नीता अंबानी ने पहना था जो 500 करोड़ का हार, कैसे होता है उस ‘पन्ना’ का कारोबार?

अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी की डिटेल आनी शुरू हो गई हैं. ऐसे में सब उत्सुक हैं कि इस बार अंबानी परिवार क्या-क्या तैयारियां कर रहा है. कौन शादी के कपड़े डिजाइन कर रहा है, तो अंबानी परिवार की महिलाएं कौन-सी डिजाइनर ज्वैलरी इस बार पहनने वाली हैं. जैसे आपको नीता अंबानी का अनंत-राधिका के पहले प्री-वेडिंग में पहना गया ‘पन्ना’ का खूबसूरत हार तो याद होगा ही.
नीता अंबानी ने जो हार पहना था, उसमें सिर्फ हीरे नहीं जड़े थे, बल्कि ‘पन्ना पत्थर’ की दो बड़ी ‘ईंट’ भी जड़ी थीं. ‘पन्ना’ दुनिया का ऐसा बेशकीमती पत्थर है, जिसका हीरे के बाद सबसे ज्यादा ट्रेड होता है. भारत जैसे हीरा कटिंग के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा मार्केट (सूरत) है, उसी तरह पन्ना कटिंग के मामले में भी वह ग्लोबल लीडर है. इस मामले में सबसे आगे राजस्थान का जयपुर शहर है. क्या आप जानते हैं कि पन्ना का कारोबार कैसे होता है?
क्या है पन्ना की खासियत?
पन्ना असलियत में एक कठोर जेमस्टोन होता है. ये बायरल फैमिली का होता है. इसका हरा रंग इसकी खासियत होता है. माना जाता है कि पहली बार पन्ना को मिस्र में ईसा के जन्म से 330 साल पहले निकाला गया था. खूबसूरती का पर्याय मानी जाने वाली मिस्र की रानी क्लियोपेट्रा के पास ‘पन्नों’ से बना शानदार कलेक्शन था.
भारत में भी पन्ना का इतिहास हजारों साल पुराना है. ज्योतिषशास्त्र में इसे राशि रत्न की तरह मान्यता मिली है. पन्ना 12 राशियों के लिए अलग-अलग प्रभाव रखता है, तो जोडएक साइन के हिसाब से मई में पैदा होने वाले लोग इसे बर्थस्टोन की तरह इस्तेमाल करते हैं.
पन्ना की ज्वैलरी (Photo : Unsplash)
भारत में ‘पन्ना’ हमेशा से आभूषण का हिस्सा रहा है और हैदराबाद के निजाम के पास पन्नों से बनी जूलरी का एक पूरा कलेक्शन है, जो अब भारत सरकार के खजाने का हिस्सा है.
कैसे तय होती है पन्ना कीमत?
‘पन्ना’ की वैल्यू भी डायमंड यानी हीरे की तरह ही तय होती है. इसकी कीमत भी 4C यानी कट, कैरट, क्लियरिटी और कलर के हिसाब से तय होती है. अगर पन्ना में पीले रंग या सफेद रंग का टच ज्यादा है, या ये बहुत ज्यादा नीले रंग की झलक लिए हुए है, तो इसकी वैल्यू कम हो जाती है. ‘हरा रंग’ ही ‘पन्ना’ को बेहतरीन दाम दिलाता है.
दुनिया में कम ही जगहों पर ‘पन्ना’ पाया जाता है. सबसे शानदार क्वालिटी का ‘पन्ना’ कोलंबिया से आता है. इसके अलावा भारत, मिस्र, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, रूस, जाम्बिया, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया समेत करीब 16 देशों में ‘पन्ना’ मिलता है. वहीं इस पर जान छिड़कने वाले सबसे ज्यादा ग्राहक अमेरिका और जापान में मिलते हैं, जो दुनिया की करीब 75% खपत को खत्म कर देते हैं.
पन्ना में पीलापन उसकी कीमत को कम करता है (Photo : Unsplash)
भारत के पास कितना ‘पन्ना’?
वैसे तो भारत के मध्यप्रदेश में पन्ना नाम की एक जगह भी है, लेकिन वहां असलियत में ‘पन्ना’ नहीं बल्कि हीरे की खदान मिलती है. वहीं इंडियन मिनरल ईयरबुक-2022 की मानें तो भारत में ‘पन्ना’ का करीब 55.87 टन भंडार पाया जाता है. ये मुख्य तौर पर झारखंड, राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में हैं.
राजस्थान के अजमेर-राजसमंद बेल्ट में अच्छा खासा भंडार है. शायद यही वजह है कि जयपुर ‘पन्ना’ से जुड़े व्यापार का सबसे बड़ा केंद्र है. जयपुर में ‘पन्ना’ की ग्रेडिंग से लेकर कटिंग, पॉलिशिंग और ज्वैलरी मेकिंग का काम खूब होता है. हालांकि भारत ‘पन्ना’ से जुड़ा कच्चा माल दूसरे देशों से आयात करता है और फिर उन्हें तैयार जेमस्टोन के तौर पर एक्सपोर्ट कर देता है.
कच्चा पन्ना पत्थर (Photo : Unsplash)
भारत से ‘पन्ना’ का एक्सपोर्ट?
अगर इंडियन मिनरल ईयरबुक-2022 को ही देखें, तो भारत से कट और अनकट ‘पन्ना’ का एक्सपोर्ट सालाना आधार पर 103% उछला है. कोविड के कारण इसके निर्यात में जो गिरावट आई थी वह दोबारा ठीक हो रही है. 2021-22 में भारत ने 1090 करोड़ रुपए का ‘पन्ना’ एक्सपोर्ट किया. सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट अमेरिका, हांगकाग और थाईलैंड जैसे देशों को हुआ.
वहीं कोविड से पहले 2018-19 की इंडियन मिनरल ईयरबुक देखें, तो भारत ने 2303 करोड़ रुपए का ‘पन्ना’ निर्यात किया था. 2017-18 में भी ये 1776 करोड़ रुपए का निर्यात था. इतना ही नहीं उस साल भारत से सबसे ज्यादा ‘पन्ना’ निर्यात हांगकांग को करीब 51% रहा था. इसके बाद अमेरिका और थाईलैंड का नंबर था.

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