पेरिस ओलंपिक: 117 एथलीट्स पर 140 सपोर्ट स्टाफ, मेडल जीतने के लिए सरकार ने लगाया पूरा जोर

पेरिस ओलंपिक 2024 शुरू होने में अब केवल एक सप्ताह का समय रह गया है. भारत के खेल मंत्रालय ने 117 एथलीट्स को मंजूरी दे दी है. लोग तब हैरान हो गए, जब मंत्रालय ने एथलीट्स से ज्यादा सपोर्ट स्टाफ भेजने का फैसला किया. इसमें 72 सपोर्ट स्टाफ ऐसे हैं, जो सरकारी खर्चे पर पेरिस जा रह हैं. इस बात की जानकारी खुद मंत्रालय ने एक पत्र में दी है. इस बार किसी भी भारतीय फैंस को चिंता करने की बात नहीं है, क्योंकि ये सपोर्ट स्टाफ मौज के लिए नहीं बल्कि टोक्यो ओलंपिक से भी ज्यादा मेडल जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाने के लक्ष्य से जा रहे हैं.
ज्यादा सपोर्ट स्टाफ पर उठते रहे हैं सवाल
ये पहली बार नहीं है,जब ओलंपिक में भारतीय दल के साथ एथलीट्स से ज्यादा सपोर्ट स्टाफ जा रहे हैं. इसे लेकर सवाल भी उठते रहे हैं. 117 एथलीट्स के साथ 140 स्टाफ को देखकर ऐसा लग सकता है कि अधिकारी सरकारी खर्चे पर विदेशी दौरा करने जा रहे हैं और पेरिस में जमकर मौज करेंगे. ऐसा भी क्यों न, पहले कई बार इस तरह के मामले देखने को मिल चुके हैं. हालांकि, इस बार इस बार ऐसा नहीं है, इसमें ज्यादातर ऐसे स्टाफ हैं, जो या तो कोच हैं या फिर स्पेशलिस्ट हैं, जिनकी वाकई में एथलीट्स को जरूरत है.
सपोर्ट स्टाफ कैसे डालेंगे असर?
पेरिस ओलंपिक में भारत के अप्रोच में काफी बदलाव आया है. सभी सपोर्ट स्टाफ की सिलेसिलेवार तरीके से जांच के बाद पता चला है कि 140 में से 85 प्रतिशत सपोर्ट स्टाफ कोच, स्पोर्ट साइंटिस्ट, मेडिकल टीम और फिजियोथेरेपिस्ट्स हैं. यहां तक कि इस एथलीट्स को मेंटल कंडिशनिंग कोच भी उपलब्ध कराए गए हैं. ओलंपिक की अच्छी तैयारी के लिए हर एथलीट को एक कोच मुहैया कराने की कोशिश की गई है. इसमें शूटर मनु भाकर सबसे बड़ी उदाहरण हैं. उन्होंने लंबे समय से कोच जसपास राणा की निगरानी में ट्रेनिंग की है. पहले उन्हें मंजूरी नहीं थी, लेकिन अब उनके पेरिस में होने भाकर की तैयारी में सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है. वो पहले से ज्यादा आत्मविश्वास के साथ हिस्सा ले सकेंगी.
बैडमिंटन के हेड कोच पुल्लेला गोपिचंद के साथ प्रकाश पादुकोण और विमल कुमार भी पेरिस जाने की मंजूरी मिली है. यहां सवाल उठाया जा सकता है कि हेड कोच के होते हुए तो एक्स्ट्रा कोच की क्या जरूरत है, लेकिन ऐसा नहीं करने से पीवी सिंधू और गोपीचंद के साथ अन्याय हो सकता था. इसका कारण ये है कि हाल के दिनों में दोनों ने साथ में ट्रेनिंग नहीं की है. वहीं सिंधू भी लगातार बताती रही हैं कि प्रकाश पादुकोण कैसे उनके खेल में सकारात्मक और बड़ा परिवर्तन लेकर आए हैं. अब उनके होने से सिंधू के पास मेडल जीतने के लिए हर सुविधा मौजूद होगी.
रियो ओलंपिक में विनेश फोगट पर पड़ा था असर
इन सभी सपोर्ट स्टाफ को समझने के लिए हमें 2016 के रियो ओलंपिक में जाना होगा. उस वक्त विनेश फोगट क्वार्टरफाइनल में चाइनीज रेसलर का सामना कर रही थीं. विनेश पहले ही 1-0 से आगे चल रही थीं, तभी उन्हें चोट लग गई. इसके बाद सभी भारतीय फैंस ने उन्हें इस दर्द से रोते हुए देखा था. वहां उनके लिए जरूरत के मुताबिक मेडिकल टीम मौजूद नहीं थी. नतीज ये हुआ कि वो दर्द में लड़ती रहीं और अंत में हार का सामना करना पड़ा. इस तरह की जरूरी सुविधाएं नहीं होने से एथलीट्स पर बहुत बुरा असर पड़ता है.
कपड़ों की समस्या का समाधान
ओलंपिक में एथलीट्स के लिए कपड़ा भी एक बड़ा समस्या हुआ करता था. अच्छी जर्सी के लिए भी एथलीट्स को काफी संघर्ष करना पड़ता था. ओलंपिक की जर्सी बिल्कुल भी पहनने लायक भी नहीं होती थी, एक ही धुलाई में वो खराब हो जाया करती थीं. हालांकि, जब से JSW क्लोदिंग पार्टनर और प्यूमा फूटवेयर पार्टनर बने हैं, इन सारी समस्याओं का समाधान हो चुका है और ये सब चीजें अब पुराने समय की बात हो गई हैं.
स्पोर्ट्स साइंटिस्ट्स का भी अहम रोल
ओलंपिक में स्पोर्ट्स साइंटिस्ट्स भी एक भूमिका निभाते हैं. ये जरूर है कि एक स्पोर्ट्स स्पोर्ट्स साइंटिस्ट किसी एथलीट को कुछ ही महीनों की ट्रेनिंग से चमत्कार नहीं कर सकता है, लेकिन कभी नहीं से देर ही सही. इसका असर धीरे-धीरे जरूर देखने को मिलेगा. अंत में यही सच्चाई है कि कोई सरकारी अधिकारी मौज के लिए नहीं, बल्कि एथलीटस् की मदद के लिए कोच पेरिस जा रहे हैं. 140 में से 120 की तो सीधे एथलीट्स तो जरूरत है, वो उनकी मदद के लिए पेरिस में होंगे, ताकि भारत वहां शानदार प्रदर्शन कर सके. इस बात के लिए भारतीय ओलंपिक संघ और स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) की तारीफ जरूर की जानी चाहिए. कोई नहीं जानता है कि पेरिस ओलंपिक में क्या होगा, इसका जवाब तो समय के साथ ही मिलेगा. लेकिन इनके होने से एथलीट्स की तैयारी अच्छी होगी और भारत एक अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जरूर कर सकता है.

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