न्याय मिलने पर पिएंगे चाय… कोलकाता में बैठक पर ममता बनर्जी को जूनियर डॉक्टर्स का जवाब
पश्चिम बंगाल के कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए जूनियर डॉक्टर के रेप-मर्डर केस को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए बाकी जूनियर डॉक्टर्स अभी तक सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं. हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके सामने बातचीत का प्रस्ताव रखा था लेकिन बात नहीं बन पाई. सीएम से मुलाकात पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल डॉक्टर अकीब ने कहा वह चाहते हैं कि इस केस में शामिल सभी लोग इस्तीफा दें.
डॉक्टर अकीब ने कहा कि ‘जब माननीय मुख्यमंत्री जी हमारे बीच आई थीं. तब बहुत खुशी के साथ, जो उन्होंने हमारे साथ डायलॉग का सिलसिला शुरू किया था. हमने भी उसे पॉजिटिव पॉइंट की तरह लिया और आगे बढ़े. तब हमें एक ऑफिशियल मीटिंग के लिए कालीघाट आने के लिए कहा गया था. हम वहां गए, जब हम वहां गए, जो हमारी कंडीशन थीं कि मीटिंग की लाइव स्ट्रीमिंग हो, हमने उस पर समझौता कर लिया. हमने कहा कि ठीक है आप लाइव स्ट्रीमिंग नहीं तो मीटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग कर लीजिए और जब यह मीटिंग खत्म हो जाए तो वीडियो रिकॉर्डिंग का जो क्लिप होगा. वह हमें दे दीजिए. इस पर भी अथोरिटी राजी नहीं हुए.
हम बारिश में इंतजार करते रहे
उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद खुद माननीय मुख्यमंत्री बाहर आईं. उन्होंने खुद हमसे रिक्वेस्ट की कि आओ चाय पर मीटिंग करते हैं . लेकिन पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर फ्रंट के एक-एक डॉक्टर ने यह बताया कि हम चाय तभी पीएंगे जब हमें इंसाफ मिलेगा. हम पानी भी तभी पीएंगे. इसके बाद हम बारिश में खड़े रहे. हमने बाद में वीडियोग्राफी की मांग भी छोड़ दी और सिर्फ मीटिंग में होने वाली बातों को नोट्स करने पर तैयार हो गए. फिर हमें बताया गया कि अब देरी हो गई है और अब कुछ भी नहीं किया जा सकता था. हम बारिश में इंतजार करते रहे, लेकिन हमें बिना किसी समाधान के लौटना पड़ा और सभी जूनियर डॉक्टर जो मीटिंग के लिए गए थे हम सब निराश हो गए.
एक इंस्टीट्यूशनल क्राइम
यही नहीं उन्होंने आगे यह भी कहा कि आज, संदीप घोष को गिरफ्तार कर लिया गया है और यह इस बात को सच साबित करता है कि हमारी मांग सही थी, हमारा आंदोलन सही था. घोष ने जो किया है, वह एक इंस्टीट्यूशनल क्राइम है. ऐसे न जानें कितने प्रिंसिपल और ऑफिसर्स इस मामले में शामिल हो सकते हैं. हमारी मांग यह है कि जो भी लोग इसमें शामिल हैं सभी इस्तीफा दें. उन्हें कानूनी दायरे में लिया जाए और इंसाफ मिले. हमारा आंदोलन तब तक चलेगा. जब तक इंसाफ नहीं मिल जाता. हम इंसाफ लेकर ही जाएंगे.