पहले शरद पवार को घेरा, फिर सिल्वर ओके पहुंचे छगन भुजबल… महाराष्ट्र में क्या पक रही है सियासी खिचड़ी?
महाराष्ट्र में अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल और शरद पवार की मुलाकात पर सियासत गरम हो गई है. एक दिन पहले ही बारामती में शरद पवार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधने वाले भुजबल ने उन पर महाराष्ट्र में सियासी आग लगाने का आरोप लगाया था. अगले दिन भुजबल शरद पवार से मिलने पहुंच गए और उनसे मराठा-ओबीसी विवाद पर पहल करने की अपील कर दी. अब दो दिन में भुजबल की इन भूमिकाओं पर सवाल उठने लगे हैं.
भुजबल और पवार के बीच मुलाकात के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर शरद पवार से मिलने जाने वाले भुजबल ने ये बात अपनी पार्टी के नेता अजित पवार को क्यों नहीं बताई? भुजबल ने प्रफुल्ल पटेल के अलावा किसी को क्यों नहीं बताया कि वह पवार से मिलने जा रहे हैं? इसके अलावा भुजबल के भले ही हम मंत्री, मुख्यमंत्री बन गए, राज्य में दोनों समुदायों के बीच हालात खराब हैं, बयान के भी अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं. कुछ लोग इसे इशारों ही इशारों में भुजबल का अजित पवार पर निशाना मान रहे हैं.
करीब डेढ़ घंटे तक चली दोनों के बीच बैठक
जानकारी के मुताबिक, छगन भुजबल सुबह 10:21 बजे शरद पवार के आवास सिल्वर ओक पहुंचे थे. जहां, दोनों नेताओं के बीच करीब डेढ़ घंटे तक बैठक चली. एनसीपी में विभाजन के बाद यह पहला मौका था जब शरद पवार और भुजबल के बीच अलग से मुलाकात हुई है. विरोधियों का कहना है कि सरकार लोकसभा चुनाव में मराठा-ओबीसी वोटों की खातिर दोनों के बीच विवाद में उलझी है.
भुजबल ने बताया पवार से मुलाकात में क्या हुई बात?
मुलाकात के बाद छगन भुजबल ने कहा कि मैंने शरद पवार से मुलाकात के लिए कोई वक्त नहीं लिया था, फिर भी मैं उनसे मिलने गया. आरक्षण के मुद्दे पर उनसे बातचीत हुई है. वो राज्य के सीनियर नेता हैं, आरक्षण को लेकर कानून व्यवस्था शांति से बनी रहे. इसपर चर्चा हुई. उन्होंने मराठा आरक्षण और OBC आरक्षण पर चर्चा के लिए हामी भरी है. इसमें राजनीति करने जैसी कोई बात नहीं है. यह एक सामाजिक प्रश्न है इसपर चर्चा करेंगे. मुझे मंत्रिपद और विधायकी की कोई जरूरत नहीं है. मैं चाहता हूं कि राज्य में शांति बनी रही.