पाकिस्तान को भारी पड़ी तालिबान की चाय, अब चुकानी पड़ रही है कीमत
अफगानिस्तान में तालिबान के वापस आने के तीन साल बाद पाकिस्तान ने माना है कि तालिबान की वापसी में पाकिस्तान ने तालिबान की मदद की. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और विदेश मंत्री इश्हाक डार ने अपने ब्रिटेन दौरे पर कहा कि ISI प्रमुख जनरल फैज हमीद की अफगानिस्तान यात्रा पाकिस्तान को बहुंत महंगी पड़ी. उन्होंने कहा कि ISI प्रमुख की काबुल में चार चुस्कियां पाकिस्तान के लिए महंगी साबित हुई.
ख्वाजा आसिफ के मुताबिक जनरल हमीद को तालिबान की वापसी को आसान बनाने के लिए अफगान भेजा गया था, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान सशस्त्र सहायता के लिए तालिबान पर भरोसा कर सके, लेकिन ये पाक के लिए भारी पड़ा. इस वक्त अफगान सरकार और पाक सरकार के बीच रिश्ते खराब चल रहे हैं और पाकिस्तान बार-बार आरोप लगा रहा है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान में आतंक फैलाने के लिए हो रहा है.
पाकिस्तान ने की बड़ी भूल
तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान में जशन मनाया गया था. तत्कालीन इमरान सरकार ने तालिबान नेताओं से मिलने अपने कई अधिकारियों को काबुल भेजा था. तालिबान के सत्ता में वापसी के बाद से पाकिस्तान में आतंकवादी घटनाए बढ़ गई हैं और आए दिन हो रहे धमाकों में कई नागरिकों की मौत हो चुकी है. पाकिस्तान इन घटनाओं का इल्जाम अफगानिस्तान पर लगा रहा है, वहीं पाकिस्तान के अफगान शरणार्थियों को वापसी भेजने के फैसले के बाद से दोनों सरकारों में तल्खी और बढ़ गई है.
बलूचिस्तान में आतंकवाद इमरान की नीति का नतीजा!
बलूचिस्तान में हो रही आतंकवाद घटनाओं के लिए और पाकिस्तान की आज की स्थिति के लिए इश्हाक डार ने इमरान खान की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इश्हाक डार ने ब्रटेन में एक प्रेस कॉफ्रेंस के दौरान पाक की सुरक्षा को लेकर पूर्व सरकार और उसके चीफ इमरान खान पर जमकर निशाना साधा है.
डार ने कहा है कि तालिबान के वापस आने के बाद ऐसे करीब 100 आतंकवादी रिहा किए गए, जो पाकिस्तान में कई हमलों को लेकर जिम्मेदार थे. रिहा होने के बाद इन आतंकवादियों ने फिर से पाकिस्तान पर हमले शुरू किए हैं.
आर्थिक स्थिति के लिए भी इमरान सरकार जिम्मेदार
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के खराब शासन के कारण पाकिस्तान की वैश्विक आर्थिक रैंकिंग में गिरावट आई. डार ने दुख जताते हुए कहा, “2017 तक पाकिस्तान दुनिया की 24वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया था. 2018 के बाद की इमरान सरकार के खराब शासन की वजह से 2022 तक हमारी रैंकिंग गिरकर 47वीं हो गई.”