नेतागिरी की ललक, राजू बेहट से अदावत और अपनों का हीरो… कौन था आनंदपाल, जिसकी हत्या में नपी खाकी?
गैंगस्टर आनंदपाल एनकाउंटर केस में जोधपुर की CBI कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. इसमें पुलिस अधिकारियों को हत्या का आरोपी माना है. आरोपियों में तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारहट, तत्कालीन एडिशनल एसपी विद्या प्रकाश चौधरी, डीएसपी सूर्यवीर सिंह राठौड़ और हेड कांस्टेबल कैलाश हैं. राजस्थान एसओजी ने साल 2017 के जून महीने में चूरू के मालासर गांव में उसका एनकाउंटर किया था.
आनंदपाल का जन्म 31 मई 1975 को राजस्थान के नागौर जिले की लाडनूं तहसील के सांवराद गांव में हुआ था. पिता का नाम हुकुम सिंह चौहान और मां का नाम निर्मल कंवर था. बेटा नाम कमाए… हर मां-बाप की तरह हुकुम और निर्मल कंवर ने भी यही सोचा था. दूध का कारोबार करने वाले हुकुम ने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. उसे वकालत की पढ़ाई कराने के साथ ही बीएडी की भी डिग्री दिलाई.
बीएड की पढ़ाई और नेतागिरी का रंग
बीएड की पढ़ाई… यही वो समय था जब आनंदपाल पर नेतागिरी का रंग चढ़ने लगा. नेतागिरी में उसकी ललक ने साल 2000 में उसे नागौर जिला पंचायत समिति के चुनाव में उतार दिया. आनंद ने इस चुनाव में जीत भी दर्ज की. ये वो सियासी सीढ़ी थी, जिसके दम पर वो अपने ख्वाबों का कारवां बुन रहा था.
इसके बाद उसने जिला पंचायत समिति के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया. ये चुनाव उसने निर्दल लड़ा. उसके सामने कांग्रेस नेता हरजी राम बुरड़क के बेटे जगन्नाथ बुरड़क थे. इस चुनाव में आनंद ने बड़ी मेहनत की. मगर वो जीत की दहलीज पार नहीं कर सका और दो वोट से हार गया.
शराब के अवैध कारोबार को बनाया जिंदगी जरिया
सियासत में सक्रिय हो चुका आनंदपाल क्राइम के जरिए दौलत भी जुटाने लगा था. वो शराब का अवैध कारोबार करने लगा. सियासत में बिताए कुछ दिनों की अपेक्षा जरायम के दिन उसे खूब भाए. इसके बाद उसने राजनीति से तौबा किया और क्राइम की पाठशाला का मास्टर बनने चल पड़ा. इस राह में उसने अपने सियासी अनुभव ‘सोशल इंजीनियरिंग’ का भी बखूबी इस्तेमाल किया.
आनंदपाल ने शराब के अवैध कारोबार में रावणा राजपूत समाज के युवाओं को साधा. इससे वो काफी पैसा कमाने लगा. वो अपने साथ काम करने वाले लोगों के साथ ही जरूरतमंदों के लिए खड़ा रहता था. दिल खोलकर पैसा खर्च करता था. एक ओर पुलिस के लिए आनंदपाल विलेन था तो अपने लोगों के लिए हीरो.
इस कत्ल के बाद आनंदपाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा
शराब के अवैध कारोबार से बेशुमार दौलत कमा रहे आनंदपाल की जिंदगी में एक घटना ऐसी घटी, जिसने उसने क्राइम मास्टर बना ही दिया. हुआ कुछ यूं कि उसके जिगरी जाट दोस्त जीवनराम ने राजपूत फौजी मदन सिंह की निर्मम हत्या कर दी. इस वारदात ने जातीय हिंसा का रूप ले लिया. इसके बाद आनंदपाल ने जो कदम उठाया, उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.
आनंदपाल ने अपने जिगरी दोस्त को ही मौत के घाट उतार दिया. इस कत्ल के बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो क्राइम का पोस्टर बॉय बन गया. अब उसके दो कारोबार हो चुके थे. एक क्राइम और दूसरा अवैध शराब. इसी को लेकर उसने शेखावटी के गैंगस्टर राजू ठेहट से अदावत मोल ले ली.
राजू बेहट ने तैयार किया आनंद के खात्मे का ब्लूप्रिंट
साल 2006 में आनंदपाल ने ठेहट के करीबी गोपाल की हत्या कर दी. इस घटना से राजू बेहट का खून खौल रहा था. उसने भी आनंद के खात्मे का ब्लूप्रिंट तैयार किया. उसने आनंदपाल को जेल में मरवाने का प्लान बनाया. आनंदपाल उस समय बीकानेर की जेल में था. यहीं राजू का भाई भी सजा काट रहा था. उसने जेल में आनंदपाल पर गोली चलाई. हालांकि, इसमें वो बच गया.
3 सितंबर 2015 को नागौर की जिला कोर्ट में आनंदपाल की पेशी थी. राज्य पुलिस उसको जेल से नागौर लेकर गई. इस दौरान चकमा देकर वो भाग गया. पुलिस ने उसके ऊपर 10 लाख का इनाम घोषित रखा. ये वो वक्त था जब आनंदपाल राजस्थान ही नहीं हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और देश की राजधानी दिल्ली तक सुर्खियों में रहता था.
यही गिरफ्तारी आनंदपाल के लिए मौत लेकर आई
पुलिस लगातार उसे ट्रेस कर रही था. इसी बीच हरियाणा के सिरसा से उसके दोनों भाइयों देवेंद्र और विक्की को पुलिस ने पकड़ लिया. यही गिरफ्तारी आनंदपाल के लिए मौत लेकर आई थी. कथित तौर पर देवेंद्र और विक्की से पुलिस ने आनंदपाल की लोकेशन उगलवा ली. उन्होंने पुलिस को बताया कि आनंद चूरू के मालासर गांव में श्रवण सिंह के घर में है.
इसके बाद 24 जून 2017 की रात पुलिस ने श्रवण के मकान की घेराबंदी कर दी और आनंदपाल को ललकारा. मौत और पुलिस से बेखौफ आनंदपाल ने गोली से पुलिस को जवाब दिया. दोनों ओर से भारी गोलीबारी हुई और आनंदपाल मारा गया. उसकी मौत की खबर से लोग सन्न रह गए थे. काफी दिनों मौत का मामला गर्माया रहा था.
अब जोधपुर की CBI कोर्ट के फैसले के बाद आनंदपाल एक बार फिर लोगों की जुबां पर है. इस मामले में वकील भवंर सिंह राठौड़ ने बताया है कि उन्होंने एनकाउंटर को लेकर CBI की क्लोजर रिपोर्ट पढ़ी है, जो कि साफ-साफ बता रही है कि आनंदपाल को करीब से गोली मारी गई थी.