पश्मीना शॉल से लेकर फेरन तक कश्मीर का पहनावा है बेहद खास
पहाड़ों की चोटियां, बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी घाटियां, झील, मंदिर और शानदार बगीचों से घिरा कश्मीर अपनी सुंदरता के लिए हमेशा जाना जाता है. ये गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और युस्मार्ग जैसी लोकप्रिय जगहों के लिए भी जाना जाता है. यहां घूमने के लिए बहुत ही खूबसूरत जगहें मौजूद हैं. जहां को मनमोहक दृश्य देखकर मन को शांति मिलती है. गर्मियों में यहां की ठंडी हवाएं और सर्दियों में बर्फबारी यहां के दृश्यों की शान बढ़ा देती है.
वहीं कश्मीर का पारंपरिक पहनावा इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और मौसम की जरूरतों को दर्शाता है. सर्दियों के मौसम में शहरों में बहुत से लोग कश्मीर के पहनावे से जुड़ा फैशन फॉलो करते हैं. जो सर्दियों में ठंडी हवाओं से बचाने के साथ ही स्टाइलिश भी लगता है. आज हम आपको इस आर्टिकल में कश्मीर की पहनावे से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में बताने जा रहे हैं.
कश्मीरी शॉल
जम्मू कश्मीर की हैंड एम्ब्रायडरी बहुत फेमस है. कश्मीरी शॉल लोग बहुत पसंद करते हैं. जिसकी सबसे बड़ी पहचान उनकी मुलायमता और गर्माहट होती है. इसे अक्सर ऊन या पश्मीना जो कि एक खास तरह की ऊन होती है उसे बनाया जाता है. शॉल पर खूबसूरत कढ़ाई की जाती है. ज्यादातर इसमें फलों का डिजाइन डाला जाता है. पश्मीना शॉल बहुत ही सुंदर होती है. ओरिजनल पश्मीना शॉल की खासियत होती है कि वो पुरानी होने के बाद भी उसकी चमक बनी रहती है. साथ ही बहुत लाइट वेट होती है. ये दूसरी शॉल के मुकाबले महंगी होती है.
फेरन
कश्मीर में महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए पारंपरिक पोशाक है. ये एक लंबा और ढीला गाउन होता है. गर्मियों के मौसम में फेरन कपास से और सर्दियों में ऊन से बनाया जाता है. सर्दियों में बर्फबारी के दौरान ठंड से बचने के लिए इसे पहना जाता है. फेरन एक लंबा, ढीला कपड़ा है, जो ठंड से बचने के लिए सही होता है. फेरन में कढ़ाई से कई तरह के डिजाइन किए जाते हैं. इसे क्लोज-फिटिंग शलवार या चूड़ीदार पायजामा के साथ पहना जाता है.
कश्मीरी कुर्ता
कश्मीर में पुरुष हल्के या भारी ऊन से बना कुर्ता चूड़ीदार या फिर पठानी सलवार के साथ पहनना पसंद करते हैं. रंग-बिरंगे कुर्ता पर कढ़ाई की जाती है, जो कश्मीरी संस्कृति को दर्शाते हैं. पुरुष कश्मीरी पगड़ी भी पहनते हैं जो उनका पारंपरिक वेशभूषा का एक जरूरी हिस्सा माना जाता है. ये कई तरह के रंगों और डिजाइन में होती है.
गहनें
कश्मीर में महिलाएं नाक में नथ, अंगूठी, चूड़ियां, झुमके और हार पहनती हैं. इसी के साथ ही कश्मीरी पंडित परिवार की शादीशुदा महिलाएं डेजहूर पहनती हैं. इसे अथ के नाम से भी जाना जाता है. ये पतली से गोल्ड की चेन या फिर धागा होता है जिसमें लॉकेट लटका रहा है. ये शादी के दौरान पहनाया जाता है. उस समय ये लाला रंग का धागा होता है लेकिन बाद में इसे बदल दिया जाता है और इसकी जगह सोने की चेन पहनाई जाती है जिसे डेजहूर कहा जाता है. कश्मीरी महिलाएं कान के अंदर छेड करवाकर इसे पहनती हैं, लेकिन आजकल महिलाएं इसे इयररिंग्स की तरह भी पहने लगी हैं.
तरंग और हेडगियर्स
कश्मीरी महिलाएं सिर का चमकीले रंग का दुपट्टा या फिर तरंग पहनती हैं, जिसे लटकी हुई टोपी से सिल दिया जाता है. तरंग हिंदुओं में शादी की पोशाक का एक जरूरी पार्ट होता है. वहीं कश्मीर में हेडगियर्स भी पहना जाता है. ये तरंग से थोड़ा अलग होता है. हेड गियर लाल रंग का होता है, इसे माथे पर पगड़ी की तरह बांधा जाता है. इसे कसाबा और अबाया के नास से भी जाना जाता है. जिसे मुस्लिम महिलाएं ज्यादा पहनती हैं.