नेपाल में क्या बचेगी प्रधानमंत्री प्रचंड की सरकार? 12 जुलाई को सदन में साबित करना होगा बहुमत

नेपाल में प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ की सरकार पर संकट के बादल छाए हुए हैं. प्रचंड के गठबंधन सरकार के दो घटक दल सीपीएन-यूएमएल ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है और नेपाली कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की दौड़ में शामिल हो गये हैं. इस सियासी घमासान के बीच 12 जुलाई को प्रधानमंत्री प्रचंड को सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करना पड़ेगा. प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने के लिए वह प्रस्ताव पेश करेंगे.
प्रधानमंत्री प्रचंड ने संसद सचिवालय को एक पत्र भेजकर विश्वास मत के लिए पोलिंग करवाने की व्यवस्था की है. शुक्रवार को उन्होंने संघीय संसद को पत्र लिखा है. इस पत्र में प्रधानमंत्री प्रचंड ने कहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन के दो घटक दलों ने समर्थन वापस ले लिया है. नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 100 (2) के तहत वह 12 जुलाई को विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रयास करेंगे.
इससे पहले प्रधानमंत्री प्रचंड ने विपक्षी पार्टियों द्वारा इस्तीफा देने की मांग को खारिज कर दिया था. प्रचंड मंत्रिमंडल से आठ मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उन्होंने कहा था कि वह इस्तीफा देने की जगह विश्वास मत हासिल करना पसंद करेंगे.
प्रचंड का घटक दलों ने छोड़ा साथ
हाल में नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने नई एनसी-यूएमएल गठबंधन सरकार बनाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
समझौते के अनुसार, यूएमएल अध्यक्ष ओली डेढ़ साल तक गठबंधन का नेतृत्व करेंगे और एनसी अध्यक्ष देउबा वर्तमान संसद के शेष कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री होंगे.
जानिए प्रतिनिधि सभा में किस पार्टी के हैं कितने सदस्य
275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के पास 89 सीटें हैं, जबकि सीपीएन-यूएमएल के पास 78 सीटें हैं. प्रचंड की पार्टी, नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी केंद्र (सीपीएन-एमसी) के पास 32 सीटें हैं.
सीपीएन-एकीकृत समाजवादी (सीपीएन-यूएस) के पास 10 सीटें हैं. इसने प्रचंड के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में मतदान करने का ऐलान किया है. इस समर्थन के बावजूद प्रचंड को सदन में केवल 63 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जबकि विश्वास मत हासिल करने के लिए सरकार को 138 वोटों की आवश्यकता है.
नेपाल के संसदीय इतिहास में यह पांचवीं बार है, जब प्रचंड डेढ़ साल के कार्यकाल के भीतर विश्वास मत हासिल करने की कोशिश करेंगे. यदि गठबंधन सहयोगी समर्थन वापस ले लेता है तो गठबंधन सरकार को 30 दिनों के भीतर विश्वास मत मांगना आवश्यक है.

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