पैकेज्ड फूड पर नहीं होगा ‘खेल’, बोल्ड अक्षरों में देनी होगी नमक, चीनी, फैट की डिटेल

पैकेज्ड फूड पर अब कंपनियां किसी तरह का खेल नहीं कर सकेंगी. फूड में किस तरह के इंडी​ग्रिएंट्स डाले गए हैं, किनती मात्रा में डाले गए हैं. उसकी जानकारी छोटे अक्षरों में नहीं बल्कि बोल्ड और बड़े-बड़े फॉन्ट साइज में देनी होगी. इसके लिए सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन भी जारी करने की प्लानिंग है. इससे पहले रेगुलेटर की ओर से इस फैसले पर हरी झंडी भी दिखाई जा चुकी है. मतलब साफ है कि आम लोगों को कोई भी पैकेज्ड फूड खरीदने से पहले पता होगा उस प्रोडक्ट में कितना फैट होगा, कितनी शुगर होगी, कितना नमक होगा? आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मौजूदा समय में सरकार किस तरह का फैसला लेने जा रही है.
देनी होगी ये जानकारी
फूड रेगुलेटर एफएसएसएआई पैकेज्ड फूड पर नमक, चीनी और फैट के बारे में बोल्ड अक्षरों के साथ ही बड़े फॉन्ट में जानकारी देने को अनिवार्य करने की तैयारी कर रहा है. रेगुलेटर ने शनिवार को इस संबंध में लेबलिंग के नियमों में बदलाव को मंजूरी दी है. एफएसएसएआई इस बारे में एक मसौदा अधिसूचना जारी करेगा और हितधारकों से आपत्तियां मांगेगा. एक आधिकारिक बयान में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कहा कि उसने पैकेट वाले खाद्य पदार्थों के लेबल पर बोल्ड अक्षरों और अपेक्षाकृत बड़े फॉन्ट साइज में कुल चीनी, नमक और संतृप्त वसा के बारे में पोषण संबंधी जानकारी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
जारी होगा नोटिफिकेश और मांगी जाएंगी आपत्तियां
पोषण संबंधी जानकारी लेबलिंग के संबंध में खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020 में संशोधन को मंजूरी देने का फैसला एफएसएसएआई के चेयरमैन अपूर्व चंद्रा की अध्यक्षता में लिया गया. नियामक ने कहा कि संशोधन का मकसद उपभोक्ताओं को उत्पाद के पोषण मूल्य को अच्छी तरह समझने और बेहतर निर्णय लेने में सक्षम बनाना है. इस संशोधन के लिए जारी मसौदा अधिसूचना अब सुझाव और आपत्तियां मांगी जाएंगी.
भ्रामक दावों को रोकने में मिलेगी मदद
पैकेज्ड फूड में बोल्ड और बड़े अक्षरों में इस तरह की जानकारी देने का असल मकसद आम लोगों को भ्रामक दावों से बचाने के रूप में देखा जा रहा है. ताकि आम लोगों हेल्दी ऑप्शन का चयन कर सकें. रेगुलेटर की ओर से समय-समय पर आम लोगों के लिए इस तरह की सलाह जारी करता रहता है. जिसमें ई-कॉमर्स वेबसाइट्स को ‘हेल्थ ड्रिंक’ शब्द हटाने की सलाह दी गई है. दूसरी ओर फूड बिजनेस ऑपरेटर्स निर्देश दिया गया है कि फ्रूट जूस के लेवल और विज्ञापनों से 100 फीसदी फलों के रस जैसे दावे को तत्काल प्रभाव से हटा दें.

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