पाकिस्तान क्रिकेट नहीं सर्कस कहिए, 4 साल में खिलाड़ियों से ज्यादा सेलेक्टर्स ही बदल गए
एक बार फिर पाकिस्तान क्रिकेट में संकट की स्थिति बन गई है. पिछले दो साल से हर फॉर्मेट में टीम के लगातार गिरते प्रदर्शन का सिलसिला थम नहीं रहा है. मुल्तान में इंग्लैंड के हाथों टेस्ट मैच में मिली पारी और 47 रन से करारी हार के बाद फिर से बवाल मच गया है. टीम के इस खस्ताहाल प्रदर्शन में खिलाड़ियों के खराब खेल का तो योगदान है ही लेकिन पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड भी निशाने पर है, जिसके काम करने के तरीकों ने सवाल खड़ा कर दिया है और इसका सबसे ताजा उदाहरण मिला है सेलेक्शन कमेटी में पूर्व अंपायर अलीम डार समेत 4 नए लोगों की नियुक्ति. इसके साथ ही 4 साल में पाकिस्तानी बोर्ड ने कुल 26 सेलेक्टर्स को बदल दिया है.
सेलेक्शन कमेटी में 3 नए लोग
शुक्रवार 11 अक्टूबर को मुल्तान टेस्ट में पाकिस्तानी टीम को इंग्लैंड ने बुरी तरह हरा दिया था. इसके कुछ ही देर बाद पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपनी सेलेक्शन कमेटी में फिर से बदलाव किया और तीन नए लोगों को इसमें शामिल किया. सेलेक्शन कमेटी में पहले से ही पूर्व बल्लेबाज असद शफीक, एनालिस्ट हसन चीमा, कप्तान शान मसूद और कोच जेसन गिलेस्पी शामिल थे. कुछ ही दिन पहले मोहम्मद यूसुफ ने इससे इस्तीफा दे दिया था. अब बोर्ड ने अलीम डार, पूर्व तेज गेंदबाज आकिब जावेद और पूर्व कप्तान अजहर अली को भी शामिल किया है.
4 साल में 26 सेलेक्टर्स
इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम अलीम डार का रहा, जिन्होंने इस साल ही इंटरनेशनल अंपायरिंग से संन्यास लिया था. अलीम डार ने जरूर पाकिस्तान में फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला था लेकिन एक अंपायर को सेलेक्शन कमेटी में शामिल करने के फैसले ने हर किसी को हैरान किया है. मगर इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात तो सेलेक्शन कमेटी में लगातार हुए फेरबदल हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 से अब तक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कुल 26 अलग-अलग सेलेक्टर्स को नियुक्त किया है. यानि औसतन हर साल 6 सेलेक्टर्स बदले गए हैं. एक बार फिर नई सेलेक्शन कमेटी में किसी को भी चेयरपर्सन नहीं बनाया गया है.
बोर्ड में भी लगातार अस्थिरता
संयोग से सेलेक्शन कमेटी में इतने बदलाव भी ऐसे वक्त में आए हैं, जब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने नेतृत्व में लगातार बदलाव देखे हैं. इन 4 साल में देश में राजनीतिक उठा-पटक के कारण पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने 4 अलग-अलग अध्यक्ष देख लिए हैं और हर किसी ने अपनी सहूलियत और पसंद के हिसाब से बदलाव किया है. अब अगर देश में क्रिकेट को चलाने वाली संस्था और उसके फैसलों में ही निरंतरता नहीं होगी तो टीम के प्रदर्शन पर भी इसका असर पड़ना तय है और फिलहाल पाकिस्तानी टीम का हाल भी वही हो रहा है.