23 साल की लड़की के साथ गैंग रेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. आरोपियों ने पीड़िता की आंतों में लोहे की रॉड तक डाल दी थी. हमले के तेरह दिन बाद उसकी मौत हो गई. घटना को लेकर भारतीय संसद में हंगामा हुआ. पुलिस ने बलात्कार के संदिग्ध छह लोगों को गिरफ्तार किया. इसमें से एक नाबालिग था. वहीं पांच बचे हुए अपराधियों में से एक ने मुकदमे से पहले ही आत्महत्या कर ली और अन्य चार को 2020 में हत्या के लिए फांसी की सजा हुई.
रानाघाट रेप केस
पश्चिम बंगाल के रानाघाट में जीसस एंड मैरी कॉन्वेंट में 14 मार्च 2015 को कुछ घुसपैठियों ने 71 साल की नन के साथ गैंग रेप किया था. इस दौरान 6 घुसपैठियों को सीसीटीवी पर रिकॉर्ड किया गया था. मामले में 1 अप्रैल 2015 को सभी को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी की पहचान बांग्लादेशी मुसलमानों के रूप में हुई थी.
कठुआ बलात्कार मामला
17 जनवरी 2018 को जम्मू-कश्मीर के कठुआ के पास रसाना गांव में 8 वर्षीय नाबालिग लड़की आसिफा के साथ रेप कर के और उसकी हत्या कर दी गई. अप्रैल 2018 में मामले में आठ लोगों के खिलाफ आरोप दर्ज किया गया. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद देश भर में विरोध प्रदर्शन हुआ.
मिलती है इतनी सजा
सरकार ने रेप के दोषियों के लिए सख्त कानून बनाए हैं. बीएनएस की धारा 70(2) के तहत अगर 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर उम्रकैद और फांसी की सजा हो सकती है. इसके अलावा जुर्माने का भी प्रावधान है. वहीं आईपीसी में 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ गैंगरेप का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा दी जाती है.
वहीं रेप के मामले में महिला की मौत हो जाती है या वो कुछ बोल नहीं पाती है और कोमा में चली जाती है तो बीएनएस की धारा 66 के तहत दोषी को कम से कम 20 साल की सजा देने का प्रावधान है. इसके अलावा शादी का झूठा वादा, नौकरी में प्रमोशन देने जैसे वादे करके फिजिकल रिलेशन बनाने पर भी 10 साल तक की सजा हो सकती है.
2012 में हुए निर्भया कांड के बाद सरकार ने नाबालिगों के लिए भी कानून बनाया था. ये कानून पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट था. ये कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों, दोनों पर लागू होता है. इस कानून बच्चों को अश्लीलता से जुड़े अपराधों से बचाना है. कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ किए गए यौन उत्पीड़न में मौत की सजा का प्रावधान हो गया है. हालांकि POCSO में पहले मौत की सजा नहीं थी, लेकिन 2019 में इसमें संशोधन कर दिया गया.

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