पश्मीना से लेकर ढाबला तक, भारत में बहुत मशहूर हैं ये सात तरह की शॉल

सर्दियों के मौसम की शुरुआत होते ही खान-पान और कपड़ों में बदलाव किया जाता है. ऐसे कपड़े पहने जाते हैं जो ठंडी हवाओं से शरीर का बचाव करें और गर्माहट महसूस हो. स्वेटर, कोट, मफरल और शॉल का उपयोग सर्दियों में किया जाता है. शॉल का उपयोग न केवल गर्मी पाने के लिए होता है, बल्कि यह एक फैशन स्टेटमेंट भी है. शादी या पार्टी में महिलाएं सूट, साड़ी या लहंगा के साथ शॉल स्टाइल करती हैं. यह न केवल शरीर को गर्म रखता है, बल्कि इसे पहनने से व्यक्ति का लुक भी आकर्षक और स्टाइलिश बनाने में भी मदद करती है.
शॉल कई तरह की होती हैं, जिनमें से कुछ विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. इस समय विभिन्न प्रकार के रंगों और डिजाइन वाले शॉल बाजार में मिलते हैं. हर क्षेत्र की अपनी विशेष बुनाई, डिजाइन और सामग्री के अनुसार शॉल होते हैं. आज हम आपको कुछ फेमस शॉल के बारे में बताने जा रहे हैं.
कश्मीरी शॉल
कश्मीरी शॉल भारत की सबसे प्रसिद्ध शॉल मानी जाती है. खासकर के यह शॉल कश्मीर के विशेष रूप से प्रसिद्ध है और इसके निर्माण में हाई क्वालिटी वाली ऊन का उपयोग किया जाता है. कश्मीरी शॉल की खास बात यह है कि उनकी बुनाई हाथ से की जाती है और इन्हें परंपरागत कढ़ाई से सजाया जाता है, जिसे “राखी” या “जामवार” कहा जाता है. ये शॉल मुलायम और गर्म होती है. कश्मीरी शॉल की विशेषताएँ उनकी बारीक कढ़ाई, चमकदार रंग और सुंदर डिजाइन में देखी जाती हैं.
पश्मीना शॉल
पश्मीना शॉल को पेशवई शॉल के नाम से भी जाना जाता है. ये कश्मीर का एक और प्रसिद्ध शॉल है. ये बहुत ही मुलायम और हल्की होती है. इस शॉल को बनाने के लिए लद्दाख की चान्ग्रा बकरी और पूर्वी हिमालय की चेंगू बकरी के ऊन का इस्तेमाल किया जाता है. इस शॉल के रेशे बहुत ही मुलायम और महीन होते हैं. ये शॉल हल्की लेकिन बहुत गर्म होती है. यह शॉल सर्दियों में बहुत गर्मी प्रदान करते हैं और आमतौर पर ये शॉल बहुत महंगी होती है.
ढाबला शॉल
गुजरात का प्रसिद्ध ढाबला शॉलज्यादातर सफेद या काले रंग का होता है और इसमें एंब्रॉयडरी होती है. ये अपनी ब्लॉक प्रिंटिंग और नेचुरल डाईज को लेकर काफी प्रसिद्ध है. ये शॉल महंगी होती है. गुजरात के कच्छ जिले में ये ज्यादा देखने को मिलती है. ये शॉल सिंपल नजर आती है. शॉल ब्लैक, बेज, क्रीम और आइवरी रंगों में होती है. जो व्यक्ति को रॉयल लुक देने में मदद करती है.
नागा शॉल
नागा शॉल, नागालैंड की पारंपरिक ऊनी शॉल है. उनकी बुनाई हाथ से की जाती है. ये शॉल काफी गर्माहट प्रदान करती है. ये शॉल काफी महंगी आती है. इसकी कीमत लगभग 20 से 50 हजार तक होती है. इस शॉल को बनाने के लिए मैट और चिकनी दो तरह की ऊन का उपयोग किया जाता है. मैट ऊप कठोर ऊन होती है, जो आसानी से उपलब्ध होती है. लेकिन चिकनी ऊन काफी दुर्लभ होती है, क्योंकि इसे दुर्लभ कीड़े से निकाला जाता है. बाजार में नागा शॉल की कॉपी एक से दो हजार में मिल जाएगी.
वेलवेट शॉल
आप अपने विंटर कलेक्शन में वेलवेट शॉल भी शामिल कर सकते हैं. ये बहुत ही मुलायम होती है. वेलवेट शॉल, माइक्रो वेलेट, जरी और सेक्विन वर्क से बनाया जाता है. सर्दियों में शादी या किसी फंक्शन में पहन कर जाने के लिए ये शॉल एकदम परफेक्ट रहती है. वेलवेट शॉल की खासियत इसकी नर्म और मुलायम सतह है, जो इसे पहनने में बहुत आरामदायक बनाती है. इसके अलावा, यह शॉल ठंडी हवाओं से बचाव करता है और शरीर को गर्म रखता है, जिससे यह सर्दी के मौसम में बेहद उपयोगी हो जाता है. वेलवेट शॉल का डिजाइन भी काफी आकर्षक होता है. इसे सूट, साड़ी और लहंगे के साथ भी स्टाइल किया जाता है. ठंड के मौसम में शादी वाले दिन दुल्हन भी अपने लहंगे के साथ वेलवेट शॉल कैरी कर सकती हैं.
कुल्लू शॉल
कुल्लू शॉल हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले से एक प्रसिद्ध हस्तशिल्प होती है, जो अपनी खूबसूरती के कारण काफी प्रसिद्ध है. यह शॉल गर्मी बनाए रखने में बेहद प्रभावी है. कुल्लू शॉल की विशेषता उसकी मुलायमियत, बनावट और आकर्षक डिजाइनों में है. ह शॉल ऊन से बुने जाते हैं, जो उन्हें गर्म और हल्का दोनों बनाता है. यह शॉल पारंपरिक रूप से हाथ से बुने जाते थे और स्थानीय कारीगरों द्वारा तैयार किए जाते थे. कुल्लू शॉल में विभिन्न प्रकार के रंग और पैटर्न होते हैं.
कलमकारी शॉल
कलमकारी शॉल भारतीय कढ़ाई कला का एक अद्भुत उदाहरण है, एक पारंपरिक हस्तकला है. कलमकारी शॉल हाथ से बनाए गए सूती कपड़े पर रंगी ब्लॉक से छाप बनाकर तैयार की जाती है. यह शॉल विशेष रूप से हैदराबाद और दक्षिण भारत के कुछ अन्य हिस्सों में बनाई जाती है, जहाँ इसकी पारंपरिक कढ़ाई की तकनीक को पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित किया गया है. “कलमकारी” शब्द का अर्थ होता है “कलम से किया गया काम,” क्योंकि इसमें कढ़ाई के लिए एक विशेष उपकरण का उपयोग किया जाता है जो एक प्रकार का हाथ से बनाए जाने वाला कलम या ब्रश होता है.
कलमकारी शॉल पर फूलों, पत्तियों, पक्षियों और अन्य प्राकृतिक रूपों की जटिल कढ़ाई की जाती है. यह कढ़ाई आमतौर पर रेशमी या ऊनी धागों से की जाती है, जो शॉल को न केवल सुंदर बनाती है, बल्कि इसकी गुणवत्ता को भी बढ़ाती है. ये शॉल काफी आकर्षित और सुंदर होती है. शादी या किसी फंक्शन में आप इस स्टाइल कर सकते हैं. कलमकारी शॉल की बनावट बहुत मुलायम होती है और यह ठंडे मौसम में शरीर को गर्म रखने के साथ-साथ एक फैशनेबल लुक भी देती है.

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