नहीं किया कोई अपराध फिर भी मिली 170 साल की सजा, जेल में भी गुजारे इतने साल

इंसाफ दिया जाना चाहिए लेकिन इंसाफ देने की इस प्रक्रिया में कभी-कभी उस इंसान के साथ ही इंसाफ नहीं होता जिसकी पूरी की पूरी जिंदगी महज शक कि बिना पर आरोपी होने में सलाखों के पीछे निकल जाती है. जो खबरों की सुर्खियां बन जाता है और फिर दोबारा अपनी जिंदगी पहले जैसी आम तरीके से जीना उस के लिए किसी संघर्ष से कम नहीं होता.
ऐसी ही एक कहानी ब्राजील से सामने आई है, जहां व्यक्ति को 170 साल की जेल की सजा सुनाई गई उस अपराध के लिए जो उस ने कभी किया ही नहीं था और उस अपराध के लिए उस ने अपनी जिंदगी के 12 साल सलाखों के पीछे बिताए. कार्लोस एडमिलसन दा सिल्वा को ब्राजील के शहर बारुएरी में गिरफ्तार किया गया था और उन पर कई भयानक बलात्कारों के आरोप लगाए गए थे.
24 साल की उम्र में किया गया गिरफ्तार
कार्लोस एडमिलसन दा सिल्वा को 24 साल की उम्र में 12 मामलों में से पहले मामले में दोषी ठहराया गया था. मुकदमे के आखिर तक, उन्हें 170 साल जेल की सजा सुनाई गई थी, जहां उनके जेल में 12 साल बिताने के बाद डीएनए रिपोर्ट से पता चला कि इन अपराधों के लिए कोई और व्यक्ति जिम्मेदार था. डीएमए रिपोर्ट सामने आने के बाद दा सिल्वा को इस महीने की शुरुआत में रिहा कर दिया गया था. जिस समय उन्हें हिरासत में लिया गया था वो 24 साल के थे और अब वो 36 साल के हो गए हैं, अपनी जिंदगी के इतने साल गंवा देने के बाद अब पहले जैसी जिंदगी जीने का संघर्ष उन के सामने है और वो फिर से पहली जैसी जिंदगी जीने की कोशिश कर रहे हैं.
12 साल की सजा काटी
दा सिल्वा के वकील ने कहा कि जिस पुलिस प्रक्रिया के कारण उनकी गिरफ्तारी हुई, उसका इस्तेमाल अभी भी ब्राजील के जासूस करते हैं और जज इसे स्वीकार करते हैं. दा सिल्वा को जो 12 साल की सजा बलात्कार के आरोप के लिए सुनाई गई थी वो सभी सजाएं फोटो पहचान पर आधारित थीं, जिसमें पीड़ितों को उसका मगशॉट (पुलिस अपराधी की जो तस्वीर लेती है) दिखाया गया था और पूछा गया था कि क्या उन्हें विश्वास है कि वो ही अपराधी था.
हालांकि अब, इस तकनीक को खत्म करने की मांग की जा रही है. साल 2023 में, ब्राजील की सुपीरियर कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (एसटीजे) – गैर-संवैधानिक मामलों के लिए देश की शीर्ष अदालत – ने 281 फैसलों को रद्द कर दिया, जिसमें फोटो पहचान में गलतियों के चलते आरोपियों को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था.
किस आधार पर मिली थी सजा
अब आप सोच रहे होंगे कि पुलिस के पास दा सिल्वा का मगशॉट कैसे आया होगा. साल 2006 में पहली बार दा सिल्वा को डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, और उसकी तस्वीर एक पुलिस मगशॉट एल्बम का हिस्सा बन गई थी. जिसके बाद साल 2006 और 2007 में, साओ पाउलो से 30 किमी दूर बरुएरी में चार महिलाओं के साथ बलात्कारकिया गया था. दा सिल्वा के वकील फ्लाविया राहल के अनुसार, पीड़ितों में से एक को दा सिल्वा की तस्वीर दिखाई गई और उसने गलती से उसे अपने हमलावर के रूप में पहचान लिया, पीड़िता के पहचान करने की वजह से दा सिल्वा ने तीन साल जेल में बिताए जब तक कि डीएनए टेस्ट से पता नहीं चला कि वो निर्दोष थे और उन्हें रिहा कर दिया गया.
16 मई को हुई रिहाई
अपने मुकदमे के दौरान, सरकारी अभियोजक वैगनर डॉस सैंटोस क्विरोज़ ने तर्क दिया कि बलात्कारियों और चोरों का “सामान्य शारीरिक स्वरूप और चेहरा” होता है. इसीलिए पहचान में यह गलती हुई होगी. 16 मई को, एसटीजे ने दा सिल्वा की रिहाई का आदेश दिया और उन पर लगे सारे आरोपों को रद्द कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश शिएटी, जो मुकदमे में शामिल नहीं हुए लेकिन केस का अध्ययन किया, ने कहा कि तस्वीरों का इस्तेमाल अंतिम उपाय के रूप में किया जाना चाहिए. लेकिन कई मामलों में, जासूस केवल उसी की तस्वीर दिखाता है जिसे वो दोषी मानता है.
अब कहां है सिल्वा
दा सिल्वा के वकील ने कहा कि अपनी रिहाई के बाद से, दा सिल्वा शहर से दूर चले गए हैं. वकील ने कहा कि इस मामले का दुख यह है कि 12 महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया और जब राज्य ने कार्रवाई की, तो उसने एक निर्दोष व्यक्ति को सजा दी इससे किसी को इंसाफ नहीं मिलता और अंत में समाज हार जाता है. दा सिल्वा ने अपनी रिहाई के बाद कहा “नौकरी पाने और खोए हुए समय की भरपाई करेंगे.”

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