‘धर्म के रक्षक’ नेता को पसंद करने के मामले में किस नंबर पर है भारत? देखें 35 देशों की सर्वे रिपोर्ट
जब बात धर्म के लिए होती है कि किसी भी देश के लिए प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति कैसा होना चाहिए? तो आमतौर पर ज्यादातर लोगों का जवाब यही होता है कि एक ऐसा शख्स का नेता होना बहुत जरूरी है, जो अपने धार्मिक विश्वासों के साथ-साथ जनता और लोगों के लिए खड़ा हो या वह नेता जिसका अपना धार्मिक विश्वास मजबूत हो. कुछ लोग अपने धर्म के लिए खड़े रहने वाले नेता को बहुत पसंद करते हैं. इस लिस्ट में भारत किस नंबर है?
इस लिस्ट में सबसे टॉप पर इंडोनेशिया का नाम है जहां 94 प्रतिशत वयस्कों का कहना है कि उनकी जिंदगी में धर्म बहुत अहम है और वहां के 86 फीसदी लोगों का कहना है कि उनके राष्ट्रपति के लिए मजबूत धार्मिक विश्वास होना जरूरी है. वहीं इंडोनेशिया, बांग्लादेश और फिलीपींस में वयस्कों का एक ऐसा हिस्सा भी है, जिनका मानना है कि एक ऐसे नेता का होना जरूरी है, जो अपने धार्मिक विश्वास रखने वाले लोगों के लिए खड़ा हो. इन देशों में लगभग 9 में से 10 लोग यही राय रखते हैं. 22 से ज्यादा देशों में लगभग आधे या उससे ज्यादा लोग यही राय रखते हैं.
अफ्रिका के 4 देश
वहीं फ्रांस, जापान और दक्षिण कोरिया समेत कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां के लोग यह नहीं मानते कि धार्मिक विश्वास रखने वाले लोगों के लिए खड़ा होना सही है. चार अफ्रीकी देशों – घाना, केन्या, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में 70 प्रतिशत या उससे अधिक लोग भी ऐसा ही कहते हैं. वहीं स्वीडिश के वयस्क इनमें सबसे कम है, जो प्रधानमंत्री के तौर पर ऐसे शख्स का होना जरूरी समझते है, जिसकी धार्मिक आस्था मजबूत हो. ऐसे लोगों में सिर्फ 6 प्रतिशत स्वीडिश ही हैं.
ऐसे नेता जो आपके जैसे हो
इंडोनेशिया और बांग्लादेश के लगभग 9 में से 10 वयस्कों का मानना है कि उनके नेता का धार्मिक विश्वास उनके जैसा ही होना जरूरी है. पड़ोसी दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के कई लोग भी ऐसा ही सोचते हैं. इनमें भारत के 81 प्रतिशत वयस्क शामिल हैं. हालांकि कुछ देशों में यह सोच बहुत कम है. सिंगापुर में बहुत कम महज 36 फीसदी लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री के लिए उनकी धार्मिक मान्यताओं को मानना जरूरी है.
लोगों की धार्मिक राय
जो लोग कहते हैं कि धर्म उनकी जिंदगी में बहुत ज्यादा जरूरी है. वह उन लोगों से अलग हैं, जो यह कहते हैं कि उनके देश के नेता के लिए अपने धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा होना जरूरी है. 86 प्रतिशत लोग तुर्की के है, वहीं 45 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं, जिनके लिए धर्म बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता. हिंदू धर्म से ताल्लुक रखने वाले ज्यादातर लोगों का कहना है कि नेताओं के धर्म से जुड़े तीन जरूरी मापदंड हैं. भारत में 84 प्रतिशत लोगों के उनका धर्म बहुत मायने रखता है, जबकि 68 प्रतिशत लोगों के लिए धर्म बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रखता.
बांग्लादेश के सभी लोग
इनमें बांग्लादेश में लगभग सभी हिंदू 99 प्रतिशत का यही कहना है कि उनके प्रधानमंत्री के लिए अपने धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा होना जरूरी है. इसी तरह सर्वे में बौद्ध-बहुल देशों जैसे, श्रीलंका और थाईलैंड में ज्यादातर बौद्धों, 70 प्रतिशत थाई बौद्धों को लगता है कि उनके प्रधानमंत्री के लिए अपने धार्मिक विश्वास रखने वाले लोगों के लिए खड़ा होना जरूरी है. सिर्फ 32 प्रतिशत जापानी बौद्ध ऐसा ही कहते हैं.
शिक्षा और उम्र के आधार पर
देश के प्रधानमंत्री का धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा होना उतना जरूरी नहीं है. ऐसा ज्यादा पढ़े-लिखे वयस्कों का मामना है, जिनमें ग्रीस के 38 प्रतिशत वयस्क हैं. सोच के मुताबिक भी विचार अलग-अलग होते हैं. सर्वे किए गए कई देशों में 40 साल से कम उम्र के 42 प्रतिशत वयस्कों का कहना है कि ऐसा राष्ट्रपति होना जरूरी है, जो धार्मिक विश्वास वाले लोगों के लिए खड़ा हो. वृद्ध चिली वासियों में यह हिस्सा बढ़कर 54 प्रतिशत हो जाता है.