पाकिस्तान को ईरान का ‘अल्टीमेटम’, IP गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट में देरी के लिए लग सकता है अरबों का चूना!

ईरान ने पाकिस्तान को IP गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट में देरी के लिए एक ‘फाइनल नोटिस’ दिया है, ईरान ने कहा है कि वह इसे लेकर अगले महीने पेरिस मध्यस्थता कोर्ट का रुख करेगा.
ईरान पाकिस्तान गैस पाइलाइन प्रोजेक्ट को दिसंबर 2014 तक पूरा किया जाना था और 1 जनवरी, 2015 से इसे चालू होना था. इसके तहत ईरान अपनी तरफ पाइपलाइन बिछाता और पाकिस्तान अपने क्षेत्र में इसका निर्माण करता. हालांकि 10 साल की देरी ने जहां एक ओर इस प्रोजेक्ट को ही संकट में डाल दिया है तो वहीं पाकिस्तान के लिए भी बड़ी मुसीबतें खड़ी कर दी हैं.
क्यों पूरा नहीं हो पाया प्रोजेक्ट?
साल 2014 में अमेरिका के लगाए गए प्रतिबंधों के चलते इस प्रोजेक्ट में 10 साल की देरी हुई. फ्रांसिसी कानून के अंतर्गत गैस बिक्री खरीदी एग्रीमेंट (GSPA) पर 2009 में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर हुए थे. इससे जुड़े किसी भी विवाद का निपटारा पेरिस स्थित मध्यस्थता कोर्ट के जरिए किया जाना है. खास बात ये है कि फ्रांसीसी मध्यस्थता कोर्ट अमेरिकी प्रतिबंधों को देरी के लिए उचित कारण नहीं मानता है.
वरिष्ठ अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान की इंटर स्टेट गैस सिस्टम (ISGC) और ईरान की नेशनल गैस कंपनी (NIGC) ने सितंबर 2019 में एक रिवाइस्ड कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, इसके मुताबिक पाकिस्तान को अपनी जमीन पर इस प्रोजेक्ट को 2024 में पूरा करना था. लेकिन ईरान की ओर से डेडलाइन बढ़ाने के बावजूद पाकिस्तानी अधिकारी ऐसा करने में नाकाम रहे.
नोटिस ने पाकिस्तान सरकार की बढ़ाई चिंता
पाकिस्तान सरकार के तमाम बड़े अधिकारी ईरान की ओर से मिले इस नोटिस से काफी चिंतित हैं. वह पेरिस मध्यस्थता कोर्ट में पाकिस्तान का पक्ष रखने के लिए एक विदेशी लॉ फर्म को हायर करने की तैयारी कर रहे हैं. द न्यूज से बातचीत में पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों का कहना है कि हम अमेरिका के प्रतिबंधों की वजह से ही इस प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पाए हैं. हमने अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट मांगने की पूरी कोशिश की, लेकिन बाइडेन प्रशासन IP गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के खिलाफ है.
मूल समझौते के अनुसार अगर पाकिस्तान इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में नाकाम रहता है तो उसे ईरान को 1 जनवरी 2015 से 1 मिलियन डॉलर प्रति दिन के हिसाब से पेनल्टी देनी होगी. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर ईरान पेरिस की मध्यस्थता कोर्ट का रुख करता है तो इससे पाकिस्तान को अरबों डॉलर की पेनल्टी भरनी पड़ेगी.

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