नगालैंड सरकार ने ‘गौ महासभा’ करने की नहीं दी अनुमति, शंकराचार्य का था आने का प्लान
नगालैंड सरकार ने 28 सितंबर को कोहिमा में प्रस्तावित गौ महासभा कार्यक्रम को अनुमति नहीं देने का फैसला किया है. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को करना है. सरकार के प्रवक्ता और मंत्री सीएल जॉन ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कार्यक्रम की अनुमति नहीं देने का फैसला मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.
जॉन ने कहा कि मंत्रिमंडल ने नगाओं की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं के साथ-साथ नगा के पांरपरिक कानूनों और प्रथाओं को संविधान के अनुच्छेद 371ए के तहत दी गई सुरक्षा को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान मंत्रिमंडल को राज्य में विभिन्न नागरिक समाज संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा दर्ज कराई गई आपत्ति से अवगत कराया गया.
कानून व्यवस्था को देखते हुए लिया गया फैसला
गौ महासभा के कोहिमा में आयोजन पर सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी), उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और नगा मदर्स एसोसिएशन तथा नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन जैसे नागरिक समाज संगठनों ने आपत्ति जताई थी. जॉन ने कहा, मंत्रिमंडल ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के मद्देनजर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि आयोजकों के लिए यह बेहतर होगा कि वे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए नगालैंड न आएं.
फैसले का भाजपा से कोई लेना-देना नहीं
नगा मदर्स एसोसिएशन की अध्यक्ष विलानुओ योमे ने कहा, बीफ अनादि काल से नगा व्यंजनों का हिस्सा रहा है. भाजपा की प्रदेश इकाई ने भी प्रस्तावित कार्यक्रम की आलोचना की. इस मामले पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बेंजामिन येप्थोमी ने एक बयान में कहा, इसका नगालैंड भाजपा से कोई लेना-देना नहीं है. नगालैंड के सामाजिक-धार्मिक और सांस्कृतिक ताने-बाने के संदर्भ में इस मुद्दे का समाधान करना ज़रूरी है.
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