पाकिस्तान में ISI की ताकत में इजाफा, अब किसी का फोन टैप कर सकेगी खुफिया एजेंसी
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ताकत काफी बढ़ गई है. आईएसआई एक फैसले के बाद अब सुरक्षा के नाम पर किसी का भी फोन टैप कर सकती है. पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने कल सोमवार को आईएसआई को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में या किसी अपराध की आशंका में फोन कॉल और मैसेज को इंटरसेप्ट करने या कॉल का पता लगाने के लिए अधिकृत कर दिया है.
सूत्रों के अनुसार, देश की संघीय कैबिनेट ने सर्कुलेशन के जरिए इसे अपनी मंजूरी दी. राजपत्र अधिसूचना (SRO 1005 (I) /2024) में कहा गया है, “आईएसआई पाकिस्तान दूरसंचार (पुनर्गठन) अधिनियम, 1996 (अधिनियम) की धारा 54 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, संघीय सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में और किसी भी अपराध की आशंका में, धारा 54 के तहत परिकल्पित किसी भी दूरसंचार प्रणाली के जरिए कॉल और संदेशों को रोकने या कॉल का पता लगा सकती है.” हालांकि आदेश के अनुसार, इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा नामित ग्रेड-18 के रैंक से नीचे के अधिकारियों को इससे अलग रखा गया है.”
क्या कहती है धारा
धारा 54 राष्ट्रीय सुरक्षा (1) के तहत, वर्तमान में लागू किसी भी कानून में निहित किसी भी बात के बावजूद, राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में या किसी भी अपराध की आशंका में, संघीय सरकार किसी भी व्यक्ति या लोगों को किसी भी दूरसंचार प्रणाली के जरिए कॉल और मैसेज को रोकने या कॉल का पता लगाने को लेकर अधिकृत कर सकती है.
(2) किसी विदेशी शक्ति या देश द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध या शत्रुता के दौरान आंतरिक आक्रमण या पाकिस्तान की रक्षा तथा सुरक्षा के लिए, संघीय सरकार को किसी भी लाइसेंसधारी की तुलना में दूरसंचार प्रणाली में वरीयता और प्राथमिकता हासिल होगी.
मुआवजा देने का प्रावधान
(3) राष्ट्रपति द्वारा देश में इमरजेंसी की घोषणा किए जाने पर, संघीय सरकार इस अधिनियम के तहत किए गए या जारी किए गए सभी या किसी भी आदेश या लाइसेंस को निलंबित या संशोधित कर सकती है. साथ ही वह जरूरी पड़ने पर किसी भी लाइसेंसधारी के संचालन, कार्यों या सेवाओं को ऐसे समय के लिए निलंबित कर सकती है.
हालांकि संघीय सरकार इसके लिए किसी भी लाइसेंसधारी को उचित मुआवजा भी दे सकती है, अगर उसकी सुविधाएं या सेवाएं इस उप धारा (sub-section) के तहत किसी कार्रवाई की वजह से प्रभावित होती है. यह फैसला ऐसे समय आया है जब पाकिस्तान में विपक्ष चुनाव में लगातार धांधली का आरोप लगाता रहा है. यहां पर फरवरी में चुनाव हुए थे, लेकिन अभी तक वहां पर विपक्षी दल चुनाव परिणामों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.