पारा पहुंचा 50 पार, हीट वेव आखिर कैसे कर रही इकोनॉमी का बंटाधार?

भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में गर्मी के हालात और बिगड़ने की चेतावनी दी है. पहले से ही लगभग पूरा देश हीटवेव की चपेट में है. वहीं सूरज का पारा अधिकतर इलाकों में 50 डिग्री सेल्सियस के पार या उसके आसपास पहुंच चुका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि गर्मी का ये हाल देश की इकोनॉमी पर भी भारी पड़ रहा है.
भारत में अब प्रचंड गर्मी और मई-जून के महीने में हीटवेब अब एक न्यू नॉर्मल बनता जा रहा है. जलवायु परिवर्तन और जंगलों की सफाई का असर इससे ज्यादा विजिबल पहले कभी नहीं रहा है. हालांकि बढ़ती गर्मी और हीटवेब का सबसे बुरा प्रभाव देश की इनफॉर्मल इकोनॉमी पर पड़ता है. अर्थव्यवस्था का ये वह स्वरूप है, जो बड़ी आबादी को रोजगार देता है.
50 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर
बढ़ती गर्मी और हीटवेब देश के कृषि सेक्टर पर सबसे बुरा प्रभाव डालती है. ये वह सेक्टर है जिस पर देश की करीब 50 प्रतिशत आबादी डिपेंड करती है. देश के नीति निर्माताओं के लिए भी गर्मी इसलिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे ना सिर्फ 50 प्रतिशत आबादी की आजीविका के लिए सवाल खड़ा होता है, बल्कि ये देश की खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डालती है.
वहीं अगर देश की वर्कफोर्स के लिहाज से देखें, तो एग्रीकल्चर और उससे जुड़े व्यवसायों पर देश की 45 प्रतिशत से अधिक वर्कफोर्स निर्भर करती है. वहीं देश के कुल श्रमिकों में करीब 83 प्रतिशत इसी सेक्टर में काम करते हैं. वहीं आईएमएफ का अनुमान है कि देश के इंफॉर्मल सेक्टर में काम करने वाली 90 प्रतिशत से अधिक लोगों पर हीटवेव का असर पड़ता है.
हीटवेव से कैसे होता है इकोनॉमी को नुकसान?
अब अगर हम हीटवेव से ओवरऑल इकोनॉमी के नुकसान को देखें, तो इसका असर देश की वर्कफोर्स के स्वास्थ्य पर होता है, जो अर्थव्यवस्था पर अलग-अलग तरह से असर डालता है.

मनी कंट्रोल की एक खबर के मुताबिक अब देश के 150 प्रमुख जलाशयों में इस साल जल का स्तर 30 प्रतिशत से ज्यादा नीचे जा चुका है. दक्षिण भारत में ये स्थिति और ज्यादा खतरनाक है. इसका असर हाल में बेंगलुरू जैसे बड़े शहर में पानी के संकट के रूप में देखने को मिला.
जलाशयों में पानी कम होने से पेयजल की समस्या, सिंचाई के लिए कम पानी, चारे की कम उपलब्धता, बागबानी की फसलों को नुकसान, दूध और सब्जियों के बढ़ते दाम के तौर पर देखने को मिलता है.
हाल में आरबीआई ने जब अपनी एनुअल रिपोर्ट जारी की, तो उसने भी ये कहा 2023-24 में महंगाई को ऊंचा बनाए रखने की सबसे बड़ी वजह फूड इंफ्लेशन रही. वहीं अब भी फूड इंफ्लेशन के बहुत नीचे आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं.
इसके अलावा वर्कफोर्स की हेल्थ पर हीटवेव का असर होने से इंफ्रास्ट्रक्चर, इंडस्ट्री प्रोडक्शन पर पड़ता है. वहीं हेल्थ और गर्मी से बचने के उपायों पर लोगों का खर्च बढ़ने से उनके कंजप्शन में कमी आती है, जो धीरे-धीरे मार्केट में डिमांड पुल को कम करता है. इससे लॉन्ग टर्म में इकोनॉमी को नुकसान होता है.

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *