नहीं देखी होगी ऐसे मनमोहक आकर्षण वाली जगह…जहां ऐतिहासिक किले, पहाड़ और खूबसूरत बांध भी मौजूद हैं
प्राकृतिक नजारों के मामले में महाराष्ट्र का आकर्षण किसी से छुपा नहीं है और यहां अहमदनगर जिले का एक आकर्षक पर्यटन स्थल है भंडारदरा गांव. जहां ऐतिहासिक किले, जंगल, नदी, पहाड़ों के अलावा झरने भी हैं और ये सब एक ही गांव में मौजूद हैं. वैसे तो ये एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है जहां साल भर घूमने आया जा सकता है लेकिन सबसे बढ़िया मौसम मानसून का है.
मानसून में एक तो चारों तरफ हरियाली नजर आती है साथ ही पानी के झरनों और नदी में भी भरपूर पानी देखने को मिलता है जिससे इस जगह की तस्वीर काफी रंगीली नजर आती है. इस गांव के नजदीक कई ऐसी मनमोहक जगह हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करती हैं.
1. आर्थर झील : ये झील भंडारदरा बांध के नाम से भी मशहूर है जो प्रवर नदी पर बनी है. इस झील के पानी का मुख्य स्रोत प्रवर नदी ही है. इस नदी और झील की वजह से भंडारदरा को भारत के आकर्षक पर्यटन स्थलों में स्थान दिया गया है. झील के आस-पास पर्यटकों को देखने के लिए खूबसूरत प्राकृतिक नजारे मौजूद हैं जिनमें हरे-भरे पहाड़, पानी के झरने, पहाड़ पर बने किले भी शामिल हैं जो पर्यटकों को प्राचीन काल की याद दिलाते नजर आते हैं.
2. रंधा गांव का झरना : रंधा झरना भी अहमदनगर की प्रमुख प्रवर नदी पर ही रंधा गांव के पास स्थित है और इस ज़िले का बड़ा झरना है. मानसून के मौसम में इसमें पानी का बहाव बहुत ज्यादा और तेज हो जाता है जिसके चलते सरकार पर्यटकों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा गार्ड तैनात करती है, साथ ही झरने के पास न जाने के लिए जगह-जगह चेतावनी भरे साइन बोर्ड भी लगाए जाते हैं. रंधा झरना मानसून के मौसम में जलविद्युत का निर्माण भी करता है. बरसात के दौरान इस झरने की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं. यहां पर एक और झरना मौजूद है और दोनों झरनों के पानी की गिरती हुई धाराएं बहुत रोमांचक लगती हैं. ये दोनों झरने भंडारदरा के मुख्य बस स्टैंड से लगभग 10 किमी की दूरी पर स्थित हैं. इन झरनों के पास घोरपड़े देवी का मंदिर है जहां पर बैठकर शांति और सुकून का अनुभव होता है.
3. अगस्त्य ऋषि का आश्रम : भंडारदरा शहर के पास ही प्रवर नदी के किनारे पर अगस्त्य ऋषि का मंदिर है, इस मंदिर पर हर महाशिवरात्रि को एक विशेष पूजा अर्चना की जाती है साथ ही एक महायात्रा का आयोजन भी होता है जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु शामिल होने के लिए खिंचे चले आते हैं.
4. कलसुबाई चोटी: पश्चिमी घाट के पहाड़ों के बीच में ही कलसुबाई चोटी है जिसे सह्याद्री पहाड़ी की सबसे ऊंची चोटी होने का गौरव हासिल है. इस चोटी की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 5400 फीट है. इस चोटी तक पहुंचने के लिए कुशल गाइड की निगरानी में ट्रेकिंग करते हुए जाया जा सकता है. ये ट्रेकिंग सिर्फ ट्रेकिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए होती है. जंगल के कच्चे, ऊंचे-नीचे फिसलन भरे रास्तों पर चलने का अपना ही रोमांच और आकर्षण होता है. कलसुबाई की चोटी पर पहुंचकर पर्यटक देवी कलसुबाई के दर्शन भी करते हैं जहां देवी का खूबसूरत मंदिर बना है. ये जगह कलसुबाई वन्यजीव अभयारण्य की सीमा में मौजूद है.
5. विल्सन बांध: भारत में इस बांध को मिट्टी से बने सबसे बड़े बांध का दर्जा मिला हुआ है. साल 1910 में इस बांध का निर्माण प्रवर नदी पर किया गया था. बांध के डिजाइन की इंजीनियरिंग को देखकर हर पर्यटक आश्चर्यचकित रह जाता है. इस बांध के आस-पास का प्राकृतिक नजारा बड़ा ही अद्भुत और खूबसूरत है.
7. रतनवाड़ी गांव: एक प्रचीन गांव जो कलसुबाई चोटी के पास ही स्थित है इस गांव में अमृतेश्वर शिव मंदिर बना हुआ है, वहीं विश्व प्रसिद्ध रतनगढ़ का किला भी इसी गांव के पास है. सह्याद्री पहाड़ों की घाटी में ही ग्रामीणों के छोटे-छोटे झोपड़ीनुमा कच्चे घर देखने को मिलते हैं. इसी गांव से रतनगढ़ किले के लिए ट्रेकिंग का रास्ता शुरू होता है.
8. रतनगढ़ का किला: लगभग 400 साल पुराने यह किला आज एक ऐतिहासिक महत्व का पर्यटन स्थल बना हुआ है. इस किले की खासियत इसके चार दरवाजे हैं जिन्हें कोंकण, गणेश, त्र्यंबक, हनुमान नाम से जाना जाता है. किले को अंदर से देखने पर इतिहास को करीब से जानने का मौका मिलता है. किले में पुराने समय में राजा के परिवार और सैनिकों के लिए साफ पीने के पानी वाले कई जल छोटे-बड़े कुण्ड देखने को मिलते हैं. इन जल कुंडों में मानसून के दौरान पीने के पानी को सालभर के लिए संग्रहित करके रखा जाता था.
10 . अमृतेश्वर शिव मंदिर: भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण काल लगभग 1000 साल पुराना है. इसी मंदिर के परिसर में एक छोटा खूबसूरत सुंदर तालाब है जिसमें से गर्म पानी का झरना पूरे साल बहता रहता है, इस मंदिर में काले रंग के पत्थर का उपयोग मंदिर की दीवारों, स्तंभों और भगवान शिव की मूर्ती में किया गया है.
11. हरिश्चंद्रगढ़ का किला: इस किले का निर्माण मराठा राजाओं की बहादुरी को दर्शाने के लिए किया गया था. सह्याद्री पहाड़ी पर बने इस किले से आस-पास के प्राकृतिक नजारों को देखा जा सकता है.
वहीं जंगल में कैंपिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए भंडारदरा में कई प्रसिद्ध कैंपिंग स्थल भी मौजूद हैं. जहां पर प्रकृति की गोद में कुछ पल सुकून से बिताए जा सकते हैं. भंडारदरा की प्रमुख कैंपिंग साइट्स पर एक नजर.
1. भंडारदरा झील : आर्थर हिल झील के किनारे पर कैंपिंग की सुविधा मिलती है. इस जगह पर कैंपिंग करने का अलग ही अनुभव होता है. यहां पर पर्यटकों के रुकने के लिए सुविधायुक्त टेंट के साथ म्यूजिक-डांस के मजे लेने के साथ-साथ पर्यटकों की पसंद के भोजन की सुविधा भी मिलती है.
2. भंडारदरा बांध : इस बांध कि किनारों पर भी कैंप की सुविधा है. यहां पर कैंपिंग करने से प्रकृति के खूबसूरत रात और दिन के नजारों का मजा लिया जा सकता है. यहां से खूबसूरत झरनों की गिरती धराएं और उनकी आवाजों के बीच पक्षियों की आवाजें मन को अलग ही सुकून देती हैं.
4. संधान घाटी : पहाड़ों पर कैंपिंग के शौकीन पर्यटकों के लिए संधान घाटी सबसे खूबसूरत जगह है. सह्याद्री पर्वत माला के मदन और अलंग पहाड़ों पर कैंपिंग करने का अपना अलग ही एडवेंचर है. यहां पर कैंपिंग के साथ-साथ रॉक क्लाइम्बिंग, ट्रैकिंग जैसे एडवेंचर में शामिल होकर साहसी खेलों का लुत्फ भी उठा सकते हैं.
भंडारदरा के पर्यटक स्थल देखने के लिए सबसे आसान मार्ग
सड़क मार्ग : भंडारदरा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से लगभग 180 किमी, पुणे लगभग 170 किमी है और नासिक से 75 किमी, शिर्डी से लगभग 130 किमी, और इगतपुरी से करीब 45 किमी की दूरी पर है. यहां पहुंचने के लिए महाराष्ट्र के सभी शहरों से राज्य परिवहन निगम की बसों की सुविधा मौजूद है. पर्यटक अपने बजट के अनुसार निजी कैब या टेक्सी लेकर भी आसानी से पहुंच सकते हैं.
रेल मार्ग : भंडारदरा पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन इगतपुरी लगभग 45 किमी और नासिक लगभग 75 किमी की दूरी पर है. इगतपुरी की तुलना में नासिक एक बड़ा रेलवे स्टेशन है. जहां बड़ी तादाद में ट्रेनों का स्टॉपेज है और हर बड़े शहर से पुणे, गोवा और मुंबई के लिए आने-जाने वाली ट्रेन रुकती है.
हवाई मार्ग :भंडारदरा के सबसे नजदीक पुणे एयरपोर्ट है जो तकरीबन 170 किमी की दूरी पर है, वहीं मुंबई का एयरपोर्ट लगभग 180 किमी की दूरी पर है. ये दोनों एयरपोर्ट देश के सभी बड़े एयरपोर्ट से जुड़े हुए हैं.