दोषी को सजा में छूट मिलने पर तुरंत उसे फैसले की कॉपी दें, सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को आदेश

कैदियों की सजा माफी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को तुरंत फैसले की कॉपी देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि कानूनी सेवा प्राधिकरण को कैदियों को यह बताना चाहिए कि वो नामंजूरी के आदेशों को चुनौती दे सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि जैसे ही किसी दोषी को सजा में छूट (जेल से समय से पहले रिहाई) देने पर फैसला हो, इसकी एक प्रति तुरंत दोषी को दी जाए.
एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया है. कहा है कि वह कोर्ट की अनुमति के बिना पक्षकारों द्वारा पेश की गई ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों को स्वीकार न करे. अदालत ने यह आदेश पक्षकारों की ओर से ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीरों की फोटो कॉपी दाखिल किए जाने के मद्देनजर दिया है.
ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर स्वीकार ना करें
अदालत ने कहा कि हम काफी लंबे समय से देख रहे हैं कि पक्षकार में तस्वीरों की ब्लैक एंड व्हाइट फोटो कॉपी रिकॉर्ड में देने की आजादी है. इनमें से ज्यादातर धुंधली होती हैं. जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने आदेश दिया है कि रजिस्ट्री को आदेश दिया जाता है कि वो न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर को स्वीकार ना करें.
डीआरआई से जुड़े फैसले की समीक्षा याचिका पर सुनवाई
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डीआरआई (राजस्व आसूचना निदेशालय) के अधिकारियों के अधिकारों के बारे में अपने पुराने फैसले की समीक्षा का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई भी शुरू कर दी है. साल 2021 के अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि डीआरआई अधिकारियों को सीमा शुल्क विभाग से आयात के लिए पहले से ही मंजूरी दी जा चुकी वस्तुओं पर शुल्क वसूल करने का अधिकार नहीं है.
इस फैसले के खिलाफ सीमा शुल्क विभाग की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने साल 2022 में इस पर सहमति जताई थी कि विभाग की समीक्षा याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई हो. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने समीक्षा याचिका पर सुनवाई शुरू की.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने दलीलें पेश की. उन्होंने समीक्षाधीन फैसले पर सवाल खड़े किए. सुप्रीम कोर्ट का2021 का फैसला कैनन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड व अन्य फर्मों द्वारा सीमा शुल्क आयुक्त के खिलाफ दायर मामलों के एक ग्रुप पर आया था. उसमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण के 2017 के फैसले को चुनौती दी गई थी.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *