नेपाल के नए PM ओली, जिनके बर्थडे पर हेलिकॉप्टर से गांव पहुंचा केक, बना था देश का नक्शा
खडग प्रसाद शर्मा ओली यानी केपी शर्मा ओली एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए हैं. सियासी उलटफेर के तहत फिर से सत्ता में लौटे केपी शर्मा ने चौथी बार देश की कमान अपने हाथों में ली है. राष्ट्रवादी छवि, भारत विरोधी नेता और महंगे शौक रखने वाले केपी शर्मा का विवादों से भी लंबा नाता रहा है. वह भले ही चौथी बार प्रधानमंत्री बने हैं लेकिन पिछले 3 कार्यकाल के दौरान एक बार भी वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं. इस बार भी वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे.
सीपीएन-यूएमएल पार्टी के अध्यक्ष 72 साल के केपी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता तब साफ हो गया जब पुष्प कमल दाहाल उर्फ प्रचंड पिछले हफ्ते शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा में अपनी सरकार का विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए. फिर ओली संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से देश के अगले प्रधानमंत्री बने. प्रचंड सरकार के पतन के बाद उसी रात नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से ओली ने नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. साथ ही राष्ट्रपति को प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों (सीपीएन-यूएमएल के 77 और नेपाली कांग्रेस से 88) के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र भी सौंप दिया.
बारी-बारी से संभालेंगे देश की बागडोर
नई सरकार का गठन इस मायने में खास है क्योंकि दोनों शीर्ष नेता इस मुद्दे पर रजामंद हुए कि प्रधानमंत्री का शेष कार्यकाल बारी-बारी से आपस में साझा किया जाएगा. देउबा और ओली के बीच एक जुलाई को नई सरकार को लेकर समझौता हो गया था. दोनों दल साल 2027 में होने वाले अगले आम चुनाव तक बारी-बारी से सरकार की अगुवाई करेंगे. 4 बार पीएम बनने वाले ओली 2006 में गिरिजा प्रसाद कोइराला की अंतरिम सरकार के समय उपप्रधानमंत्री भी रहे थे.
नेपाल की राजनीति के अनुभवी कम्युनिस्ट नेताओं में शुमार ओली का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है. पूर्वी नेपाल में साल 1952 में जन्मे ओली ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और महज 22 साल की उम्र में एक किसान धर्म प्रसाद ढकाल की हत्या के मामले में जेल भेजे गए. उन्होंने महज 12 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कर दी थी.
14 साल तक जेल में रहे ओली
शुरुआत में ओली कम्युनिस्ट नेता रामनाथ दहल की मदद से झापा चले गए थे. तब ओली कॉर्ल मार्क्स और लेनिन के दर्शन से खासा प्रभावित थे और 1966 में वह कम्युनिस्ट राजनीति में एंट्री कर चुके थे. फरवरी 1970 में, वह 18 साल की उम्र में कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए लेकिन जल्द ही वह गिरफ्तार भी हो गए और उन्हें 14 साल के लिए जेल भेज दिया गया.
डेढ़ दशक तक जेल में रहने के बाद ओली को शाही क्षमा मिली और 1980 के दशक के मध्य में जेल से बाहर आए. जेल से बाहर आने के बाद 1987 में ओली नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल कमिटी के सदस्य बने.
साल 2015 में पहली बार बने PM
1990 के दशक के बाद ओली तेजी से देश की राजनीति में चढ़ते चले गए और कम्युनिस्ट पार्टी में एक अहम नेता बन गए. 2015 के आम चुनाव में ओली 597 में से 338 वोट जीतकर प्रधानमंत्री चुने गए. हालांकि, जुलाई 2016 में उनकी सरकार का पतन हो गया. कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी-सेंट्रल) की ओर से समर्थन वापस लेने और संसद में अविश्वास प्रस्ताव हारने के बाद ओली को महज 10 महीने बाद ही पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा.
15 फरवरी 2018 में वह दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने, जब प्रतिनिधि सभा में सीपीएन (यूएमएल) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. इस बार यह सरकार 40 महीने तक चली, लेकिन 10 मई 2021 में सदन में बहुमत हासिल करने में नाकाम रहने के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा था. हालांकि महज 3 दिन बाद ही 13 मई 2021 को ओली को फिर से पीएम बनने का मौका मिला.
ओली ने चलाई अल्पमत वाली सरकार
तत्कालीन राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें इस बार अल्पमत वाली सरकार का प्रधानमंत्री बनाने का फैसला क्योंकि कोई भी विपक्षी दल बहुमत वाली सरकार बनाने के दावा तय समय सीमा में नहीं कर सका. फिर 22 मई 2021 की आधी रात्रि राष्ट्रपति विद्या देवी ने प्रतिनिधि सभा को भंग कर दिया और ओली को नए चुनाव होने तक अंतरिम सरकार चलाने को कहा. वह इस बार 3 महीने ही पद पर रहे. कुल मिलाकर अपने पिछले 3 कार्यकाल में 4 साल 5 महीने ही पीएम पद रह सके.
बर्थडे पर विवादों में आए थे PM ओली
हालांकि वह कई बार विवादों में भी रहे. फरवरी 2020 में अपने 69वें जन्मदिन के दिन वह विवादों में आ गए और विपक्ष ने भी उन्हें अपने निशाने पर ले लिया. हुआ यह कि तत्कालीन प्रधानमंत्री के रूप में ओली ने अपने देश के नक्शे वाला 15 किलो का केक काटा. देश के नक्शे वाला यह केक काठमांडू से उनके जन्मस्थान और कार्यक्रम स्थल पूर्वी नेपाल के तेरहथुम जिले के आठराई तक सेना के हेलिकॉप्टर के जरिए पहुंचाया गया. आरोप यह भी लगाया गया कि आठराई के पास 4 लाख रुपये खर्च करके एक हेलिपैड बनाया गया था.
नेपाल के नक्शे वाला केक
उनके बर्थडे पर ग्रामीण नगर पालिका ने छुट्टी का ऐलान कर दिया. ओली ने अपनी पत्नी राधिका शाक्य, स्कूली बच्चों समेत बड़ी संख्या में लोगों स्पेशल केक को काटा. राधिका भी एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता हैं. कई लोगों ने इस तरह से केक काटे जाने का विरोध किया और कहा, “क्रिमिनल कोड 2017 की धारा 151 के मुताबिक राष्ट्रगान और राष्ट्रीय झंडे का अपमान अपराध है. साथ ही राष्ट्रीय चिन्हों को गलत जगह या गलत स्थिति में दिखाना भी दंडनीय है.”