पाकिस्तान हो रहा है कंगाल, कौन बना रहा है इकोनॉमी को बेहाल?
कैश की कमी से जूझ रहे पाकिस्तान को अभूतपूर्व फाइनेंशियल क्राइसिस का सामना करना पड़ रहा है, जो चुनौतियों के जटिल जाल से प्रेरित है. एक प्रमुख पाकिस्तानी-अमेरिकी अर्थशास्त्री ने यह चेतावनी दी है. समाचार पत्र डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रिंसटन के इकोनॉमिस्ट आतिफ मियां ने आसमान छूते घरेलू और विदेशी कर्ज, असहनीय पेंशन देनदारियों और असफल होते बिजली क्षेत्र को पाकिस्तान को आर्थिक रसातल में धकेलने वाले महत्वपूर्ण कारकों के रूप में इंगित किया है. उनका आकलन एक गंभीर तस्वीर पेश करता है, जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान का आर्थिक संकट अत्यंत गंभीर है, जो इसे वैश्विक मंच पर राजकोषीय कुप्रबंधन का एक स्पष्ट उदाहरण बनाता है.
क्यों बेहाल है पाक की इकोनॉमी
मियां ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक कमेंट में कहा कि पाकिस्तान के घरेलू और विदेशी कर्ज, उसकी अप्राप्त पेंशन देनदारियां और बिजली क्षेत्र ने पाकिस्तान को गहरे वित्तीय संकट में धकेल दिया है. किसी दूसरे देश की हालत इतनी खराब होने की कल्पना करना मुश्किल है. मियां के विश्लेषण पर प्रतिक्रिया देते हुए चेस मैनहट्टन बैंक के पूर्व राजकोषीय प्रमुख असद रिजवी ने उनसे इन चुनौतियों से निपटने और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए व्यावहारिक समाधान पेश करने का आग्रह किया.
मियां ने ऐसे दिया इस सवाल का जवाब
रिजवी ने मियां से यह भी पूछा कि उच्च ऋण-से-जीडीपी अनुपात वाली उन्नत अर्थव्यवस्थाएं अपनी स्थितियों का प्रबंधन कैसे करती हैं. रिजवी ने इस बात पर जोर दिया कि कर-जीडीपी अनुपात (अर्थव्यवस्था का दस्तावेजीकरण करके), बैंक कर्ज-जमा अनुपात, और खुले बाजार परिचालन (ओएमओ) जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित किए बिना अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में संघर्ष करना पड़ेगा.
टाटा ग्रुप के मार्केट कैप से भी कम है पाक की जीडीपी
मौजूदा समय में पाकिस्तान की जीडीपी भारत के टाटा ग्रुप के मार्केट कैप से भी कम है. फरवरी 2024 के आंकड़ों के अनुसार टाटा ग्रुप का कुल मार्केट कैप 365 बिलियन डॉलर पर था. जबकि पाकिस्तान की जीडीपी 341 बिलियन डॉलर पर थी. खास बात तो ये है कि टाटा ग्रुप की सबसे बड़ी कंपनी टीसीएस का मार्केट कैप 170 बिलियन डॉलर था. एक समय था जब दुनिया की सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की नेटवर्थ 340 अरब डॉलर पर आ गई थी. जो कि पाकिस्तान की इकोनॉमी के बराबर है.
विदेशी भंडार में राहत
वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तेजी देखने को मिल रही है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की रिपोर्ट के अनुसार लगातार 6 हफ्तों से विदेशी मु्द्रा भंडार में इजाफा देखने को मिल रहा है. जोकि 26 महीनों के हाई पर पहुंच गया है. वैसे ये पाकिस्तान की इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत हो सकते हैं, लेकिन नाकाफी हैं. मौजूदा समय में पाकिस्तान के पास जितना विदेशी भंडार, उससे कहीं गुना उस पर कर्ज है. ऐसे में पाकिस्तान की इकोनॉमी को लेकर लगातार गहरी चिंताएं जताई जा रही हैं.