पश्तून राजनीतिक दल पर पाक सरकार ने लगाया बैन, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बताया खतरा

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. उसने एक जातीय पश्तून राजनीतिक दल को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताया है. सरकार ने रविवार 6 अक्टूबर को इस दल पर पाबंदी लगा दी है. गृह मंत्रालय की तरफ से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक आतंकवाद-रोधी अधिनियम, 1997 की धारा 11बी के तहत इस पार्टी को गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया है.
पश्तून तहफुज मूवमेंट (पीटीएम) अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली क्षेत्र में सक्रिय है. ये दल अक्सर पाकिस्तान की सेना की आलोचना करता है. बताया जाता है कि देश में पश्तून तहफुज मूवमेंट इकलौती ऐसी पार्टी है जिसने पाक सेना को खुली चुनौती दे रखी है. सरकार ने देश के लिए इसे खतरा बताया है. सरकार के जरिए जारी की गई अधिसूचना के अनुसार पीटीएम देश में लोक व्यवस्था और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है.
सेना को खुलेआम चुनौती देता है सूमह
मंजूर पश्तीन के नेतृत्व में ये समूह कुछ सालों से सक्रिय था, जिसका नेतृत्व अफगान सीमा से लगे कबायली क्षेत्र की समस्याओं के लिए पाकिस्तानी सेना को दोषी ठहराता है. इस समूह का मानना है कि कबायली क्षेत्र में जो भी समस्याएं हो रही हैं उसके लिए पाक सेना जिम्मेदार है. ऐसे में ये दल जमकर सेना की आलोचना करता है और सेना को खुलेआम चुनौती देता है.
‘राष्ट्र-विरोधी तत्वों का मोहरा’
पाकिस्तानी अधिकारियों का दावा है कि पश्तून तहफुज मूवमेंट देश के अंदर और बाहर, खास तौर पर अफगानिस्तान में सक्रिय राष्ट्र-विरोधी तत्वों का मोहरा बन गया है. हालांकि पीटीएम हमेशा से इन आरोपों को सिरे से खारिज करता आ रहा है.
मंजूर पश्तीन ने की थी स्थापना
मई 2014 में पीटीएम की शुरुआत महसूद तहफुज आंदोलन के तौर पर हुई थी. मंजूर पश्तीन ने इसकी स्थापना की थी. बताया जाता है कि जब छात्रों के एक समूह ने वजीरिस्तान और कबायली क्षेत्र के अन्य हिस्सों से बारूदी सुरंगों को हटाने की पहल के रूप में इसका गठन किया था. तभी से ये समूह सक्रीय है. खैबर पख्तूनख्वा के आदिवासी इलाकों में इस समूह को काफी समर्थन मिलता है. पश्तून तहाफुज मूवमेंट नेता आरिफ वजीर की हत्या के बाद लगातार ये दल सेना के लिए चुनौती बनता जा रहा है.

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