नेपाल में भारी बारिश ने मचाई तबाही, बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 62 लोगों की मौत

मानसून की शुरुआत के बाद से पिछले चार हफ्ते में नेपाल में बारिश से संबंधित घटनाओं में कम से कम 62 लोगों की मौत हो गई और 90 अन्य घायल हो गए हैं. गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि मानसून से संबंधित इन मौतों के मुख्य कारण भूस्खलन, बाढ़ और आकाशीय बिजली गिरना हैं. अधिकारियों ने बताया कि मरने वालों में से 34 लोगों की मौत भूस्खलन से हुई, जबकि 28 लोग लगातार बारिश के कारण आयी बाढ़ में मारे गए. अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा, इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण सात लोग लापता बताए गए हैं.
भारी बारिश और उसके बाद आयी बाढ़ और भूस्खलन से संपत्ति को भी काफी नुकसान पहुंचा है. कम से कम 121 मकान जलमग्न हो गए हैं और 82 अन्य क्षतिग्रस्त हो गए हैं. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ ने सभी राज्य तंत्रों को मानसून की बाढ़, भूस्खलन और बाढ़ से प्रभावित लोगों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है.
बचाव और राहत कार्य का निर्देश
रविवार को सिंह दरबार स्थित नियंत्रण कक्ष में एक बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री ने सभी राज्य एजेंसियों को इन प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित नागरिकों के लिए बचाव और राहत प्रयासों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया. उन्होंने सभी नागरिकों से संभावित आपदाओं के प्रति सतर्क रहने का भी आग्रह किया और राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और सामाजिक संगठनों से आपदा जोखिमों को कम करने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहयोग करने का आह्वान किया.
नारायणी नदी का जलस्तर बढ़ा
इस बीच खबर के अनुसार, नारायणी नदी में जलस्तर चेतावनी स्तर से ऊपर पहुंचने के बाद गंडक बैराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं. सुबह सात बजे गंडक बैराज में पानी का प्रवाह 440,750 क्यूसेक मापा गया. सप्तकोशी जल मापन केंद्र के हवाले से खबर में कहा गया है कि पानी का प्रवाह चेतावनी स्तर तक बढ़ने के बाद कोशी बैराज के 41 गेट खोल दिए गए हैं.
भूस्खलन और बाढ़ से मौत
नेपाल में मानसून का मौसम आम तौर पर 13 जून को शुरू होता है और 23 सितंबर को खत्म होता है. पिछले साल, यह सामान्य से एक दिन देरी से 14 जून को शुरू हुआ था. नेपाल को अपने इलाके, अनियोजित शहरीकरण और ढलानों पर भूस्खलन की आशंका वाली बस्तियों के कारण मानसून के दौरान भूस्खलन और बाढ़ से अधिक संख्या में मौतों का सामना करना पड़ता है. काठमांडू, भक्तपुर और ललितपुर जिलों को शामिल करने वाली काठमांडू घाटी में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिससे प्रमुख नदियों में बाढ़ आ गई है.

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