पाकिस्तान में निशाने पर गैर-मुस्लिम, भीड़ का ईसाइयों पर हमला, घर और फैक्ट्री में लगाई आग
पाकिस्तान में शनिवार को हालात बिगड़ गए. पाकिस्तान के सरगोधा में भीड़ ने ईसाइयों पर हमला किया. उन के घरों में गुस्साई भीड़ ने आग लगा दी और सामान लूटा. पुलिस ने जानकारी दी कि पूर्वी पाकिस्तान में धार्मिक भावना आहत करने के आरोप में मुस्लिम भीड़ ने ईसाई धर्म की बस्ती पर हमला किया. जिसके बाद शनिवार को ईसाई समुदाय के कम से कम 10 सदस्यों को बचाया गया.
सरगोधा जिले के पुलिस प्रमुख शारिक कमाल ने कहा, ईसाई समूह पर धार्मिक भावना आहत करने का आरोप लगाने वाली भीड़ ने पुलिस पर भी हमला किया पुलिस पर भीड़ ने पत्थर और ईंटें फेंकीं. एक पुलिस प्रवक्ता और एक ईसाई अकमल भट्टी के अनुसार, गुस्साई भीड़ ने एक घर और एक छोटी जूता फैक्ट्री में आग लगा दी. आरोप लगाए गए थे कि ईसाई लोगों ने मुस्लिम धर्म की पवित्र पुस्तक, कुरान का अपमान किया और कथित रूप से एक 70 साल के ईसाई ने कुरान जला दिया जिसके बाद गुस्साई भीड़ ने ईसाइयों पर हमला कर दिया. भट्टी ने कहा, “गुस्साई भीड़ ने एक घर जला दिया” और कई ईसाइयों को बुरी तरह पीटा गया.
पुलिस ने लिया एक्शन
पुलिस प्रमुख कमल ने कहा कि पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी ने बस्ती को घेर लिया है और भीड़ को पीछे धकेल दिया गया है. इस हमले के बाद ईसाई समुदाय के एक सदस्य को अस्पताल ले जाया गया, बाद में उसकी हालत स्थिर बताई गई. पुलिस अधिकारी असद मल्ही ने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से लगभग 25 को गिरफ्तार कर लिया गया है, साथ ही ईसाई समुदाय के सदस्यों को गुस्साई भीड़ से बचाने में 11 पुलिस अधिकारियों को चोटें आईं. पुलिस ने बताया कि देर शाम तक हालात स्थिर हो गए थे और दोनों पक्षों के नेताओं ने शांति की अपील की. एक ईसाई अधिकार समूह – ने कहा कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोपी 70 साल के व्यक्ति को भीड़ ने पीटा और घसीटा.
पहले भी हुआ ईसाइयों पर हमला
पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग ने कहा कि रूढ़िवादी मुस्लिम-बहुल पाकिस्तान में धार्मिक भावना को आहत करना एक संवेदनशील मुद्दा है, जहां सिर्फ एक आरोप लग जाने से ही भीड़ इतने गुस्से में आ जाती है कि एक ही आरोप से सड़क पर हत्या हो सकती है. हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि पाकिस्तान में ईसाइयों के साथ ऐसा किया गया हो, इससे पहले भी पिछले साल पूर्वी पाकिस्तान में दो ईसाई धर्म के लोगों पर कुरान का अपमान करने का आरोप था जिसके चलते मुस्लिम भीड़ ने ईसाई समुदाय पर हमला किया था, तोड़फोड़ की और कई घरों में आग लगा दी.